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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

जीतेगा वही, जो सीखेगा सही

जीतेगा वही, जो सीखेगा सही
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Dec 16, 2021

जीतेगा वही, जो सीखेगा सही !!!


आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक बहुत ही सुंदर कहानी के साथ करते हैं। यह कहानी उत्तरी अमेरिका के एक प्रांत की है जिसने एक पक्षी की विलुप्त होती प्रजाति को बचाने के लिए असाधारण दृढ़ता दिखाते हुए अनोखा तरीक़ा अपनाया। बात कई वर्ष पहले की है उत्तरी अमेरिकी सरकार ने जब यह देखा कि उनके देश का एक बहुत ही सुंदर पक्षी विलुप्ती की कगार पर है तो उन्होंने उसे बचाने के लिए चिड़ियाघर में एक बहुत बड़ा पक्षी घर बनाया। उसके बाद उस चिड़िया के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित करने के लिए आस-पास विशेष प्रजाति के पेड़ लगाने के साथ-साथ उस पक्षी घर में ए॰सी॰ लगवाए और साथ ही उन पक्षियों को कोई नुक़सान ना पहुँचा दे इसलिए उस पक्षी घर के बाहर चौबीसों घंटे के लिए सुरक्षा प्रहरी तैनात किए।


पक्षी की प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए किए गए प्रयास जल्द ही रंग लाने लगे और कुछ ही वर्षों में उस पक्षी की नस्ल बढ़ने लगी। सरकार के सभी बाशिंदे अपनी सफलता पर खुश थे। उन्होंने पक्षी बचाओ अभियान को दूसरे चरण में ले जाने का निर्णय लिया। अब उन्होंने उन पक्षियों को उड़ान भरने के लिए खुली जगह देने की योजना बनाई और उस चिड़ियाघर को सुरक्षा जाली से ढककर इन पक्षियों के लिए अनुकूल बनाया। चिड़ियाघर प्रबंधन की यह योजना भी जल्द सकारात्मक असर दिखाने लगी। कुछ ही वर्षों में अब पक्षियों की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि प्रबंधन ने इन पक्षियों को वापस से खुले आसमान में छोड़ने का निर्णय लिया।


अभी उन पक्षियों को खुले आसमान में छोड़े हुए कुछ ही दिन हुए थे कि अचानक प्रबंधन ने देखा कि आसपास के इलाक़े में बहुत सारे मरे हुए पक्षी नज़र आ रहे हैं। कई दिन मशक़्क़त करने के बाद प्रबंधन को पक्षियों के मरने का कारण समझ आया। असल में जब पक्षियों को पहली बार खुले आकाश में छोड़ा तो उन्हें समझ ही नहीं आया कि कौन से पक्षी उन्हें भोजन बना सकते हैं, खुले आकाश में खुद की रक्षा किस तरह करना है, कौनसे जानवर उनके शत्रु हैं और कौन मददगार हैं?  वे तो बिजली के तारों अथवा पेड़ों पर सुरक्षित बैठना अथवा तालाब में सुरक्षित तरीके से पानी पीकर आना तक नहीं जानते थे। यहाँ तक कि कई बार तो वे उड़ते-उड़ते चलती गाड़ियों से टकरा कर भी मर गए। चिड़ियाघर के पक्षी शिकार करना नहीं जानते थे इसलिए बचे-कूचे पक्षी भूख से मरने लगे। 


असल में साथियों इन पक्षियों को विलुप्ती से बचाने के लिए जो उपाय किए गए थे वे ही उनकी बर्बादी और विलुप्ती का कारण बनने लगे। सोचकर देखिएगा दोस्तों, कहीं हम अपने बच्चों के साथ ऐसा ही तो कुछ नहीं कर रहे हैं। कहीं उनकी बर्बादी या जीवन में आने वाली परेशानियों या चुनौतियों की वजह हम ही तो नहीं है?


जी हाँ दोस्तों, आजकल बच्चों को सुरक्षित रखने, उन्हें सभी सुख सुविधा देने और अपना लाड़-प्यार जताने या दिखाने के प्रयास में हम उन्हें रोज़मर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों या परेशानियों के लिए तैयार ही नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चों को जीवन में जब शुरुआती या तात्कालिक असफलताओं का सामना करना पड़ता है तो यह इसे अपनी हार मानकर तनाव, अवसाद जैसे नकारात्मक भावों का शिकार हो जाते हैं। 


अगर आप वाक़ई अपने बच्चों को सफल बनाना चाहते हैं तो उनकी सुरक्षा, सुविधा की चिंता छोड़ उन्हें बाहरी दुनिया का सामना करने दें, उन्हें जीवन का असली अनुभव लेने दें। उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा, सीखने, समझने दें। दोस्तों हम उन्हें बाहरी दुनिया से निपटना, अपना अच्छा-बुरा पहचानना जितना जल्दी सिखाएँगे वे उतनी ही जल्दी अपने जीवन में आत्मनिर्भर और सफल बनेंगे। आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें समय के साथ, दुनिया के समक्ष अकेला छोड़ने का अर्थ यह नहीं है कि आप उन्हें प्यार नहीं करते, उनका भला नहीं चाहते हैं। याद रखिएगा, यह दुनिया, यह प्रकृति, यह समाज उन्हें वह सब सिखाएगा जो आप उन्हें सिखाना भूल गए हैं। 


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

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