फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
ख़ुशी का समंदर, खुद के अंदर


Aug 11, 2021
ख़ुशी का समंदर, खुद के अंदर!!!
बेचैनी, हड़बड़ाहट, असुरक्षा की भावना, तनाव, अत्यधिक दबाव आदि कुछ ऐसे नकारात्मक भाव हैं जो सामान्यतः ज़्यादातर लोगों में देखे जा रहे हैं, विशेषकर आज के युवा वर्ग में। आख़िर क्या वजह है दोस्तों कि ब्लेस्ड़ माने जाने वाली यह पीढ़ी उन्हें मिली सुविधाओं, संसाधनों आदि के प्रति कृतज्ञ होने की जगह नकारात्मक भावों के साथ जीवन जी रही है।
वैसे हो सकता है दोस्तों, आप में से कुछ लोगों के मन में प्रश्न उठ रहा हो, ‘कृतज्ञता का भाव…, किस लिए?’ तो दोस्तों आगे बढ़ने से पहले संक्षेप में इसे समझ लेते हैं। हमारी या हमसे पहले वाली पीढ़ी को बुनियादी चीजों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। जैसे बिजली, पानी, सड़क के साथ-साथ हर जगह विद्यालय ना होने की वजह से शिक्षा ना मिल पाना जैसी बुनियादी चीजों के लिए भी परेशान होना पड़ता था।
इसके विपरीत आज के युवाओं को उनके माता-पिता जन्म से ही अच्छी सुख-सुविधाओं के साथ अच्छी शिक्षा भी सुनिश्चित कर रहे हैं। फिर आख़िर क्या वजह है कि यह पीढ़ी इन सभी संसाधनों के बाद भी परेशान रह रही है? तो दोस्तों मेरा जवाब है, आसपास मौजूद चकाचौंध वाली चीजों में खो जाने की वजह से सही प्राथमिकताओं का पता ना होना अर्थात् जीवन में असली सुख और शांति किन चीजों से मिल सकती है उसका भान ना होना। इसे मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
कई वर्ष पहले, जंगलों के बीच बसे एक छोटे से गाँव में एक बहुत ही दयालु महिला रहती थी। एक दिन सुबह की सैर के दौरान उसे रास्ते में चमचमाता हुआ एक पत्थर दिखा। महिला उस सुंदर से, चमकते हुए पत्थर को उठाकर अपने घर ले आयी और उसे सजाकर एक अलमारी में रख दिया।
एक दिन उस महिला को घर के रास्ते में पेड़ के नीचे विश्राम करते हुए एक यात्री दिखा। महिला को यह अटपटा लगा क्यूंकि उस गाँव के दोनों ओर घना जंगल था और शाम के बाद उसे पार करना, ख़तरे से ख़ाली नहीं था। उस व्यक्ति से बात करने पर महिला को पता चला कि अत्यधिक थकान व कमजोरी के कारण वह और ज़्यादा चल नहीं पा रहा था इसलिए सुस्ताने के लिए पेड़ के नीचे सो गया था। महिला ने उसे आगे के दुर्गम रास्ते के बारे में बताया और उसे अपनी झोपड़ी में ही रुकने का प्रस्ताव दिया, जिसे उस यात्री ने स्वीकार लिया। महिला उसे अपने घर ले आई और सादा लेकिन स्वादिष्ट भोजन करवाकर उसके आराम करने का प्रबंध किया।
अगले दिन सुबह उस व्यक्ति का ध्यान महिला द्वारा सजा कर रखे गए अमूल्य पत्थर पर गया। वह सुंदर दुर्लभ पत्थर को देखते ही पहचान गया कि यह पत्थर नहीं एक क़ीमती रत्न है। उसने तुरंत उस महिला को पत्थर ख़रीदने का प्रस्ताव दे दिया। लेकिन आशा के विपरीत उस महिला ने उसे बेचने से इनकार करते हुए कहा कि वे उसे बेझिझक मुफ़्त में ले जा सकते हैं।
यात्री महिला के व्यवहार को देख हैरान था उसने ख़ुशी-ख़ुशी महिला से वह पत्थर लिया और उन्हें धन्यवाद कहकर वहाँ से चला गया। रास्ते में वह अपने भाग्य, अपनी क़िस्मत को धन्यवाद दे रहा था क्यूँकि वह जानता था कि वह पत्थर उसके जीवन को बदल सकता है। वह उसे बाज़ार में बेचकर अपने और अपने परिवार को जीवन भर के लिए आर्थिक रूप से सुरक्षित बना सकता है।
रोज़ नई योजना पर विचार करते-करते कई दिन ऐसे ही गुजर गए। वह व्यक्ति उस रत्न को बेचकर मिलने वाले पैसे से अपने परिवार को ख़ुशी और सुरक्षा देने के लिए रोज़ एक नई योजना पर काम करता था। लेकिन हर बार उसे कुछ ना कुछ छूटा हुआ सा लगता था। अच्छी से अच्छी योजना भी उसकी बेचैनी खत्म नहीं कर पा रही थी। वह हमेशा खुद को चिंता में डूबा पाता था। एक दिन उसने रत्न उपहार में देने वाली महिला से मिलकर अपनी समस्या का हल पूछने का निर्णय लिया।
अगले ही दिन वह महिला के पास पहुँचा और उसे वह क़ीमती पत्थर लौटाते हुए बोला, ‘मुझे पता है कि यह पत्थर कितना मूल्यवान है, लेकिन मैं इसे आपको लौटाकर वह चीज़ लेना चाहता हूँ जो इससे भी कई गुना ज़्यादा मूल्यवान है। मुझे आशा है आप मुझे निराश नहीं करेंगी।’ महिला कुछ बोलती या समझती उससे पहले ही इन सज्जन ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘मुझे यह मूल्यवान पत्थर नहीं बल्कि आप के जैसे शांत और खुश रहने का सूत्र चाहिए। अर्थात् आप के अंदर की ख़ुशी, संतुष्टि व शांति चाहिए।’
जी हाँ दोस्तों, उस व्यक्ति को तो समझ आ गया था कि उसे क्या चाहिए, पर आजकल ज़्यादातर लोग बेचैनी, हड़बड़ाहट, असुरक्षा की भावना, तनाव व अत्यधिक दबाव जैसे नकारात्मक भावों के साथ सिर्फ़ इसलिए जी रहे हैं क्यूँकि वे जीवन का अंतिम लक्ष्य भौतिक सुविधाओं को मान रहे हैं। पैसे और भौतिक सुविधाओं का होना निश्चित तौर पर ज़रूरी है। लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरी है आपके अंदर उन चीजों का होना जो आपको शांत, संतुष्ट और खुश रख सके और यह तभी मिल सकता है, जब आप भौतिक सुविधाओं के साथ-साथ खुद को भी खोज सकें, अपने अंदर की यात्रा कर सकें। इसीलिए तो दाऊ वॉयर ने कहा है, ‘एक खूबसूरत दिल, आपके जीवन को वह सब दे सकता है जो आप सारी दुनिया का पैसा हासिल करके भी ख़रीद नहीं सकते।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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