फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
ख़ुशी चुराने वाली 5 आदतें - भाग 1


June 19, 2021
ख़ुशी चुराने वाली 5 आदतें - भाग 1
दोस्तों आज वेबिनैर के दौरान मैंने लोगों से जब जीवन के मुख्य उद्देश्य, ‘हर हाल में शांत और खुश रहना’ के बारे में बात करी तो एक सज्जन ने मुझसे बहुत ही अच्छा प्रश्न करा, ‘सर हम लोग खुश क्यूँ नहीं रह पाते हैं?’ मैंने भी उनके सपाट प्रश्न के बदले में सपाट उत्तर देते हुए कहा, ‘अपनी आदतों की वजह से।’ वे शायद मेरी बात से संतुष्ट नहीं थे वे तुरंत बोले, ‘सर, हाल ही में कोरोना की दूसरी लहर की वजह से कई लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों या क़रीबियों को खो दिया तो कुछ लोगों का रोज़गार छिन गया। क्या यह खुश ना रहने की वजह नहीं हो सकती?’
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘सर, अगर आप वजह या यूँ कहूँ उत्तर जानते हैं तो फिर प्रश्न क्यूँ कर रहे हैं?’ वे तुरंत बोले, ‘सर इस बारे में आप क्या सोचते हैं मैं वह जानना चाहता हूँ।’ मैंने उनकी बात को थोड़ा सा नज़रंदाज़ करते हुए अपनी बात कहना जारी रखते हुए कहा, ‘आप जो कह रहे हैं वह बिलकुल सही है पर एक सच्चाई और है, जो चला गया है उनकी कमी कोई दूर नहीं कर सकता या यह कहना ज़्यादा बेहतर होगा कि कोरोना की वजह से हुए किसी भी तरह के नुक़सान की भरपाई कोई भी नहीं कर सकता और आपको अपने जीवन को यहाँ से आगे बढ़ाना ही होगा, फिर चाहे आप यह ख़ुशी-ख़ुशी करें या रो-रो कर।’
वैसे भी दोस्तों विपरीत परिस्थितियों को आप जितनी जल्दी स्वीकारते हैं उतनी ही जल्दी आप उससे बाहर निकल पाते हैं और यह बिना सॉलिड आदतों के सम्भव नहीं है। इस बार मेरे द्वारा कही बातों से वे सज्जन थोड़े सहमत दिखे और मुझसे बोले, ‘सर फिर मैं वह आदतें जानना चाहूँगा जो हमें खुश नहीं रहने देती हैं।’
तो चलिए दोस्तों आज हम उन 5 आदतों में से प्रथम 2 आदतों को पहचानने की कोशिश करते हैं जो हमारी ख़ुशी चुरा कर ले जाती हैं-
पहली आदत - नकारात्मक माहौल में रहना
कहते हैं ना ‘ख़रबूज़े को देख कर ख़रबूज़ा रंग बदलता है’ या ‘जैसी संगत, वैसी रंगत।’ ठीक इसी तरह दोस्तों हम ज़्यादातर जिस माहौल में रहते हैं वैसे ही बन जाते हैं। फिर चाहे वह माहौल लोगों की वजह से बना हो या डिजिटल संसाधनों अथवा किसी भी अन्य परिस्थितियों की वजह से।
अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने आस-पास का माहौल बदलें। इसके लिए आपको निम्न तीन कार्य करना होंगे-
पहला कार्य - पिछले सप्ताह जिन 5 लोगों के साथ आपने सर्वाधिक समय बिताया हैं उनके नाम लिखें।
दूसरा कार्य - उन 5 समाचार पत्रों, टीवी न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया ग्रुप, मूवी या सीरियल आदि के नाम लिखें जिनसे पिछले सप्ताह में आपने स्वयं को अपडेट करा हो।
तीसरा कार्य - अब इस सूची को अपने सामने रख कर स्वयं से प्रश्न करें कि इन कार्यों की वजह से मैं अपने जीवन में सकारात्मक रुप से आगे बढ़ा हूँ या नहीं। जिनके लिए जवाब ‘ना’ में आता है, उन पर अपना समय लगाना बंद कर दें या कम कर दें। इस अतिरिक्त बचे हुए समय को सकारात्मक या प्रेरणादायी लोगों, किताबों, प्रवचन या विडियो देखने में लगाएँ।
दूसरी आदत - सही समय का इंतज़ार करना
जीवन में जब भी कुछ हमारे मनमाफिक नहीं होता है तो हम बात को क़िस्मत पर डाल देते हैं एवं सही समय की प्रतीक्षा में बैठ जाते हैं। जीवन कभी भी सौ प्रतिशत हमारे अनुकूल या मनमुताबिक नहीं हो सकता है, इसमें उतार-चढ़ाव होना सामान्य है। इसलिए सही समय के इंतज़ार में बैठना, असल में अपनी ख़ुशियों से खुद दूर जाने के सामान है।
जब सपना आपने देखा था, योजना आपकी थी तो परिणाम को भी स्वीकारें। सही समय के इंतज़ार में बैठने की जगह विचार करें, असफलता से सीखें। नई योजना बनाए और फिर तत्काल उस पर कार्य करें। रुकने की जगह रोज़ अपने लक्ष्य की दिशा में एक छोटा सा कदम बढ़ाए।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल फिर मिलते हैं ख़ुशियों को चुराने वाली अगली तीन आदतों के साथ।
-निर्मल भटनागर
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