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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

आत्मनिर्भर जीवनशैली अपनाने के 5 नियम

आत्मनिर्भर जीवनशैली अपनाने के 5 नियम
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May 13, 2021

आत्मनिर्भर जीवनशैली अपनाने के 5 नियम…


दोस्तों कल के लेख पर ज़्यादातर पाठकों ने मुझसे एक ही प्रश्न किया, ‘सर ‘सेल्फ़ सस्टेनेबल लिविंग’ या ‘पर्यावरण के अनुकूल घर (ईको फ़्रेंड्ली होम)’ का विचार तो बहुत अच्छा है और कहीं ना कहीं इसकी ज़रूरत हम सभी को है। यह हमारे लिए फ़ायदेमंद है लेकिन दिक़्क़त यह है कि समझ नहीं आता कि शुरुआत कहाँ से करें?’

सच कहूँ तो इस प्रश्न ने कुछ वर्ष पहले मुझे भी काफ़ी परेशान करा था। लेकिन मुझे सिर्फ़ इतना समझ आया था कि अगर बेहतरीन, गुणवत्तापूर्ण जीवन जीना है तो अपनी जीवनशैली को बदलना होगा। इस एक विचार के साथ मैंने कुछ छोटे-मोटे  परिवर्तन अपनी सोच और दिनचर्या में करना शुरू करे और अंततः परिवर्तन के पहले पड़ाव तक पहुँच पाया हूँ हालाँकि अभी लम्बा सफ़र बाक़ी है लेकिन दोस्तों पर्यावरण के अनुकूल घर बनाकर ‘सेल्फ़ सस्टेनेबल लिविंग’ की ओर धीरे-धीरे बढ़ने के लिए मैं निम्न 5 बिंदुओं पर कार्य करते हुए अपनी जीवन शैली में परिवर्तन ला रहा हूँ। अगर आप भी इस जीवनशैली को अपनाना चाहते हैं तो यह 5 बिंदु आपके लिए रोडमैप का कार्य कर सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं-

  1. अपनी परिभाषा गढ़ें
    दोस्तों हम सभी किसी ना किसी बंधन में बंधे रहते हुए अपना जीवन जीते हैं इसलिए अपनी जीवनशैली को सौ प्रतिशत बदलना सम्भव नहीं होता है। ऐसे में आपके दृष्टिकोण या आपकी नज़रों में ‘पर्यावरण के अनुकूल घर’ बनाकर ‘सेल्फ़ सस्टेनेबल’ जीवन जीना क्या है, इसकी अपनी परिभाषा बनाएँ। यह बहुत सीमित भी हो सकती है जैसे अभी में सिर्फ़ बिजली, पानी या अपनी सब्ज़ी के लिए आत्मनिर्भर बनूँगा आदि या आप ऐसी नौकरी कर रहे हैं जिसमें स्थानांतरण होता है तो आपके लिए इसकी परिभाषा क्या होगी? ऐसा करना आपको धीरे-धीरे इस विचार से जोड़कर, छोटे लक्ष्य पूरे करने में मदद करता है जो अंततः आपको बड़े लक्ष्य पूरा करने की शक्ति और नज़रिया देकर सफल बना देता है।

  2. मितव्ययिता वाली जीवन शैली अपनाएँ
    पर्यावरण के अनुकूल घर बनाकर ‘सेल्फ़ सस्टेनेबल लिविंग’ के लक्ष्य को पाने के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है अपनी ज़रूरतों को कम करना। अगर आपकी जीवनशैली विलासिता वाली है तो आपके लिए आत्मनिर्भर रहते हुए जीवन यापन करना मुश्किल है। यदि आप अपने सीमित साधनों के भीतर रहकर आत्मनिर्भर या ‘सेल्फ़ सस्टेनेबल लिविंग’ की जीवनशैली अपनाना चाहते हैं या उसकी शुरुआत करना चाहते हैं तो अपनी ज़रूरतों को निम्नतम स्तर तक ले आएँ, हर जगह पैसे बचाने के नज़रिए से या उपलब्ध संसाधनों से काम चलाने की आदत बनाएँ। बाहरी सहायता या संसाधनों के बिना अपनी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करें। इसे बिजली, पानी, रहने और खाने सभी पर भी लागू करें।

  3. जो लोग इस जीवनशैली के साथ जीवन जी रहे हैं उनसे संगत करें और अपना ज्ञान बढ़ाएँ
    कहते हैं ना, ‘संगत, रंगत बदल देती है’ या ‘ख़रबूज़े को देख, ख़रबूज़ा रंग बदलता है’ ठीक उसी तरह दोस्तों पर्यावरण के अनुकूल घर बनाकर ‘सेल्फ़ सस्टेनेबल लिविंग’ वाली जीवन शैली जी रहे लोगों के बीच रहना, उनके साथ समय बिताना आपका इस जीवनशैली से परिचय करवाता है। इस जीवनशैली पर आधारित किताबें पढ़ें, ऐसे विडियो देखकर अपना ज्ञान बढ़ाएँ। इसे मैं आपको अपने उदाहरण से समझाता हूँ, जनक दीदी, राजेंद्र सिंह जी, निक्की जी, गोविंद जी आदि से कुछ वर्ष पूर्व मिलने के बाद मुझे पर्यावरण में मौजूद चीजों के उपयोग से होने वाले फ़ायदों के बारे में पता चला। इसके बाद मैंने प्राकृतिक तरीक़े से उगाए गए अनाज, फल, मसाले और इनसे बनाए गए उत्पाद जैसे तेल आदि का उपयोग करना चालू कर दिया और केमिकल वाली चीजों से दूरी बनाने का प्रयास करा। इसका एक और फ़ायदा है दोस्तों, वे आपको अच्छा प्राकृतिक सामान कहाँ से उपलब्ध हो सकता है यह भी बताते हैं। इसलिए दोस्तों संगत बदलना आपको इस जीवनशैली से धीरे-धीरे जोड़ देता है।

  4. जीवनशैली में छोटे-छोटे परिवर्तन तुरंत लाएँ
    आप फ़्लैट में रहते हैं, रो हाउस या बंगले में रहते है, वह आपका है या किराए का या फिर आप इस घर को किसी बड़े घर से जल्द ही बदलने का प्लान बना रहे हैं। ऐसे किसी भी कारण की चिंता ना करें बल्कि बिंदु एक में बनाई अपनी परिभाषा के अनुसार अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाने का प्रयास करें। याद रखिएगा, परिवर्तन के लिए सौ प्रतिशत अनुकूल समय मिलना असम्भव ही है। अगर किराए का घर है और आप सब्ज़ी में आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं तो गमले में उगाएँ, फ़्लैट है तो बालकनी का उपयोग करें। जितनी भी अतिरिक्त जगह आपके पास है उसका पूरा सदुपयोग करने का प्रयास करें।

    अगर आप बार-बार बड़े या नए घर लेकर उसमें रहना पसंद करते हैं तो अपनी आदत बदलें और अपने घर को ही अपनी ज़रूरत पूरी करने लायक़ बनाएँ। जैसे सौर ऊर्जा से बिजली और खाना बनाना, अपनी सब्ज़ी खुद उगाना और मौसम के अनुकूल जो उगा है उसे खाना, अतिरिक्त उपलब्ध संसाधनों से पैसे कमाना आदि।

  5. सादा और सरल जीवन जीएँ
    दोस्तों शायद यह सबसे कठिन परिवर्तन है जो हमें अपने जीवन में लाना होता है। आमतौर पर हम छोटे-छोटे कामों के लिए भी सहायकों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इस जीवन शैली में आपको अपनी निर्भरता बिलकुल ख़त्म या कम से कम करना होती है। फिर चाहे वो निर्भरता संसाधनों पर हो या लोगों पर। सादगी या सरल जीवनशैली का एक और फ़ायदा है यह लंबे समय तक बहुत सारा पैसा बचाने में मदद करती है। साधारण जीवनशैली अपनाएँ, जितना कम में सम्भव हो अपना काम चलाएँ और अपने पैसे, ऊर्जा और शरीर को बचाएँ।

दोस्तों इन सबके अलावा एक और महत्वपूर्ण कार्य करना मत भूलिएगा, पर्यावरण के अनुकूल घर बनाकर सेल्फ़ सस्टेनेबल जीवन जीने के अपने लक्ष्य में धीरे-धीरे अपने परिवार को भी साथ लीजिएगा। अगर परिवार में आपसे कोई सहमत नहीं है तो अपनी बात थोपने के स्थान पर, उन्हें उनके अनुसार जीवन जीने का मौक़ा दीजिएगा। अगर सम्भव हो तो कभी-कभी या सप्ताह में एक बार उनके अनुसार भी जिएँ। ऐसा करना परिवार को अनावश्यक तनाव से बचाता है। उन्हें धीरे-धीरे अपने विचार के क़रीब लाएँ और उन्हें अपने पूर्वजों या अपने आस-पास मौजूद लोगों की कहानी बताकर एहसास कराएँ कि खुश रहने का एक मूल मंत्र यह भी है कि अपनी ज़रूरतों को कम करके आत्मनिर्भर बना जाए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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