फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
चमत्कार की क़ीमत


Aug 10, 2021
चमत्कार की क़ीमत!!!
10 वर्षीय गुड़िया आज थोड़ा परेशान और चिंतित लग रही थी। बिना किसी से कुछ बोले वह सीधे अपने कमरे में गई और अपनी छोटी सी अलमारी में कपड़ों के पीछे छुपा कर रखी गई गुल्लक निकाल कर ज़मीन पर बैठ गई। उसने गुल्लक को तोड़कर सारे पैसों को निकाल और उसे बड़े ध्यान से तीन बार गिना। ऐसा लग रहा था जैसे वह टोटल में गलती की कोई सम्भावना छोड़ना ही नहीं चाहती थी।
गिनने के बाद उसने पैसों को अपने खेलने वाले पर्स में रखा और परिवार के सदस्यों की नज़रों से बचते हुए घर के पिछले दरवाज़े से बाहर निकल गई और पास ही स्थित दवाई की दुकान में गई और धैर्य पूर्वक अपनी बारी आने का इंतज़ार करने लगी। कुछ देर बाद फार्मासिस्ट ने मुस्कुराते हुए उससे पूछा, ‘बेटा आप को कुछ चाहिए क्या?’ बेटी बड़ी गम्भीरता के साथ बोली, ‘मैं चमत्कार ख़रीदना चाहती हूँ।’
फार्मासिस्ट को लगा शायद बच्ची जो लेना चाहती है उसका नाम भूल गई है। इसलिए उसने एक बार फिर उससे पूछा, ‘माफ़ कीजिएगा बेटा, मैं समझ नहीं पाया, आपको क्या चाहिए? उस छोटी सी बच्ची ने फिर से दोहरा दिया, ‘मैं ‘चमत्कार’ ख़रीदना चाहती हूँ। दुकानदार बोला, ‘माफ़ कीजिएगा, वह तो हमारे यहाँ नहीं मिल पाएगा।’
दुकानदार की बात सुन वह बच्ची थोड़ा घबरा गई और अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोली, ‘मेरा भाई सच में बहुत बीमार है... और आपकी दुकान में तो इतनी सारी दवाइयाँ हैं। कृपया करके मुझे एक चमत्कार दे दीजिए, मैं उसे खरीदना चाहती हूँ।"
फार्मासिस्ट से ना सुनते ही बच्ची की आँखों में आँसू आ गए। उस बच्ची के पास ही एक बुजुर्ग व्यक्ति खड़े थे। उन्होंने बात को सम्भालते हुए बच्ची से पूछा, ‘बेटा आप चमत्कार क्यूँ ख़रीदना चाहती हो।’ बच्ची बोली, ‘मेरा भाई वास्तव में बीमार है और मेरे पिताजी कहते हैं कि केवल एक चमत्कार ही उसे ठीक कर सकता है। इसलिए, मैं उसके लिए एक चमत्कार ख़रीदना चाहती हूँ। बताइए ना चमत्कार की कीमत कितनी है? मेरे पास इसके लिए भुगतान करने के लिए पैसे हैं। यदि यह पर्याप्त नहीं है, तो मैं आपको और लाकर दूँगी। बस आप मुझे इतना बताइए इसकी लागत कितनी है।’
वह सज्जन नीचे झुके और उस छोटी बच्ची से बोले, ‘तुम्हारे भाई को किस तरह के चमत्कार की ज़रूरत है?' ‘मुझे नहीं पता’, लड़की ने रोते हुए उत्तर दिया। ‘मैं सिर्फ इतना जानती हूँ कि वह बहुत बीमार है और उसके सिर के अंदर कुछ बुरा हो रहा है। डॉक्टर का कहना है कि उसे ऑपरेशन की जरूरत है। लेकिन मेरे पिताजी के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह ऑपरेशन करा सकें।वे कहते हैं, मेरे भाई को सिर्फ़ एक चमत्कार ही बचा सकता है। इसलिए मैं अपने भाई को बचाने के लिए अपने सारे पैसों से चमत्कार ख़रीदना चाहती हूँ।’
वे सज्जन उस बच्ची के सिर पर हाथ रखते हुए बोले, ‘आप चमत्कार ख़रीदने के लिए कितने पैसे दे सकती हो।’ लड़की ने अपने पर्स में से पैसे निकाले और उन सज्जन की ओर बढ़ाते हुए बोली एक सौ चार रुपए और अगर यह कम हैं तो मैं आपको बाद में और दे सकती हूँ।’ वे सज्जन बोले, ‘उसकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी, संयोग से चमत्कार की क़ीमत 104 रुपए ही है। बस अब तुम मुझे अपने भाई के पास ले चलो।’
वे सज्जन एक प्रतिष्ठित न्यूरो सर्जन थे और उस बच्ची के भाई के इलाज के लिए सबसे उपयुक्त डॉक्टर थे और संयोग से उस वक्त उस दवाई की दुकान पर आए हुए थे। बच्ची को साथ ले वे उसके घर पहुंचे और उसके भाई को देखने के पश्चात उन्होंने उसका ऑपरेशन किया। कुछ दिनों पश्चात बच्चा पूरी तरह ठीक होकर घर वापस आ गया।
एक दिन उस बच्चे के माता-पिता इस पूरी घटना पर चर्चा कर रहे थे कि किस तरह एक छोटी सी घटना ने उनके घर में ख़ुशियों की बारिश कर दी। अचानक उस बच्चे की माँ बोली, ‘और वह सर्जरी, वास्तव में एक चमत्कार थी। मैं सोच रही हूँ उसकी लागत कितनी होगी?’ वह छोटी सी लड़की मुस्कुराई और बोली, ‘माँ, एक सौ चार रुपए।’
जी हाँ दोस्तों, इस वास्तविक चमत्कार की क़ीमत मात्र एक सौ चार रुपए और उस लड़की का विश्वास था। याद रखिएगा समय कितना भी विकट और विपरीत क्यूँ ना हो, सिर्फ़ तीन चीज़ें आपके जीवन को नई दिशा दे सकती हैं, विश्वास, प्यार और उम्मीद। विश्वास मुश्किल से मुश्किल कार्य को सम्भव बनाता है, प्यार उस कार्य को करना आसान कर देता है और उम्मीद से सब काम पूर्ण हो जाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर