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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

अनिश्चितता भगाएँ, जीवन बनाएँ - भाग 4

अनिश्चितता भगाएँ, जीवन बनाएँ - भाग 4
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Sep 13, 2021

अनिश्चितता भगाएँ, जीवन बनाएँ - भाग 4


‘जीवन’ कोई फ़िल्म नहीं है जिसकी पटकथा ईश्वर ने पहले से ही लिखकर हमें दे रखी हो और हमें बस उस पटकथा के आधार पर अपना किरदार निभाकर चले जाना हो। इसे हमें बच्चों के खेल ‘ट्रेज़र हंट’ के माफ़िक़ देखना चाहिए। जिसमें कुछ दिए गए इशारों के आधार पर आप छिपाकर रखी गई चीजों को खोजते हैं। लेकिन याद रखिएगा छिपाकर रखी गई वस्तु आपको मिले या ना मिले, आप खेल की हर प्रक्रिया का आनंद उठाते हैं।


जी हाँ दोस्तों, हमारा जीवन इस ‘ट्रेज़र हंट’ के समान है। हमारा पहला लक्ष्य ईश्वर द्वारा छिपाकर रखी गई अपनी क्षमताओं को खोजना और फिर दूसरे लक्ष्य के रूप में इन क्षमताओं का उपयोग करते हुए अपने सपनों को पूरा करना है। लेकिन, इस पूरी प्रक्रिया में हमें सिर्फ़ एक बात का ध्यान रखना है, ‘हमें लक्ष्य पाने में सफलता मिले या ना मिले, हमें पूरी प्रक्रिया का आनंद उठाना है।’ 


दोस्तों अगर आप जीवन को इस नज़रिए से जिएँगे तो अनिश्चितता आपको परेशान नहीं करेगी, वैसे आप निम्नलिखित 9 सूत्रों के प्रयोग से अनिश्चितता को दूर कर, अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं। आईए कल तक सीखे सातों सूत्रों को संक्षेप में दोहरा लेते हैं-


पहला सूत्र - सपने देखें, बहुत बड़े देखें 

सपने हमारे जीवन को दिशा देकर बहुत सारी अनिश्चितताओं से बचा लेते हैं। जब आप योजनाबद्ध तरीक़े से लक्ष्य पाने के लिए कार्य करते हैं तो आप अनजाने में ही स्वयं को अनिश्चितता के लिए तैयार कर लेते हैं। लक्ष्य बनाने का सबसे अच्छा तरीक़ा सेल्फ़ क्वेस्चनिंग तकनीक का प्रयोग कर, अपने जीवन का खाका तैयार करना है।


दूसरा सूत्र - अपने सपनों व खुद पर विश्वास रखें और आत्मविश्वास बढ़ाएँ

बड़े लक्ष्य का पीछा करते वक्त नकारात्मक भाव आना सामान्य है। इससे बचने के लिए अपने बड़े लक्ष्यों को छोटे भाग में विभाजित करना फ़ायदेमंद रहता है। उदाहरण के लिए, आप का लक्ष्य 5 साल में कुछ पाना है, अब सोचिए कि इसे पाने के लिए मुझे एक साल का क्या लक्ष्य रखना होगा, फिर इस सालभर के लक्ष्य को पाने के लिए इस माह क्या करना होगा और अंत में इस मासिक लक्ष्य को पाने के लिए साप्ताहिक आधार क्या करना होगा, योजना बना लें। इसके बाद बस साप्ताहिक आधार पर अपने लक्ष्य को पूरा करना शुरू कर दें। यह छोटी उपलब्धियाँ आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देंगी।


तीसरा सूत्र - असफलता के डर को दूर भगाएँ

असफलता से ज़्यादा हमें असफलता का डर बड़ा होता है। इससे डरे नहीं, बस याद रखें असफलता, सफलता की पहली सीढ़ी है। आमतौर पर यह डर आत्मविश्वास की अधिकता अथवा कमी की वजह से बढ़ता है। अति आत्मविश्वास अर्थात् ओवर कॉन्फिडेंस आपको अच्छे से तैयारी नहीं करने देता वहीं आत्मविश्वास की कमी आपको अपनी तैयारियों पर भरोसा नहीं करने देती। इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए पॉजिटिव सोचें, कल्पना करें और पूर्ण तैयारी के साथ कार्य करें।


चौथा सूत्र - रचनात्मक रहें और उसी तरह सोचें 

रचनात्मकता आपकी सोच को विकसित करती है और सोच आपके दृष्टिकोण को सकारात्मक बना आत्मविश्वास बढ़ाती है। यह आपके अहम या दम्भ को दरकिनार कर परिस्थिति को सही नज़रिए से देखने में मदद करती है। जिससे आप सफलता और असफलता का अपना पैमाने तय करके वास्तविक लक्ष्य निर्धारण कर पाते है।


पाँचवाँ सूत्र - दृष्टिकोण को अपना सहयोगी बनाये

दृष्टिकोण अर्थात् चीजों को देखने का नज़रिया। अगर आप अनिश्चितता में मौके देखेंगे तो आपको मौके नज़र आएँगे और अगर समस्या देखेंगे तो समस्या नज़र आएगी। इसीलिए तो अंतराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर श्री राजेश अग्रवाल ने कहा है, ‘सफलता प्रतिभा के मुक़ाबले दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर करती है।’ जी हाँ दोस्तों, अगर जीवन में सफल होना है तो दृष्टिकोण को अपना सहयोगी बनाए।


छठा सूत्र- कर्मठ बनें 

जीवन जीने के लिए हमारे पास दो तरीक़े रहते है। पहला, भाग्यवादी बनना और सोचना, ईश्वर ने जो हमारे भाग्य में लिखा है, वह हमें मिल ही जाएगा और जो नहीं लिखा है वह कभी नहीं मिलेगा। दूसरा, कर्म को प्राथमिकता देते हुए, इस विश्वास के साथ कार्य करना कि क़िस्मत, मानसिक रूप से सतर्क रहते हुए मौक़ों को पहचानने की हमारी क्षमता से अधिक कुछ नहीं है। इसलिए कर्मवादी लोग संकल्प के साथ कर्म करते हैं और अपनी क़िस्मत खुद लिखते हैं।


सातवाँ सूत्र - हार को जीत में बदलें

मेरा अनुभव कहता है कि ‘हार’ नाम की कोई चीज़ होती ही नहीं है क्यूँकि कार्य करने के दो ही परिणाम होते हैं। पहला, अपनी इच्छानुसार परिणाम मिलना और दूसरा, ईश्वर की योजनानुसार मिलना। जब ईश्वर की इच्छानुसार मिले तब दुखी होने की जगह परिणाम से सीखें और याद रखें ईश्वर आपको कुछ बड़ा देने लायक़ बनाना चाहते हैं।


याद रखिएगा दोस्तों, जैसे ही आप हार से सीख लेकर, फिर से शुरुआत करते है आप उस हार को जीत में बदलना शुरु कर देते हैं। 


चलिए दोस्तों अब जानते हैं अनिश्चितता भगाकर जीवन बनाने के अंतिम दो सूत्र -


आठवाँ सूत्र - लीडर और विजेता की तरह सोचें 

दोस्तों अनिश्चितता का सामना करने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी कोई चीज है तो वह है, हमारे विचार। हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हमारा उस परिस्थिति के लिए दृष्टिकोण बन जाता है। जी हाँ दोस्तों, हमारे विचार ही हमारी ख़ुशी, अमीरी, ग़रीबी, परेशानी, दुःख या सुख बढ़ाते हैं या घटाते हैं। इसलिए अनिश्चितता से लड़ने और सफल होने के लिए लीडर या विजेता के रूप में सोचना ज़रूरी है। लीडर, हर चीज़ की ज़िम्मेदारी खुद लेता है इसलिए लीडर और विजेता की तरह सोचें।


नवाँ सूत्र - अपने चंचल मन को क़ाबू में रखने के लिए उपरोक्त सूत्र बारंबार दोहराएँ 

मन का भटकाव सामान्य है क्यूँकि यह बहुत चंचल होता है, आस-पास ज़रा सा बदलाव देखा कि यह उस ओर जाने लगता है। इसलिए इस पर क़ाबू रखना बहुत आवश्यक है। अगर आप उपरोक्त सूत्रों को बार-बार दोहराएँगे, इन्हें अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनायेंगे तो यह सूत्र आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाएँगे। अगर आप अनिश्चितता से लड़कर वाक़ई सफल और विजेता बनना चाहते हैं तो इन सूत्रों को बार-बार दोहराएँ।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

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