फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
आइए बनाएँ शांतिपूर्ण सुखी जीवन


Dec 21, 2021
आइए बनाएँ शांतिपूर्ण सुखी जीवन !!!
आइए दोस्तों आज के लेख की शुरुआत एक काल्पनिक घटना के साथ करते हैं। मान लीजिए आपको आपके एक मित्र, जो कि शहर के एक प्रतिष्ठित नागरिक और बहुत बड़े व्यवसायी हैं, के द्वारा एक पार्टी के लिए आमंत्रित किया गया। आप इस आमंत्रण को पाकर बड़े खुश थे और कई दिन पहले से ही इस पार्टी में जाने के लिए तैयारियाँ कर रहे थे।
तय दिन बड़े मनोयोग से आपने अपने सबसे अच्छे कपड़े निकाले उन्हें पहना और पार्टी में पहुँच गए। पार्टी उनके महलनुमा घर के ड्रॉइंग रूम में थी, जिसे ईरान से लाए गए एक बेहतरीन क़ालीन, इटालियन फ़र्निचर जैसी कई क़ीमती चीजों से सजाया गया था। पार्टी शुरू होते ही सभी मेहमानों को एक बहुत महँगे कप में गरमा-गर्म सूप सर्व किया गया। आप अपने एक मित्र के साथ उस माहौल और लज़ीज़ सूप का मज़ा ही ले रहे थे कि अचानक से पार्टी में कोई सज्जन आपसे टकरा गए और आपके हाथ से सूप का प्याला छूट गया और सूप आपके सूट और मित्र के ड्रॉइंग रूम के शानदार क़ालीन पर गिर गया। सूप का प्याला गिरने की आवाज़ सुनते ही आपके मित्र दौड़ते हुए आपके पास आए और आपसे पूछा, ‘मित्र, क्या हुआ और यह सूप कैसे गिर गया?’ अब आपका जवाब क्या होगा?
दोस्तों निश्चित तौर पर आप कहेंगे, ‘कुछ नहीं मित्र, किसी के टकराने की वजह से सारा सूप गिर गया।’ सही है ना… मेरी नज़र में दोस्तों यह बिलकुल ग़लत उत्तर है। सूप आपके सूट और कार्पेट पर इसलिए गिरा क्यूंकि प्याले में सूप भरा हुआ था। अगर उस प्याले में सूप के स्थान पर कोई अन्य चीज़ जैसे मिठाई या दही बड़ा होता, तो उन सज्जन के टकराने पर वह गिरा होता। सही है ना साथियों, उस प्याले में जो होगा वही तो टकराने पर गिरेगा।
ठीक यही तो हमारे साथ भी होता है। जब हमें धोखों, विपरीत परिस्थितियों अथवा असफलताओं के रूप में ठोकर लगती है तो हमारे अंदर से भी वही बाहर निकलता है, जो हमारे अंदर होता है। शायद आप अभी मेरी बात अच्छे से समझ नहीं पाएँ होंगे। चलिए इसे थोड़ा गहराई से समझते हैं।
कई बार आपने देखा होगा जिन परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं उन्हीं परिस्थितियों में कुछ लोग निखरकर और बेहतर बन जाते हैं। जब परिस्थितियों एक जैसी थी तो फिर यह अंतर कैसे आ गया? तो जवाब है दोस्तों, धोखों, विपरीत परिस्थितियों और असफलताओं के रूप में लगी ठोकर के बाद आपके अंदर से क्या छलका था अर्थात् उन्हें देखने का आपका नज़रिया क्या था?
अगर आप अपने जीवन में हर पल आगे बढ़ना चाहते हैं, हर पल खुश रहना चाहते हैं तो सबसे पहले यह देखिए कि आपके प्याले के अंदर क्या है। खुशी, कृतज्ञता, शांति, नम्रता, पारदर्शिता और निष्पक्षता अथवा क्रोध, कटुता, कटु वचन, घृणा, प्रतिशोध और नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ। यह जानना इसलिए ज़रूरी है दोस्तों क्यूँकि आपके प्याले में जो होगा वही तय करेगा कि आपके विचार, आपके निर्णय, लोगों, समस्याओं एवं परिस्थितियों को देखने का आपका नज़रिया, मूल्यांकन करने का तरीक़ा एकदम स्पष्ट और विवेक आधारित है या नहीं। कार्य को करने का आपका उद्देश्य, उद्देश्यपूर्ण है भी या नहीं। आप पारदर्शी रहते हुए स्थिति को देख रहे हैं, निर्णय ले रहे हैं अथवा आपके निर्णय तिरस्कार, घृणा, विद्वेष पूर्ण व्यवहार, भाई-भतीजावाद पर आधारित हैं। आपका अंतःकरण जागृत है या मृत है।
जी हाँ दोस्तों, अगर हम अपने कर्मों, अपने शब्दों, अपनी प्रतिक्रियाओं पर नज़र रखने लगें तो भी पता चल जाएगा कि हमारे प्याले में क्या है क्यूँकि हमारे दिल में जो भी प्रचुर मात्रा में होता है वही हमारे शब्दों, हमारी प्रतिक्रियाओं या कर्मों में झलकता है। आइए साथियों, आज से अपने प्याले में कृतज्ञता, क्षमा, आनंद, खुद के लिए सकारात्मक अफ़रमेशंस, दयालुता, सही उद्देश्य और विवेक पूर्ण नज़रिए से भरते हैं, क्यूँकि साथियों खुश और शांति के साथ जीवन जीने का यही एकमात्र तरीक़ा है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर