फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
आपकी आदतें आपके जीवन का निर्माण करती है
Sep 15, 2021
आपकी आदतें आपके जीवन का निर्माण करती है!!!
दोस्तों सपने देखना और उन्हें हक़ीक़त में पूरे करना दो अलग-अलग काम हैं। अगर देखे हुए सपनों को पूरा करना है तो आपको अपने कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलकर कार्य करना होगा क्यूंकि कम्फ़र्ट ज़ोन में रहना मतलब उन्हीं कार्यों को करना जो अभी तक करते आ रहे हैं और अगर आप आज भी वही कर रहे हैं, जो अभी तक करते आए हैं तो आपको परिणाम भी वही मिलेगा जो अभी तक मिलता आया है। दोस्तों अगर किसी नए लक्ष्य को पाना है तो आपको कुछ नई आदतों को अपने अंदर विकसित करना होगा।
इस रविवार युवाओं के एक समूह को जब मैंने उक्त बात समझाई तो उन युवाओं में से एक ने मुझसे बहुत ही बढ़िया प्रश्न करा, ‘सर, आप बिलकुल सही कह रहे हैं। आज आपकी बात और बताए हुए तरीक़े बहुत अच्छे और आसान लग रहे हैं। हम इस पर काम भी करेंगे, लेकिन कुछ ही दिनों में हम वापस अपने पुराने ढर्रे पर लौट आएँगे। क्या आप हमें कोई ऐसा तरीक़ा बता सकते हैं जिससे अपने मोटिवेशन लेवल को बरकरार रख नई आदतें विकसित की जा सकें।’
दोस्तों, प्रश्न उस बच्चे का ज़रूर था पर निश्चित तौर पर आप भी इसका जवाब पाना चाहते होंगे क्यूंकि हमारे साथ भी तो अकसर ऐसा ही होता है। हम भी नए नए लक्ष्य बनाते हैं, उन्हें पूरा करने के लिए कार्य करते हैं पर कुछ ही दिनों में सब कुछ भूल कर पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं। उदाहरण के लिए पूर्व में सुबह उठकर घूमने, योगा करने या जिम जाने के लक्ष्य को ही देख लीजिए, जाने कितनी बार लोगों ने इसे नए साल या अपने जन्मदिन के दिन लिए गए संकल्प से जोड़ा है पर कम्फ़र्ट ज़ोन ना छोड़ पाने की वजह से वे खुद से किए इस वायदे को ज़्यादा दिन तक निभा नहीं पाए हैं। तो क्या यह माना जाए कि ‘नई आदतों को अपने अंदर विकसित करना बहुत मुश्किल है?’ बिलकुल नहीं दोस्तों, आपको बस 21/90 नियम को काम में लेना सीखना होगा। 21/90 नियम को समझाने के पहले मैं आपको एक मज़ेदार छोटी सी कहानी सुनाता हूँ।
बहुत साल पहले की बात है एक सज्जन अपने गुरु के पास गए और उनसे प्रश्न करते हुए बोले, ‘गुरुजी, क्या आप मुझे अपने मन को वश में करना सिखा सकते हैं?’ गुरु उसका प्रश्न सुनते ही मुस्कुराए और उससे बोले, ‘मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर ज़रूर दूँगा पर तुम्हें एक सप्ताह तक इन दोनों कुत्ते के पिल्लों की देखभाल करना होगी, इन्हें अपने साथ रखना होगा।’
शिष्य को कुछ समझ नहीं आया। पर गुरुजी की बात की अवहेलना करना भी उसके लिए सम्भव नहीं था। गुरुजी को प्रणाम कर वह उठा और 2 पिल्लों को पकड़ लाया और उन्हें अपने साथ रखने के लिए अपने कमरे में छोड़ दिया। छूटते ही दोनों पिल्ले वापस से अपने पुराने स्थान पर लौट आए। वह फिर उन पिल्लों के पास गया और उन्हें पकड़कर ले आया लेकिन मौक़ा मिलते ही पिल्ले वापस भाग जाते थे। थोड़ी ही देर में वह परेशान हो गया और सोचने लगा कि आख़िर क्या किया जाए जिससे पिल्ले वापस ना जाएँ।
अचानक उसे एक विचार कौंधा और उसने उन पिल्लों को दूध रोटी और बिस्किट खिलाना शुरू कर दिया। एक-दो दिनों में ही पिल्लों की उससे अच्छी दोस्ती हो गई अब वह जहां भी जाता था पिल्ले अपने आप उसके पीछे चले आते थे। उसे पता ही नहीं चला कि कब एक सप्ताह गुजर गया। तय प्लान के मुताबिक़ अपने प्रश्न का जवाब जानने के लिए वह वापस अपने गुरु के पास पहुँचा, उसके पीछे-पीछे दोनों पिल्ले भी गुरु के पास पहुँच गए।
दोनों पिल्लों को साथ देख गुरु उससे बोले, ‘तुम्हारे प्रश्न का जवाब मुझे मिल गया है। बस ज़रा इन पिल्लों को यहाँ से भगा दो तो मैं तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का जवाब दे देता हूँ।’ गुरु के आदेशानुसार शिष्य ने बहुत प्रयास करा लेकिन वह पिल्ले बार-बार भगाने के बाद भी लौटकर वापस आ रहे थे।’ शिष्य को परेशान होता देख गुरु बोले, ‘देखो शुरू में यही पिल्ले तुम्हारे पास रुकने को राज़ी नहीं थे और अब तुम्हारे भगाने पर भी तुम्हें छोड़कर यह यहाँ से जाने को राज़ी नहीं हैं। इनमें यह परिवर्तन आया कैसे? निश्चित तौर पर अपना सौ प्रतिशत ध्यान, समय और प्रयास इन पर लगाने की वजह से। ठीक इसी तरह अपने मन को वश में करने के लिए शुरू में तुम्हें सभी विषमताओं का सामना करते हुए प्रयास करना होगा, लेकिन कुछ ही दिनों में तुम अपने मन पर क़ाबू करना सीख जाओगे। शिष्य को मन को वश में करने का मर्म समझ में आ गया था उसने गुरु को प्रणाम करा और उनसे आज्ञा लेकर वापस आ गया।
दोस्तों ठीक इसी कहानी के समान 21/90 का नियम काम करता है। इस नियम के मुताबिक़ किसी भी नई आदत को बनाने में 21 दिन लगते हैं और उस आदत को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने में 90 दिन लगते हैं। इसे आसानी से अमल में लाने के लिए मैंने इसमें 7 दिन का एक पड़ाव और जोड़ दिया है। इस नए परिवर्तन के साथ मैं इसे आपको समझाने का प्रयास करता हूँ।
अगर आप अपने अंदर कोई नई आदत विकसित करना चाहते हैं तो उसके लिए लक्ष्य तय करें और उन्हें ऐक्शन में बदलकर उसे हर हाल में अगले 7 दिनों तक प्रयोग में लाते रहें। सातवें दिन, इन सातों दिनों की दिनचर्या का बारीकी से अध्ययन या विवेचना करें और नई चुनौतियों को ट्रिगर करने वाले बिंदुओं को पहचानें और फिर उन्हें दूर करते हुए अपने संकल्प पर अगले चौदह दिनों तक कार्य करते रहे। इससे आप 21 दिनों के अपने लक्ष्य को आसानी से पा लेंगे। 21 दिनों तक इस कार्य को दोहराते रहने से यह कार्य आपकी आदत बन जाएगा और अगर आप इसे नब्बे दिनों तक बिना रुके कर पाए तो यह कार्य आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाएगा और आप इस नई आदत के साथ अपने लक्ष्य को पूर्ण कर पाएँगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर