फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
जीवन काटना नहीं जीना है तो इन चीजों को टूटने से बचाएँ - भाग 2


Jan 5, 2022
जीवन काटना नहीं जीना है तो इन चीजों को टूटने से बचाएँ - भाग 2
दोस्तों, हममें से ज़्यादातर लोग जीवन की ऊहापोह में इस तरह उलझ गए हैं कि हमने जीवन जीने का समय भी वीकेंड के रूप में निश्चित कर दिया है। जी हाँ दोस्तों, दिल को सुकून देने वाले सभी कार्य या बातें अब सामान्यतः किसी छुट्टी के दिन के लिए टाल दी जाती है। ऐसा शायद हमारी बदली हुई प्राथमिकताओं की वजह से हुआ है।
दोस्तों, अगर आप खुश रहते हुए शांति के साथ जीवन जीना चाहते हैं, तो आपको एक बात समझना होगी, जीवन बस इसी पल में है। इसलिए आप इस पल में जो भी करें, पूरी सतर्कता के साथ उसी पल में रहते हुए अपने जीवन की प्राथमिकताओं के अनुसार करें क्यूँकि हमारे जीवन में कई चीजें काँच के बर्तन के समान नाज़ुक होती हैं, जो एक बार टूट जाए तो फिर उसे जोड़ना लगभग नामुमकिन ही रहता है। इनका टूटना हमारे जीवन को भारी नुक़सान पहुँचाकर, भाग्य की बर्बादी का कारण भी बन सकता है। आइए आज ऐसी 7 प्रमुख चीजों को पहचानने का प्रयास करते हैं-
1) आपका नाम : दोस्तों सोचकर देखिएगा पुरातन काल के बाद किसी ने भी अपने बच्चों के का नाम रावण, दुर्योधन, दुशासन, कंस, या या शकुनी रखा है? नहीं ना! पता है क्यों? क्यूँकि इन सभी नाम वाले लोगों के कर्मों ने इन नामों को ही ख़राब कर दिया और ऐसा नहीं है कि यह पुरातन काल में ही हुआ है। पुरानी हिंदी फ़िल्मों के खलनायक प्राण की भूमिकाओं को देखने के बाद किसी भी माँ ने अपने बच्चे का नाम प्राण नहीं रखा। इसीलिए हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, ‘धन-सम्पत्ति गई तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया, लेकिन यदि चरित्र गया तो सब कुछ गया। इसलिए दोस्तों अपने कर्मों पर बहुत पैनी नज़र रखें, यही आपके नाम को बना और बिगाड़ सकता है।
2) आपका दिल : अक्सर दोस्तों नश्वर चीजों की चाह में हम अपने दिल, अपनी आत्मा की बली दे देते हैं। कई बार ऐसा कुछ लोगों के व्यवहार की वजह से भी होता है। यह स्थिति धीरे-धीरे आपके अंदर कड़वाहट बढ़ा देती है और आप धीरे-धीरे सब से कट कर स्व-केंद्रित होते जाते हैं।
अगर आप खुलकर अपना जीवन जीना चाहते हैं तो आपको दिल और आत्मा को नुक़सान पहुँचाने वाले लोगों और कार्यों से दूरी बनानी पड़ेगी, अपने दिल और आत्मा को ऐसे घावों से बचाना पड़ेगा। जी हाँ दोस्तों, पूर्ण रूप से जीने के लिए आपको पूर्ण हृदय और आत्मा की आवश्यकता होगी।
3) आपका उद्देश्य : जिस तरह बिना गोल पोस्ट वाले मैदान में खेले गए फ़ुटबॉल मैच का निर्णय नहीं निकाला जा सकता है ठीक उसी तरह बिना उद्देश्य के जीवन नहीं जिया जा सकता है। दोस्तों, मेरी नज़र में हमारे जीवन का उद्देश्य ही हमारा भाग्य है क्यूँकि उद्देश्य हमारे जीवन को दिशा देकर, उन चीजों को पाने में मदद करता है जो हमें सुख दे सकती है।
उद्देश्य से भटकना या उसे भूलना अकसर हमें निराशा, धन की कमी, चिंताओं के क़रीब ले जाता है क्यूँकि उद्देश्य का छूटना, भाग्य का रूठना होता है। इसलिए दोस्तों किसी भी चीज़, घटना या व्यक्ति को अपने उद्देश्य को चुराने की इजाज़त ना दें, उसे सावधानी पूर्वक साथ लेते हुए जीवन में आगे बढ़ें।
4) आपका स्वास्थ्य : इस दुनिया में अगर कोई आपका सच्चा साथी है, तो वह आपका शरीर है क्यूँकि जीवन की अंतिम साँस तक सिर्फ़ यही हमारा साथ निभाने वाला है और दूसरी बात जब तक आप स्वस्थ हैं, तभी तक आप अपने मन का कर पाते हैं। इसलिए दोस्तों हमें इसे बड़ी सावधानी से सम्भालना होगा। अन्यथा हम समय से पहले ही मिट सकते हैं। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ हवा, पानी और भोजन के साथ शरीर के देखभाल की आवश्यकता है। स्वयं को हर उस चीज़ से बचाओ जो आपके स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचा सकती है।
5) आपका परिवार : तेज़ी से भागती इस दुनिया में आजकल परिवार और रिश्ते अंतिम प्राथमिकता पर आ गए है। असल में हम भूल चुके हैं कि शरीर के अलावा जीवन के अंत तक अगर कोई और साथ निभाएगा तो वह आपके रिश्ते ही होंगे। इसलिए अपने परिवार और रिश्तों को संवारना और सहेजना सीखें। याद रखिएगा, जिस तरह टूटा हुआ काँच का बर्तन दोबारा नहीं जुड़ता, उसी तरह टूट हुए रिश्ते फिर से नहीं जुड़ते।
6) आपके शब्द : कहते हैं ना, ‘कमान से निकले हुए तीर, और ज़बान से कहे हुए शब्द, वापस नहीं जाते।’ इसलिए अपने शब्दों के प्रति सचेत रहें। आपके शब्द, आपका नाम, आपकी आत्मा और दिल के साथ-साथ आपके उद्देश्य, स्वास्थ्य और रिश्तों को भी सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। इसलिए शब्दों के प्रति लापरवाह रहकर, दिल को चुभने या दूसरों को नीचा दिखाने वाली बातें ना कहें, ना ही खोखले वादे करें। अपने शब्दों की रक्षा करें, उनके प्रति सचेत रहें। याद रखिएगा, आपकी क़ाबिलियत आपके शब्दों से जुड़ी है इसलिए शब्दों को चुनने में सावधानी बरतें।
7) आपकी अनंत यात्रा : दोस्तों याद रखिएगा, ना तो आप शरीर हैं, ना ही वो, जो दिख रहे हैं या सोच रहे हैं। आप तो परमात्मा का वह अंश हैं, जिसकी वजह से यह शरीर चल रहा है। आप इस पृथ्वी पर किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आए हैं। अपनी अनंत यात्रा के बारे में सोचे बिना इधर-उधर भागना, परेशान रहना, छोटी-मोटी ज़रूरतों के लिए समझौता करना, अपने दिल, अपनी आत्मा को मारना कहाँ तक उचित है?
इस दुनिया में हम जिस भी चीज़ को पाने का प्रयास कर रहे हैं, वह नश्वर है।यहाँ तक कि आप और मैं भी। इसलिए व्यर्थ की चीजों पर घमंड करके अपने असली रूप, अपने अंदर के जीव को परेशान ना करें। लापरवाही से जीना बंद करें, आपके पास जीने के लिए एक ही जीवन है। इस संसार में सिर्फ़ सुख के लिए नहीं बल्कि आत्मिक शांति के लिए जिएँ और अपने अंत को गम्भीरता से लें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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