फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
क्या खोया, क्या पाया


April 2, 2021
क्या खोया, क्या पाया!!!
त्यौहारों का एक फ़ायदा यह भी होता है कि यह निश्चित अंतराल पर अपने सभी परिचितों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने का मौक़ा दे देता है। ऐसा ही एक मौक़ा मुझे कुछ दिन पूर्व मिला, लम्बे अंतराल के बाद अपने एक बचपन के दोस्त से मुलाक़ात हुई। औपचारिक बातों से शुरू हुई बात जल्द ही पुराने दोस्तों तक पहुँच गई। यक़ीन मानिएगा, दोस्तों की उपलब्धियों के बारे में सुनकर सीना गर्व से चौड़ा हो गया था, कोई अब डॉक्टर, वैज्ञानिक, व्यापारी, उद्योगपति, शासकीय अधिकारी तो कोई मेरे जैसे शिक्षक की भूमिका में था। कुल मिलाकर सभी अपने-अपने लिहाज़ से अच्छा कर रहे थे। लेकिन जीवन की इस यात्रा में कुछ दोस्त हमेशा के लिए बिछड़कर कहीं दूर चले गए थे तो कुछ की सिर्फ़ हसीन यादें ही बची थी।
मित्रों की उपलब्धिया उनकी और अपने जीवन की उतार-चढ़ाव वाली यात्रा आँखों के सामने एक चलचित्र की भाँति चल रही थी, 15 मिनिट की यह मुलाक़ात कब 1 घंटे की हो गई, पता ही नहीं चला। इस चलचित्र को देखते समय मुझे अपना जीवन भी रिवर्स में चलता नज़र आया और ‘सफलता’ के चक्कर में क्या-क्या पीछे छूट गया स्पष्ट नज़र आ रहा था। अपनी जीवनयात्रा देखते वक़्त मुझे एक कहानी याद आ गई। दोस्तों आगे बढ़ने से पहले आपको वह कहानी सुना देता हूँ।
रामनरेश एक दिन अपने मित्र से मिलने के लिए उनके घर गए। घर पहुँचने पर मित्र के पुत्र ने रामनरेश को बताया कि पिताजी अभी खेत पर गए हैं।आप आराम से बैठिए, मैं उन्हें फ़ोन करके अभी बुला लेता हूँ। इसके बाद उनके पुत्र ने रामनरेश को आदरपूर्वक बैठाकर ससम्मान चाय-पानी उपलब्ध करवाया। बच्चे के संस्कार देख रामनरेश को बहुत अच्छा लगा, वे उसके साथ बात करने में मशगूल हो गए।
कुछ ही देर में मित्र खेत से वापस अपने घर पहुँच गया और घर पर रामनरेश को देख खुश हो गया। दोनों दोस्त बहुत ही आत्मीयता के साथ एक दूसरे से मिले, कुशलक्षेम पूछा, परिवार के बारे में बात करी। अचानक ही रामनरेश का ध्यान मित्र के पालतू कुत्ते की ओर गया, कुत्ता ज़ोर-ज़ोर से हाँफ रहा था। कुत्ते को हाँफता देख रामनरेश ने मित्र से प्रश्न किया, ‘क्या यह कुत्ता तुम्हारा है?’ मित्र ने हाँ में जवाब दिया। रामनरेश ने अगला प्रश्न किया, ‘क्या यह तुम्हारे साथ खेत से ही वापस आ रहा है?’ मित्र ने एक बार फिर हाँ में सर हिलाया। मित्र का हाँ में जवाब सुन रामनरेश दुविधा में पड़ गए, उन्होंने हाँफते कुत्ते की ओर देखते हुए मित्र से कहा, ‘फिर तो निश्चित तौर पर तुम्हारा खेत घर से काफ़ी दूर होगा?’ मित्र ने शांत रहते हुए जवाब दिया, ‘बिलकुल नहीं मित्र, एकदम पास ही मेरा खेत। लेकिन तुम ऐसा क्यूँ पूछ रहे हो?’
रामनरेश बोला, ‘फिर तो यह मेरे लिए आश्चर्य की बात है, तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों एक ही जगह से साथ-साथ आ रहे हो, लेकिन तुम्हारे चेहरे पर ज़रा सी भी थकान नज़र नहीं आ रही है जबकि तुम्हारा कुत्ता बुरी तरह हाँफ रहा है।’ किसान ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘हाँ तुम सही कह रहे हो मैं बिलकुल भी थका हुआ नहीं हूँ जबकि मेरा कुत्ता थक गया है। इसके पीछे बड़ा सीधा सा कारण है, मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूँ मगर मेरा कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है। वह आसपास के दूसरे कुत्तों को देख उनको भगाने, डराने के लिए भौंकता हुआ उनके पीछे दौड़ता था और फिर मेरे पास लौट आता था। फिर जैसे ही उसे अगला कुत्ता नज़र आता उसका यही क्रम फिर से शुरू हो जाता था। इसलिए वह थक गया है।’
दोस्तों मुझे बहुत अच्छे से समझ आ रहा था कि अगर मैंने अपने गुरु की बात मानकर अपने असली लक्ष्यों को नहीं पहचाना होता, तो आज मेरा हाल क्या होता। जीवन की शुरुआत हम बड़े सीधे-साधे से लक्ष्य लेकर करते है लेकिन जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं भटकना शुरू कर देते हैं। यही मेरे साथ भी हुआ था लेकिन गुरु के सटीक मार्गदर्शन से भटकने से बच गया था।
जी हाँ दोस्तों आज फिर एहसास हुआ कि ख़ुशियाँ पाना कितना आसान होता हैं लेकिन सब पाने की चाह में हम उसे कितना कठीन बना लेते हैं और भौतिक चीजों को जुटाने में मानसिक शांति, स्वास्थ्य, हंसी-ख़ुशी के हज़ारों पल जैसी असंख्य चीजों को लूटा देते हैं। यक़ीन मानिएगा दोस्तों सौ प्रतिशत जीना कठिन नहीं है, बस अपने जीवन जीने के तरीक़े में छोटे-मोटे बदलाव करने होंगे। सबसे मुख्य, स्पष्ट लक्ष्य बनाना और सीधे-सीधे रास्ते पर चलते हुए उसे पाना।
ऐसा करने के बाद भी रास्ते में भटकाव आएँगे, कुत्ते मिलेंगे लेकिन इन रास्ते में मिलने वाले कुत्तों को भौकने दो अन्यथा समय से पहले थक जाओगे, आप अपनी मंज़िल से दूर हो जाओगे। इसीलिए तो कहता हूँ दोस्तों, जब तक आपकी ख़ुशी संसाधनों पर निर्भर करती है, वह आपसे दूर है। अगर खुश रहना चाहते हो, तो ख़ुशी को अपना लक्ष्य बनाओ बाक़ी सब अपने आप मिल जाएगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com