फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
ज़िंदगी कैसी है पहेली भाई


Sep 29, 2021
ज़िंदगी कैसी है पहेली भाई…
‘ज़िंदगी कैसी है पहेली भाई, कभी ये रुलाए कभी ये हंसाए…’ जी हाँ दोस्तों अकसर हमें ऐसा ही लगता है कि जीवन एक ऐसी पहेली है जिससे पार पाना आसान नहीं है। यह एक ऐसा दरिया है, जिसे तैरकर पार करते वक्त हर पल पर एक नई समस्या हमारा इंतज़ार करती हुई प्रतीत होती है। ऐसा लगता है मानो हम इन्हीं सब के बीच कहीं खो से गए हैं। लेकिन हक़ीक़त में ऐसा नहीं है दोस्तों, ज़िंदगी जीना बिलकुल आसान है बस हमें परेशानियों को छोड़, विश्वास के साथ जीना सीखना होगा। आईए अपनी बात में आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ-
कौवा आज बहुत खुश था, उसे खाने के लिए एक बड़ा सारा शिकार जो मिल गया था। शिकार को कस कर पंजे में दबा वह मस्ताते हुए हवा में उड़ा और अपनी मंज़िल की ओर जाने लगा। अभी उसे उड़ते हुए कुछ ही देर हुई थी कि बाजों के एक झुंड की नज़र उस पर पड़ गई। वे सब तुरंत उस कौवे के पीछे पड़ गए। बाजों को अपने पीछे देख कौवे की हालात ख़राब हो गई। बचने के प्रयास में वो कभी और ऊँचा तो कभी और तेज़ उड़ने लगा। लेकिन बाजों की गति और क्षमता के सामने कुछ ही देर में उसे एहसास होने लगा कि उनसे बच पाना मुश्किल है। कौवे को अपना अंत पास नज़र आने लगा था।
तभी टॉवर के ऊपर बैठे गरुड़ की निगाह कौवे पर पड़ी। वह तुरंत उड़ा और कौवे के पास पहुँच कर बोला, ‘कौवे भाई, बड़े परेशान नज़र आ रहे हो, क्या बात है?’ कौवा लगभग रोते हुए बोला, ‘गरुड़ भैया, बड़ी परेशानी में फँस गया हूँ, देखो कितने सारे बाज मेरे पीछे पड़ गए हैं। लगता है कुछ ही देर में यह सब मिलकर मेरी जान ले लेंगे।
कौवे की नादानी पर गरुड़ को हंसी आ रही थी फिर भी किसी तरह खुद पर नियंत्रण रखते हुए वह बोला, ‘कौवे भाई, यह सिर्फ़ तुम्हारा वहम है कि सारे बाज तुम्हारी जान के पीछे पड़े हैं। तुम अपनी परेशानी की सही वजह को पहचान ही नहीं पाए। बल्कि मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि तुम खुद बाजों अर्थात् परेशानियों को न्यौता दे रहे हो कि वे तुम्हारे पास आएँ।’ कौवा कुछ समझ नहीं पाया उसने गरुड़ से थोड़ा आसान भाषा में समझाने के लिए कहा तो गरुड़ बोला, ‘कौवे भाई सभी बाज तुम्हारे पीछे नहीं बल्कि जो शिकार तुमने तुम्हारे पंजे में दबोच रखा है उसके पीछे पड़े हैं। तुम इसे छोड़ दो और फिर देखो क्या होता है।’
कौवे के पास कोई और विकल्प तो था नहीं, उसने गरुड़ की सलाह को मानने का निर्णय लिया और पंजों में पकड़े शिकार को छोड़ दिया। शिकार को ज़मीन पर गिरता देख बाजों का पूरा झुंड कौवे का पीछा छोड़ शिकार पर टूट पड़ा।
दोस्तों जिस तरह कौवे की मुख्य परेशानी बाजों का झुंड नहीं बल्कि वह शिकार था जिसे उसने अपने पंजे में दबा रखा था। अर्थात् परेशानी उसके पीछे नहीं पड़ी थी बल्कि वह परेशानी को साथ लिए उड़ रहा था। ठीक इसी तरह दोस्तों अकसर हम भी अपनी परेशानियों को खुद पकड़े रहते हैं और दोष क़िस्मत को देने लगते हैं। कई बार शिकार रूपी यह परेशानी किसी से मिले बुरे अनुभव होते हैं, तो कभी कोई असफलता या नकारात्मक भाव या फिर कोई ग़लत रिश्ता। जैसे ही हम इन परेशानियों से दूरी बनाते हैं, हमारा जीवन वापस से सही पटरी पर आ जाता है।
जी हाँ दोस्तों, अकसर चीजों या लोगों के प्रति मोह का भाव भी हमारी परेशानी को बड़ा देता है और उसे छोड़ते ही हम सारे दुःख और पीड़ा से मुक्त हो जाते हैं। हमारी समस्या की जड़, मूल बात को भूल जाने में छिपी है कि ईश्वर ने हमें इस दुनिया में ख़ाली हाथ एक किरदार निभाने के लिए भेजा है। उस किरदार का काम पूरा होते ही वही ईश्वर हमें ख़ाली हाथ ही वापस बुला लेगा। जब ख़ाली हाथ ही वापस जाना है तो फ़ालतू की बातों की हाय-हाय में क्या लगना?
दोस्तों अगर खुश, मस्त और स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो संसार में मौजूद किसी भी वस्तु या लोगों अर्थात् रिश्ते नातों पर अपना हक ना जताएँ। बस याद रखें यहाँ जो कुछ भी है वह उस परम पिता ईश्वर का है। जिस तरह हम अपने किरदार को निभाते हुए अपने परिवार के सदस्यों, बच्चों का विशेष ध्यान रखते हैं ठीक उसी तरह ईश्वर हमारा ध्यान रखता है और जब ध्यान रखने वाला ही इस जहां का मालिक है तो फिर चिंता, दुःख, परेशानी किस बात की? हमें तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त यह समय लोगों की सेवा, सत्कर्म और इस दुनिया को और बेहतर बनाने के लिए करना है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-