फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
आस्था की शक्ति


Feb 23, 2022
आस्था की शक्ति !!!
हाल ही में एक बच्चे की काउन्सलिंग के दौरान बड़ी अजीब सी स्थिति से दो-चार होना पड़ा। दरअसल वह बच्चा अपने कैरियर को लेकर काफ़ी परेशान चल रहा था। उसकी परेशानी को देख एक सज्जन ने उसे मुझसे चर्चा करने या काउन्सलिंग कराने के लिए कहा। तय दिन, तय समय पर वह बच्चा अपने पिता के साथ काउन्सलिंग के लिए मेरे पास आया। शुरुआती बातचीत के दौरान मुझे एहसास हुआ कि वह बहुत अधिक तार्किक और शक्की मिज़ाज का है। वह मेरी कही हर बात की सत्यता को परखने के लिए उसे बार-बार इंटरनेट पर सर्च कर रहा था। साथ ही बातचीत के दौरान उसने अपने माता-पिता को कई बार दोष देते हुए कहा कि उन्होंने उसके लिए कभी कुछ किया ही नहीं है। उसे सिर्फ़ माता-पिता से ही नहीं बल्कि शिक्षक, विद्यालय और अपनी क़िस्मत, सभी से समस्या थी।
वैसे दोस्तों गूगल जनरेशन के बच्चों में यह आदत बड़ी सामान्य है। वे इस तथ्य को नहीं समझ पाते हैं कि इंटरनेट पर उपलब्ध सभी जानकारी सही नहीं होती है और दूसरा जीवन में सब कुछ थाली में सजा हुआ नहीं मिलता। दोस्तों मेरा मानना है, दूसरों को दोष देने से कुछ नहीं होता। साथ ही जब तक आपकी आस्था, आपका विश्वास किसी व्यक्ति, किसी विचार पर नहीं होगा वह आपके लिए काम नहीं करेगा और जब आपका यह अविश्वास आपके माता-पिता और शिक्षक के प्रति हो तो समस्या और विकट हो जाती है। मैंने एक कहानी के माध्यम से उसकी समस्या का समाधान करा, जो इस प्रकार थी-
एक बहुत पहुंचे हुए संत अपने आश्रम में शिष्यों और सेवकों के साथ रहते थे। एक दिन एक सेवक ने गुरुजी से निवेदन किया कि अगले माह मेरी छोटी बहन की शादी है, अगर आप चलकर उसे आशीर्वाद देंगे तो बहुत अच्छा रहेगा। साथ ही उस सेवक ने शादी के लिए अपनी योजना अर्थात् शादी में जाने का दिन, वापस आने की तिथि, ज़िम्मेदारियों आदि के विषय में गुरु को विस्तार से सब बता दिया।
उसकी बात सुनने के बाद गुरुजी ने साथ चलने में तो असमर्थता बताई साथ ही प्रश्न किया कि वह किस तरह शादी की तैयारी कर रहा है। बातों ही बातों में सेवक ने गुरुजी से मदद की आशा के बारे में भी कह दिया। पूरी बात सुनने के बाद गुरुजी बोले, ‘बेटा तेरी बहन की शादी भगवान बहुत धूमधाम से करवाएगा।’
सेवक ने इसे गुरु का आशीर्वाद मान सुन लिया और भूल गया। धीरे-धीरे शादी के दिन नज़दीक आते देख सेवक की घबराहट बढ़ने लगी। अब वह किसी ना किसी बहाने से हर तीसरे-चौथे दिन गुरुजी को मदद की करता और गुरुजी हर बार, ‘बेटा तेरी बहन की शादी भगवान बहुत धूमधाम से करवाएगा।’ कहकर बात खत्म कर देते थे।
ऐसा करते-करते सेवक के घर जाने का दिन आ गया। वह गुरु के पास गया और उनके पैर पड़के घर जाने की आज्ञा माँगी। उसे आस थी कि गुरुजी कुछ ना कुछ मदद तो करेंगे ही। लेकिन आशा के विपरीत गुरुजी ने दो सेवकों को उसके साथ जाने के लिए कहा और ताजे अनारों से भरी एक टोकरी देते हुए कहा, ‘जा बेटा, भगवान तेरी बहन की शादी इतनी धूमधाम से करेंगे कि दुनिया याद करेगी।’
शिष्य गुरु की शक्ति, दूरदर्शिता, आशीर्वाद का अंदाज़ा नहीं लगा पाया और अनमने मन से फलों की टोकरी और दो सेवकों सहित राजस्थान के रेतीले इलाक़े में स्थित अपने गाँव की ओर चल दिया। पूरे रास्ते उसने अपने साथियों से कुछ बात नहीं की सिवाय इसके कि, ‘गुरुजी को जब पता था कि मेरे पास कुछ भी नही है तो भी उन्होंने मेरी मदद क्यों नहीं की?’ सेवकों ने उसे ढाढ़स बँधाते हुए कहा, ‘गुरुजी ने कहा है तो कुछ ना कुछ तो हो ही जाएगा।’
ख़ैर, वह इसी पशोपेश में सोचते-सोचते अपने घर पहुँच गया और गुरुजी द्वारा दी गई अनार की टोकरी को घर के एक कोने में रख दिया। घर पर भी उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा था, वह पूरे समय व्यवस्था को लेकर परेशान रहता था। शादी के 3 दिन पूर्व अचानक उसे राजा द्वारा करवाई गई मुनादी सुनाई दी, ‘राजा को राजकुमारी के इलाज के लिए एक टोकरी अनार चाहिए। अगर किसी के भी पास हो तो कृपया मदद करे।’
मुनादी सुन युवक के मन में विचार आय कि वैसे भी उसके पास शादी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। फिर गुरुजी द्वारा दी गई इस एक अनार की टोकरी से क्या होगा? अगर इसे मैं राजा को दे दूँगा तो कम से कम राजकुमारी तो ठीक हो जाएगी। उसने उसी वक्त टोकरी उठाई और राजमहल जाकर राजा जी को दे दी। जैसे ही राजवैध ने अनार के रस से दवा बनाकर राजकुमारी को पिलाई वह ठीक हो गई।
राजकुमारी को स्वस्थ देख राजा खुश हो गए और बातचीत के दौरान उन्होंने उस युवा से गाँव आने की वजह पूछी। युवा ने पूरी बात कह सुनाई। राजा ने उसी वक्त उस युवा से कहा, ‘बिलकुल चिंता मत करो, तुम्हारी बहन भी हमारी बेटी के सामान है। हम उसकी ऐसी शादी करेंगे कि सारी दुनिया देखती रह जाएगी। इतना कहते ही राजा ने मंत्री से कहकर शादी का सारा इंतज़ाम करवा दिया। साथ ही उसे रहने के लिए घर, हीरे-जवाहरात, बारातियों के लिए बहुमूल्य उपहार आदि देकर विदा किया। बहन की अभूतपूर्व शादी करने के पश्चात उस युवा को गुरुजी की कही बात का ध्यान आया। अब उसे ग्लानि हो रही थी कि वह गुरुजी के बारे में क्या सोच रहा था और वे क्या निकले।
जी हाँ दोस्तों, आस्था और विश्वास आपकी बड़ी से बड़ी समस्या को चुटकी में हल करने की शक्ति रखता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर