top of page

फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

ज़िंदगी - जैसा इसे देखेंगे, वैसा ही इसे पाएँगे

ज़िंदगी - जैसा इसे देखेंगे, वैसा ही इसे पाएँगे
global_herald_logo_1.png

Sep 2, 2021

ज़िंदगी - जैसा इसे देखेंगे, वैसा ही इसे पाएँगे!!! 


ज़िंदगी भी बड़ी अजीब चीज़ है, किसी को यह पहेली तो किसी को सपना नज़र आती है। कोई इसे खेल के भाँति लेता है, तो किसी के लिए यह संघर्ष से ज़्यादा कुछ नहीं है। किसी के लिए यह बहुत जटिल है, तो कोई इसे बहुत आसान मानता है। कोई इसे काटता है, तो कोई इसे जीता है। तो फिर आख़िर ज़िंदगी है क्या? मेरे मतानुसार तो यह शायद वैसी ही है जैसी आप इसे बनाते हैं। जी हाँ दोस्तों, अपनी बात को समझाने के लिए मैं आपको एक शानदार कहानी सुनाता हूँ।


गाँव के बाहरी हिस्से में एक सब्ज़ी वाला बैठता था। गाँव के बाहर बैठने के बाद भी उसका व्यवहार और एकदम ताजी सब्ज़ी लोगों को इतना दूर आकर भी सब्ज़ी ख़रीदने के लिए मजबूर किया करती थी। उस सब्ज़ी वाले की एक और विशेषता थी, वह जिस किसी से मिलता था उसे ‘प्रभु’ कहकर सम्बोधित किया करता था। कई लोग तो ‘प्रभु’ शब्द को उसका तकिया कलाम मानते थे। चाहे कोई सिर्फ़ भाव पूछने या फिर सिर्फ़ धनिया लेने के लिए ही क्यों ना आया हो, वह हमेशा ‘प्रभु’ लगाकर ही जवाब दिया करता था। जैसे, ‘प्रभु आलू बीस रुपए प्रति किलो हैं।’ या ‘प्रभु, यह सब्ज़ी लीजिए, यह एकदम ताजी है’ आदि। वह लोगों को प्रभु कहकर बुलाया करता था इसीलिए धीरे-धीरे लोग उसे भी प्रभु कहकर पुकारने लगे। कई लोगों को तो उसका असली नाम तक नहीं मालूम था।


एक दिन एक सज्जन व्यक्ति उसके पास पहुंचे तो उसने उनको ‘प्रणाम प्रभु जी’ कहकर उन्हें सम्बोधित किया तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने उस सब्ज़ी वाले से प्रश्न पूछ ही लिया, ‘भाई तुम सबको प्रभु-प्रभु कह कर क्यों सम्बोधित करते हो, यहाँ तक लोग भी तुम्हें प्रभु कहकर बुलाया करते हैं। क्या तुम्हारा नाम प्रभु है?’ सब्ज़ी वाले ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘मेरा नाम राधेश्याम है प्रभु और रही बात सबको प्रभु कहने की, तो ऐसा मैंने एक महात्मा से मिले ज्ञान के आधार पर कहना शुरू किया था लेकिन अब इसका उद्देश्य बदल गया है।’ 


‘महात्मा के कहने पर?’ उन सज्जन ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा। सब्जी वाले ने जवाब देते हुए कहा, ‘प्रभु कुछ वर्षों पहले गाँव में प्रवचन देने के लिए एक बहुत पहुंचे हुए संत आए हुए थे। सभी गाँववासियों के समान मैं भी रोज़ उनके प्रवचन सुनने के लिए ज़ाया करता था, पर मैं ठहरा गाँव का ठेठ अनपढ़-गंवार। मेहनत-मज़दूरी करके जैसे-तैसे घर चलाया करता था। उनके प्रवचन में मुझे कुछ भी समझ नहीं आया सिवाय एक लाइन के, ‘हर इंसान में प्रभु का वास है। बस तुम्हें उसे तलाशना होगा, क्या पता किसमें, कब, कहाँ और किस रूप में प्रभु मिल जाएँ और तुम्हारा उद्धार कर दें। बस उस दिन से मैंने सभी में प्रभु को देखना और उसी नाम से पुकारना शुरू कर दिया।’


सज्जन उस अनपढ़ सब्ज़ी वाले की बात सुन अवाक थे उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वाक़ई में अनपढ़ और अज्ञानी कौन है? वह कुछ बोलते उससे पहले ही वह सब्ज़ी वाला बोला, ‘प्रभु, उस दिन से वाक़ई चमत्कार हो गया, मुझे गाँव के पहलवान, गुंडे, बदमाश या बुरे से बुरे या शैतान व्यक्ति में भी प्रभु नज़र आने लगे और धीरे-धीरे मेरी नज़र के साथ मेरे दिन भी बदलने लगे और प्रभु ने इस मज़दूर को गाँव का सबसे बड़ा सब्ज़ी व्यापारी बना दिया और जीवन में सुख-समृद्धि के सारे साधन मुझे मिलते गए और यह पूरी दुनिया मेरे लिए प्रभु समान बन गई।


जी हाँ दोस्तों, असल में जीवन एक प्रतिध्वनि है। हम जिस नज़र से इसे देखेंगे या आवाज़ देंगे यह वैसी ही हमें नज़र आएगी या सुनाई देगी। प्रेम, आदर, इंसानियत ही एकमात्र ऐसा लहजा है जिससे सब कुछ पाया जा सकता है। हमारे विलासिता पूर्ण संसाधन या पैसे दूसरों को आकर्षित तो कर सकते हैं लेकिन अपना नहीं बना सकते। इसके विपरीत, हमारे द्वारा अपनाए गए जीवन मूल्य लोगों को अपना बनाकर सही तरीक़े से जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए हमेशा अपने संस्कारों से दूसरों के लिए उदाहरण बनने का प्रयास करें और साथ ही याद रखिएगा, ‘जीवन वैसा ही है, जैसा आप इसे बनाते हैं।’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

1_edited_edited.jpg

Be the Best Student

Build rock solid attitude with other life skills.

05/09/21 - 11/09/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)

Duration - 14hrs (120m per day)

Investment -  Rs. 2500/-

DSC_5320_edited.jpg

MBA

( Maximize Business Achievement )

in 5 Days

30/08/21 - 03/09/21

Free Introductory briefing session

Batch 1 - For all adults

Duration - 7.5hrs (90m per day)

Investment - Rs. 7500/-

041_edited.jpg

Goal Setting

A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.

01/10/21 - 04/10/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)

Duration - 10hrs (60m per day)

Investment - Rs. 1300/-

bottom of page