फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
गर्व और अपनेपन का भाव लाएँ और सफलता पाएँ
Mar 10, 2021
गर्व और अपनेपन का भाव लाएँ और सफलता पाएँ…
शनिवार-रविवार को जहाँ मेरे परिवार में सब अपेक्षाकृत थोड़े फ़्री रहते हैं वहीं मैं थोड़ा ज़्यादा व्यस्त हो जाता हूँ। इस शनिवार भी मेरा हाल कुछ ऐसा ही था। मेरे एक परिचित समूह द्वारा एक विद्यालय का अधिग्रहण (टेकओवर) किया गया था और वह समूह चाहता था कि मैं वहाँ की समस्याओं को दूर करने में उनकी मदद करूँ। सर्वप्रथम मैंने उस विद्यालय का अवलोकन किया, वहाँ के कर्मचारियों और शिक्षकों से बातचीत करी, विद्यालय के आस-पास के इलाक़े का मुआयना किया और कुछ पालकों से चर्चा करी। प्रथम दृष्टया मुझे वहाँ सब कुछ बिखरा-बिखरा सा नज़र आया था और साथ ही वहाँ का माहौल काफ़ी नकारात्मकता नज़र आया। बातचीत में मुझे पता चला कि यह विद्यालय द्वारा कोविद के दौरान लिए गए कुछ कठोर निर्णयों और प्रबंधन बदलने की वजह से सभी कर्मचारियों के मन में अनिश्चितता व डर की वजह से था।
सोमवार को मुझे इस अवलोकन के आधार पर विद्यालय प्रबंधन को वहाँ आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य योजना बनाकर देना थी। सर्वप्रथम मैंने वहाँ की समस्याओं, उपलब्ध संसाधनों, स्टाफ़ की उम्मीदों, प्रबंधन की प्राथमिकताओं की एक सूची बनाई और उसके बाद लक्ष्य प्राप्ति की योजना पर विचार करने लगा। काफ़ी देर तक एक ही विचार पर सोचते हुए मुझे महसूस हो रहा था कि शायद में विचारों के जाल में उलझ रहा हूँ और इसी वजह से सही निष्कर्ष या योजना तक पहुँच नहीं पा रहा हूँ। मैंने एक छोटा सा ‘एनर्जी ब्रेक’ लेने का निर्णय लिया और अपने लैपटॉप को बंद करके परिवार के अन्य सदस्यों के पास पहुँच गया। वैसे आगे बढ़ने से पहले मैं आपको यह बता दूँ कि विचारों के चक्रव्यूह से बाहर आने के लिए मेरा पसंदीदा तरीक़ा ‘एनर्जी ब्रेक’ लेना ही है।
घर पर मैंने आशा के विपरीत, अपनी बिटिया दीक्षिता को कुछ ज़्यादा ही व्यस्त पाया। पूछने पर पता चला, आज कॉलेज में उसका ‘सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट’ पर प्रेज़ेंटेशन है और वह उसकी तैयारियों में व्यस्त है। शनिवार को इतना शांत व फ़ोकस्ड रहते हुए कम्प्यूटर पर काम करते हुए देखना, वह भी एक प्रोजेक्ट के लिए, मेरे लिए थोड़ा अचरज भरा था क्यूँकि आमतौर पर शनिवार को कॉलेज द्वारा लाइफ़ स्किल या डिस्कर्सिव इंटेलिजेन्स पर कार्य किया जाता है और बच्चे उसे मुख्य विषय जितनी अहमियत देने के स्थान पर थोड़ा रिलैक्स रहते हुए कार्य करते हैं। ठीक उसी तरह जैसे हममें से ज़्यादातर लोग शुक्रवार या शनिवार से ही वीकेंड के मूड में आ जाते हैं और थोड़ा रिलैक्स रहकर कार्य करते हैं।
मैंने बिटिया को प्रोजेक्ट पर अतिरिक्त ऊर्जा के साथ काम करता देख डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा और दूर रहकर ही उसे ध्यान से देखना शुरू कर दिया। लगभग 15 मिनिट बाद कॉलेज द्वारा बिटिया को ऑनलाइन प्रेज़ेंटेशन देने के लिए कहा। बिटिया ने तुरंत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर पूरी एनर्जी के साथ अपना प्रेज़ेंटेशन दिया। मुझे तो आश्चर्य तब हुआ जब मैंने उसे हर सलाईड पर इंदौर वेस्ट मैनेजमेंट करके सफ़ाई में नम्बर 1 कैसे बना पर, बात करते हुए देखा। साथ ही उसने यह भी बताया कि कैसे इंदौर पिछले 4 वर्षों से उस स्थान पर बना हुआ है और आज इस स्थिति तक पहुँच गया है कि नाले को लोगों ने कुश्ती का मैदान बना लिया तो किसी ने उसी नाले में अपनी शादी की सालगिरह बना ली।
प्रेज़ेंटेशन के दौरान उसने यह भी बताया कि किस तरह इंदौर के नागरिकों ने इसमें योगदान दिया, नवाचार अपनाया और टिकाऊ इंतजाम किए। यहाँ तक कि घर से कचरा एकत्रित करने के लिए, बजाए जाने वाले गाने का भी उसने ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे उस गाने ने लोगों के अवचेतन मन को प्रोग्राम किया और उनमें सफ़ाई के प्रति गर्व की भावना पैदा करी।
दोस्तों उसका प्रेज़ेंटेशन खत्म होते तक मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया था। एक बार फिर ब्रेक लेना मेरे लिए ना सिर्फ़ एनर्जी बढ़ाने वाला बल्कि मेरी समस्या का स्पष्ट समाधान देने वाला साबित हुआ। मैंने उस समूह को त्रिस्तरीय सुझाव दिया। सबसे पहले अपने उत्पाद अर्थात् शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ बनाये और दूसरा टीम में विश्वास पैदा करके गर्व की भावना लाएँ और तीसरा अपने कार्य में उत्कृष्टता लाने की योजना बनाएँ और कर्मचारियों को ओनरशिप लेने के लिए प्रेरित करें।
जी हाँ दोस्तों अगर आप अपने व्यवसाय को शिखर पर ले जाना चाहते हैं तो अपने लोगों में विश्वास पैदा कीजिए, उन्हें मोटिवेट करके अपने उत्पाद, लोगों और प्रॉसेस के प्रति गर्व की भावना पैदा करें और अपने हर कार्य में एक्सलेन्स लायें। अंत में उन्हें अपने कार्य की ज़िम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करें और शिखर पर पहुँच जाएँ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com