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अमीर बनना है तो मानें यह 6 बातें - भाग 2


Oct 28, 2021
अमीर बनना है तो मानें यह 6 बातें - भाग 2
दोस्तों, हर इंसान अपने जीवन में अमीर बनकर सफल होना चाहता है लेकिन एक आँकड़ा बताता है कि मात्र 2 प्रतिशत लोग ही अमीर बनने के अपने सपने को हक़ीक़त में बदल पाते हैं। मेरी नज़र में इसका सबसे बड़ा कारण ग़लत प्राथमिकताएँ, सोच और लक्ष्य का होना है। आइए इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं-
सामान्यत: हम मानते हैं कि सफलता के लिए लक्ष्य के प्रति आक्रामक रवैया, बाज़ार के अनुरूप सोच, हमेशा पैसों के लिए कार्य करना या सोचना आवश्यक है लेकिन दोस्तों 'डॉक्टर श्रली ब्लॉटनिक' के द्वारा 1500 लोगों पर 20 वर्षों तक की गई एक रिसर्च बताती है कि अमीर बनने या सपनों को पूरा करने के लिए शांत और संतुष्ट रहकर धैर्य के साथ काम करना ज़्यादा आवश्यक है।
डॉक्टर श्रली ब्लॉटनिक के द्वारा 20 से 40 वर्ष की उम्र वाले 1500 स्त्री और पुरुषों पर किए गए शोध के नतीजे बताते हैं कि 1500 में से, 83 लोग मिलिनेयर बने तथा वे सभी निम्नलिखित बातों पर यक़ीन रखते थे। वैसे इस शोध के बारे में अधिक और स्पष्ट जानकारी के लिए आप उनके द्वारा लिखी गई किताब ‘गेटिंग रिच योर ओन वे‘ को पढ़ सकते हैं। लेकिन संक्षेप में मैं आपको डॉक्टर श्रली ब्लॉटनिक द्वारा अमीर बनने के सपने को सच करने के जो पाँच मुख्य सूत्र बताए गए थे उन्हें संक्षेप में आपसे साझा कर लेता हूँ-
पहली बात - दौलतमंद बनना उनका लक्ष्य नहीं था
अमीर बनने के लिए आप दो तरीक़े अपना सकते हैं। पहला, आपने अमीर बनने वाले हर तरीक़े, हर उस क्षेत्र में हाथ आज़माया जिसमें आप कार्य कर सकते थे। दूसरे समूह में वो लोग थे जिन्होंने अपने पसंदीदा काम को अपने पेशे के रूप में अपनाया था।
जिन-जिन लोगों ने दौलत के पीछे भागने का फ़ैसला लिया था उनमें से ज़्यादातर लोग असफल हुए और इसके विपरीत जिन्होंने अपने पसंदीदा काम को अपने पेशे के रूप में अपनाया वह अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ बन अमीर बनने के अपने लक्ष्य में सफल हो गए।
दूसरी बात - पैसे के प्रदर्शन की जगह निवेश पर ध्यान दिया
इन सफल लोगों में एक और बात देखने को मिली। सफल होने के बाद इन्होंने कभी पैसे का प्रदर्शन नहीं किया अपितु अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी विशेषज्ञता पर ही लगाया और कमाए गए पैसे को सही तरीक़े से निवेश किया। इसका फ़ायदा यह हुआ कि काम करने के 15-20 वर्ष बाद जब उन्होंने अपनी फ़ायनेनशियल स्थिति को देखा तो उन सभी की नेटवर्थ एक मिलियन डॉलर से ज़्यादा थी।
तीसरी बात - धैर्य से काम किया
दोस्तों, तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जो इन सभी लोगों में एक सामान थी, वह था धैर्य। इन सभी का मानना था कि सब्र, ईश्वर का हमको दिया हुआ सबसे बड़ा वरदान है। इसका अर्थ यह क़तई नहीं है कि हम हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाएँ और किसी ईश्वरीय चमत्कार होने का इंतज़ार करें। सब्र या धैर्य का सही अर्थ है शांति के साथ, एक बार में सिर्फ़ एक काम करना और फिर अपने पक्ष में परिणाम पाने के लिए हड़बड़ाहट ना करना, जल्दबाज़ी ना मचाना। यह सभी लोग नकारात्मक परिणाम को भी शांति के साथ ही स्वीकारते थे। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता था कि इन्हें किसी भी परिस्थिति में निराशा नहीं होती थी। वैसे भी कहा गया है अगर एक समय में दो काम करेंगे तो उसमें से एक भी पूरा नहीं होगा।
चौथी बात - वे दान के महत्व को जानते थे
दोस्तों, सोचकर देखिए दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक बिल गेट्स जिनके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है, क्या वे विलासिता पूर्ण जीवन नहीं जी सकते हैं? बिलकुल जी सकते हैं, लेकिन सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने दान देने के रास्ते को चुना। बिल गेट्स की पत्नी मेलिंडा गेट्स कहती हैं, ‘मेरे पति ने दान देने का रास्ता इसलिए चुना क्यूँकि इससे उन्हें शांति मिलती है।’ इसका अर्थ यह हुआ दोस्तों पैसा या सुख के संसाधन या विलासिता पूर्ण जीवन से कई गुना ज़्यादा ज़रूरी मानसिक शांति और आत्मिक संतुष्टि है। जिसके पास यह होती है वह जीवन में असल में सुखी रह पाता है। इसीलिए तो कहा गया है जो भी हमें मिलता है या हम पाते है, उससे सिर्फ़ हमारी आजीविका चलती है लेकिन अगर जीवन बनाना है तो देना शुरू कीजिए।
पाँचवी बात - वे ईर्ष्या से होने वाले नुक़सान से परिचित थे
कहते हैं ना किसी से ईर्ष्या करना वैसा ही है जैसे किसी चूहे से छुटकारा पाने के लिए खुद का घर जलाना। जी हाँ दोस्तों, ईर्ष्या सबसे ज़्यादा खुद का ही नुक़सान करती है, आपके अंदर नकारात्मक भाव उत्पन्न करती है क्यूँकि सामने वाले को तो पता तक नहीं होता है कि आपके मन में क्या चल रहा है या आप उसके बारे में क्या सोचते हैं। ईर्ष्या आपके अंदर तुलना का भाव उत्पन्न करती है। आप दूसरों के पास उपलब्ध संसाधनों, सुविधाओं या कौशल की तुलना, खुद से करने लगते हैं और इस तुलना के चक्कर में जो आपके पास है उसका मज़ा लेने से चूक जाते हैं।
उन 1500 लोगों में से जो मिलिनेयर बने थे, उनका पूरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद की योग्यता, क्षमता और पसंद पर था। उन्होंने उसमें ही खुद को निखारा और उसी में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। वैसे भी दोस्तों मार्टिन लूथर किंग ने कहा है, “नफ़रत जीवन को पंगु बनाती है और प्रेम आपको इससे मुक्त करता है। नफ़रत जीवन को दुविधाग्रस्त बनाती है और प्रेम इसमें सामंजस्य बैठाता है। नफ़रत जीवन को अंधकार मय बनाती है और प्रेम इसे प्रकाशित करता है।" इसलिए दोस्तों अगर किसी के जैसा बनाना है तो उससे तुलना करने, ईर्ष्या करने के स्थान पर उसके गुणों को अपनाना शुरू कर दीजिए। जिस तरह उन्होंने किसी क्षेत्र में स्वयं को श्रेष्ठ बनाया है उसी तरह आप भी उस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करना शुरू कर दीजिए, यही क्वालिटी आपको सफलता दिलाएगी।
छठी बात - वे अपने अंदर मेंटल ब्लॉक नहीं बनने देते
सफल लोग अपने मन में किसी भी प्रकार की दुविधा, नकारात्मक पिक्चर नहीं रखते। उन्हें अपनी सफलता, अपने सपने हमेशा सच होते हुए दिखाई दिखते हैं, वे सफलता को सकारात्मक रूप से विज़ुअलाइज़ करके देखते हैं, ऐसा करना उनके मन में खुद की क्षमताओं, उपलब्ध संसाधनों के प्रति किसी प्रकार की दुविधा पैदा नहीं करता है। जब आप किसी चीज़ को दिल से पाने का प्रयास करते हैं और अपनी सारी सकारात्मक ऊर्जा उस दिशा में लगा देते हैं, तो प्रकृति भी उस चीज़ को पाने में आपकी मदद करती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर