फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
ख़ुशी का रहस्य : संतुलन
July 18, 2021
ख़ुशी का रहस्य : संतुलन
शनिवार शाम मुझे राज्य आनंद संस्थान, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल द्वारा ख़ुशहाल जीवन पर ऑनलाइन व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। सरकार और संस्था का अच्छा उद्देश्य देख मैंने कार्यक्रम की जानकारी अपने सोशल मीडिया पर साझा कर दी। उक्त पोस्ट को पढ़ मेरे बचपन के एक मित्र ने मुझे फ़ोन किया और मुझसे कहा, ‘यार, जीवन की बारह बजी हुई है, खुशहाल जीवन की कुछ टिप्स मुझे भी दे दे।’ मैंने उससे कहा तुम आज शाम को 5-7 बजे तक उस कार्यक्रम को अटेंड कर लो, अच्छा रहेगा। मित्र तपाक से बोला, ‘यार इतना समय कहाँ है, आज के सारे काम अधूरे पड़े हैं। इस समय में गाड़ी चला रहा हूँ, तू तो अभी शॉर्ट में बता दे कि खुश कैसे रहा जा सकता है?’
दोस्तों यह शब्द मेरे मित्र के ज़रूर थे लेकिन मैंने कई लोगों को ख़ुशी को इसी तरह, किसी बाज़ार में मिलने वाले सामान की तरह खोजते हुए पाया है। कभी हम उसे किसी एक चीज़ में तो कभी किसी दूसरी चीज़ में ढूँढते हैं। मैंने मित्र से कहा, ‘इतने कम समय में विषय को गहराई से समझाना तो कठिन होगा लेकिन मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर एक कहानी के माध्यम से देने का प्रयास करता हूँ।
बहुत साल पहले की बात है, एक युवा ने खुश रहने का तरीक़ा जानने के लिए दुनिया के सबसे समझदार इंसान से मिलने का निर्णय लिया। समझदार इंसान की खोज में उसने मैदानी, पहाड़ी और रेगिस्तानी सभी इलाक़े छान मारे, लेकिन उसे कहीं सफलता नहीं मिली। कोशिश करते-करते वह पहाड़ी के ऊपर स्थित एक गाँव में पहुँच गया। सभी गाँव वालों ने उसे पहाड़ी की चोटी पर रहने वाले एक व्यापारी के बारे में बताया कि वह इस इलाक़े का सबसे सभ्य और खुश इंसान है, वह तुम्हारे प्रश्नों का सही उत्तर दे सकता है।
गाँव वालों के सुझाव अनुसार वह उस व्यापारी के यहाँ पहुँच गया और उनसे अपनी दुविधा के बारे में पूछा। व्यापारी, जो उस वक्त अपने व्यवसायिक कार्य की वजह से व्यस्त था, ने उसे कुछ देर इंतज़ार करने के लिए कहा। लेकिन उस युवा के दिमाग़ में तो जल्दबाज़ी भरी थी और वैसे भी यह व्यापारी उसकी कल्पना कि बुद्धिमान व्यक्ति विनम्र और शांत जीवन शैली वाले ऋषि की तरह होगा, के एकदम विपरीत था। उसके मन में दुविधा थी कि कहीं वह इंतज़ार करके अपना समय तो बर्बाद नहीं कर रहा है? उसने एक बार फिर व्यापारी से वही प्रश्न करा।
इस बार उस व्यापारी ने कहा कि उसे फ़्री होने में कुछ और वक्त लगेगा, तब तक वह चाहे तो उसके सुंदर महल और बाहर के नैसर्गिक सौंदर्य का लुत्फ़ उठा सकता है। जैसे ही वह युवा घूमने के लिए जाने लगा उस व्यापारी ने उसे एक तेल से भरे चम्मच को देते हुए कहा, ‘आपको घूमते वक्त बस इस चम्मच को अपने साथ रखना है और ध्यान रखिएगा इसका तेल नीचे ना गिरे।’ उस युवा ने चम्मच हाथ में लिया और लगभग 1 घंटे बाद महल और बाहर का पूरा चक्कर लगा कर वापस आ गया।
वापस आते ही उस व्यापारी ने उससे पूछा, बाहर पोर्च में टंगी हुई पर्शियन लाइट उसे कैसी लगी? युवा ने कहा, ‘माफ़ कीजिएगा मैं उसे नहीं देख पाया।’ व्यापारी बोला, ‘कोई बात नहीं, पर आपने पहाड़ी के दाईं और खूबसूरत झरने और बाईं और सुंदर फूलों के बगीचे को तो देखा ही होगा।’ युवा अचंभित था, उसने माफ़ी माँगते हुए कहा, ‘मेरा उन पर ही नहीं बल्कि किसी भी चीज़ पर ध्यान नहीं गया क्यूंकि मेरा पूरा ध्यान तेल ना गिर जाए इस पर था।’
व्यापारी ने कहा कोई बात नहीं, ‘आप एक बार फिर कोशिश करके देखिए।’ युवा ने वैसा ही करा और जल्द ही बहुत ख़ुशी के साथ वापस आकर व्यापारी को देखी गई वस्तुओं के बारे में बताने लगा। उसकी बात पूरी होते ही व्यापारी ने उससे तेल के चम्मच के बारे में पूछा। युवा फिर हैरान था, इस बार घूमने और सब कुछ देखने के चक्कर में वह तेल के चम्मच के बारे में भूल ही गया था। उसने चम्मच डेका तो उस पर तेल नहीं था।’ युवा को परेशान देख वह व्यापारी बोला, ‘ख़ुशी का रहस्य इन्हीं दो घटनाओं में छुपा हुआ है। हमें दुनिया के सभी चमत्कारों को देखना है और साथ ही चम्मच में रखे तेल को भी गिरने नहीं देना है।’
जी हाँ दोस्तों असली ख़ुशी किसी भी परिस्थिति में सभी ज़िम्मेदारियों या चीजों के बीच संतुलन बनाने में है। फिर चाहे वह नौकरी, व्यापार, समाज की देखभाल, परिवार या नई चीजों के सीखने के बीच ही क्यों ना हो। कई बार हम दुनिया की चूहा दौड़ में खो जाते हैं और जीवन के असली मक़सद, ‘हर हाल में खुश रहना’ को भूल जाते हैं। और अपने जीवन को बर्बाद करने लगते हैं। दोस्तों जीवन में संतुलन बहुत ज़रूरी है, आप जो भी कर रहे हो, जिस हाल में हों उसके बाद भी संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है। विलियम मॉरिस की कही गई यह बात याद रखिएगा, ‘खुशी का असली रहस्य दैनिक जीवन के सभी विवरणों में वास्तविक रुचि लेने में निहित है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर