फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
असफलता को सफलता में बदलने के 10 सूत्र - भाग 1


Dec 2, 2021
असफलता को सफलता में बदलने के 10 सूत्र - भाग 1
‘सफलता’, एक ऐसी चीज़ है जिसे हर कोई पाना चाहता है और इसके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास भी करता है। लेकिन दोस्तों इस प्रयास में हर कोई सफल नहीं हो पाता है। कहते हैं, अगर सौ लोग सफलता का लक्ष्य लेकर चलते हैं तो उनमें से कोई 2 लोग ही सफल हो पाते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है दोस्तों कि इन 98 असफल लोगों की क्षमताओं में कोई कमी थी। मेरा मानना है कि ईश्वर ने हम सभी को विजेता बनने के लिए आवश्यक क्षमताओं के साथ ही इस दुनिया में भेजा है। फिर क्या कारण है कि मात्र 2 प्रतिशत लोग ही सफल हो पाते हैं?
चलिए आपको राज की बात बता देता हूँ, असल में सफल और विजेता दिखने वाले यह 2% लोग भी पहले असफल हुए थे लेकिन इन्हें पता था कि जीतने या सफल होने का रास्ता असफलता से होते हुए जाता है। इसलिए इन्होंने परिस्थितियों, लोगों को कोसने के स्थान पर हार को खुले मन से स्वीकार किया। जब आप हार को भी जीत की ही भाँति स्वीकारते हो, तब आप उससे सीख कर, तमाम अनिश्चितताओं के बाद भी जोखिम उठाने के लिए तैयार रहते हो। आइए, आज हम हार को जीत में बदलने के 10 सूत्रों में से प्रथम 3 सूत्र सीखते हैं-
पहला सूत्र - हार हो या जीत यह मंज़िल नहीं, एक पड़ाव है
अकसर लोग सफल होने पर खुद को बेताज बादशाह मान लेते हैं और असफल होने पर उसे अंतिम परिणाम। याद रखिए सफलता या असफलता दोनों ही तात्कालिक, उस वक्त लिए गए निर्णय और किए गए कार्य का परिणाम है। दोनों को ही दिमाग़ और दिल में जगह देना नुक़सानदायक है। इसके स्थान पर इन्हें स्वीकार कर, सीख लेकर आगे बढ़ना लाभदायक रहता है। अर्थात् सफलता मिली है तो उस निर्णय, उस कार्य को बार-बार दोहराएँ और अगर असफल रहे हैं तो उससे सीखें और सुधार करें और जीवन में आगे बढ़ जाएँ। याद रखें स्वीकार्यता का भाव रखना आपको ज़मीन से जोड़े रखता है।
दूसरा सूत्र - निराश ना होना
दोस्तों कई बार आप जो चाहते हैं, जिसके लिए काम करते हैं अपना सर्वस्व देने का प्रयास करते हैं, लेकिन उसके बाद भी वह परिणाम नहीं मिलता, जिसकी आप आस लगाए बैठे रहते हैं। ऐसे में अगर अपनी भावनाओं को सही तरीक़े से नियंत्रित ना किया जाए तो हम नकारात्मक विचारों के जाल में उलझ जाते हैं और सोचने लगते हैं कि, ‘मैं कभी सफल नहीं हो पाऊँगा, चीज़ें कभी बदलने वाली नहीं हैं, मेरी तो क़िस्मत ही फूटी हुई है, लोग क्या कहेंगे, घर वालों को मुँह दिखाने के काबिल भी नहीं रहा हूँ, वे मुझ पर विश्वास भी कर पाएँगे या मैं उनको कभी मुँह भी दिखा पाऊँगा।’ आदि।
इस नकारात्मक विचारों के जाल से बचने के लिए आपको सम्भावनाओं पर विचार करना होगा। लेकिन अगर आप नकारात्मक विचारों के जाल में पहले से ही उलझे हुए हैं तो इसे तोड़ने के लिए आप उन कार्यों को याद करें या लिखें जिन्हें आप एक बच्चे के रूप में करना पसंद करते थे। अब बस इस पर तत्काल कार्य करना शुरू कर दें। ऐसा करना आपको नकारात्मक विचारों की कड़ी को तोड़ने में मदद करेगा।
तीसरा सूत्र - सीखने के लिए तैयार रहें
दोस्तों अगर जीतना चाहते हैं तो सीखना जारी रखें, फिर भले ही असफलता का ही दौर क्यूँ ना हो। जब सफलता आपकी मेहनत का परिणाम है तो असफलता भी आपके द्वारा लिए गए निर्णयों, किए गए कार्यों का ही परिणाम है। अगर आप जीवन में वाक़ई आगे बढ़ना चाहते हैं तो अपनी सफलता और असफलता दोनों की ही ज़िम्मेदारी उठाएँ।
वैसे भी दोस्तों, मेरा मानना है कि असफलता से अच्छा शिक्षक कोई और हो ही नहीं सकता और हमेशा सीखना या सीखने के लिए तैयार रहना, आपके लिए सफलता के नए आयामों को खोलता है। अब जब भी बाज़ार जाएँ किताबों की दुकान पर भी जाएँ और देखें कौन सी किताब आपको आकर्षित करती है, उसे ख़रीदें और पढ़ें, उससे सीखें। इसके अलावा जहां भी जाएँ, जिससे भी मिलें, कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करें। सीखना आपको और बेहतर बनने का मौक़ा देता है।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम अगले चार सूत्र सीखेंगे।
-निर्मल भटनागर
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