फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
जीवन को सौ प्रतिशत जीने के 5 तरीक़े - भाग 1


June 08, 2021
जीवन को सौ प्रतिशत जीने के 5 तरीक़े - भाग 1
कुछ दिन पूर्व लिखे कॉलम को पढ़ने के बाद एक पाठक ने मुझसे प्रश्न किया, ‘सर, आप हमेशा अपने दिन को सौ प्रतिशत जीने की बात करते हैं, सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन ऐसा सम्भव नहीं हो पाता है। क्या आप इसका कुछ आसान तरीक़ा बता सकते हैं?’ वैसे तो दोस्तों इस विषय पर मैं पहले ही काफ़ी लिख चुका हूँ। लेकिन फिर भी यह प्रश्न बड़ा महत्वपूर्ण है इसलिए एक बार और हम इस पर चर्चा कर लेते हैं।
अगर आप मुझसे इस प्रश्न का छोटा सा और सरल जवाब पूछेंगे तो मैं कहूँगा, ‘बिलकुल अपने दिन को सौ प्रतिशत जीना एकदम आसान है, बस आप अपने हर पल में जीवन को देखना और उसे जीना शुरू कर दें। हमारा पूरा जीवन इन पलों में मिले अनुभव में ही तो छिपा हुआ है।’ ‘हर पल को जीना!’ दोस्तों यह सुनने में जितना सरल लग रहा है, उतना ही सरल इसे अपने जीवन में उतारना है। हमें बस अपने सोचने के तरीक़े को या यूँ कहूँ बचपन से की गई हमारी प्रोग्रामिंग को बदलना होगा, अर्थात् जीवन के प्रति अपने नज़रिए को बदलना होगा।
दोस्तों नज़रिया हमेशा अनुभवों अर्थात् बीते हुए पलों में हमारे द्वारा किए गए कार्य और उसमें मिले नतीजे पर निर्भर करता है और नतीजे कभी आपके पक्ष में होंगे, तो कभी आपकी आशा के विपरीत अर्थात् कभी आपको सफलता मिलती है तो कभी असफलता। लेकिन 90 प्रतिशत इंसान नकारात्मक अनुभवों को ज़्यादा याद रखते है या यूँ कहूँ उन नकारात्मक अनुभवों को पकड़े रहते हैं।
इसलिए समाज में हमें 90 प्रतिशत लोग हर वक्त रोते और चिल्लाते, अपनी क़िस्मत को दोष देते हुए मिल जाते हैं और हमेशा नकारात्मक नज़र आते हैं। लेकिन दोस्तों अभी भी 10 प्रतिशत लोग हैं जो आपको सार्वजनिक रूप से हमेशा मुस्कुराते हुए, खुश दिखते हैं। अगर आप थोड़ा गौर से देखेंगे तो पाएँगे कि दोनों व्यक्ति एक समान हैं। मतलब दोनों की ही स्थिति एक जैसी है, दोनों को ही समाज से, दुनिया से सब कुछ एक समान मिला है। बस अंतर इतना सा है कि उन्होंने अपने अंदर हर परिस्थिति में मुस्कुराने और सर्वोत्तम तरीके से जीवन का आनंद लेने का साहस और शक्ति को विकसित कर लिया है। वे समझ गए हैं कि जीवन छोटा है, और हम केवल एक बार जीते हैं। मतलब, ना ही हम पूर्व जन्म के बारे में जानते हैं और ना ही हमें अपने अगले जन्म के बारे में कुछ मालूम है इसका मतलब हमारे पास जीवन को पूर्ण रूप से जीना सीखने एवं हर दिन का अधिकतम लाभ उठाने के सिवाय कोई अन्य विकल्प है ही नहीं।
दोस्तों जब कोई विकल्प ही नहीं है तो क्यूँ ना हम 5 ऐसे सूत्रों को सीखें जो हमें जीवन के हर पल को जीना सिखा दें। तो चलिए शुरू करते हैं और आज इन 5 सूत्रों में से प्रथम दो सूत्रों को सीखते हैं-
पहला सूत्र - आप के लिए क्या महत्वपूर्ण है तय करें
हमारे द्वारा लिए गए निर्णय ही हमारा भविष्य तय करते हैं यह हम सभी को पता है लेकिन हमारे निर्णय हमारी प्राथमिकताओं पर निर्भर करते हैं। इसलिए सर्वप्रथम अपनी प्राथमिकताए तय कीजिए। जैसे मैं अपने सभी कार्यों को 5 प्राथमिकताओं स्वयं, परिवार, व्यवसाय, दोस्त और अंत में समाज के आधार पर बाँटता हूँ। प्राथमिकताओं के आधार पर कार्य बाँटने के बाद में, अपने अगले दिन को प्लान करता हूँ अर्थात् मेरे अगले दिन की लिस्ट में सबसे पहले वे कार्य होंगे जो मेरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी हैं, उसके बाद जो मेरे परिवार के लिए, फिर व्यवसाय, फिर दोस्ती और अंत में सामाजिक। अब अपने अगले दिन की लिस्ट में 5-7 कार्य ले लीजिए और उन्हें 100 प्रतिशत क्षमता के साथ पूर्ण कीजिए।
दूसरा सूत्र - अधिक जोखिम लें, दिल से नहीं अपने दिमाग़ से
90 एवं उससे अधिक उम्र वाले लोगों पर किए गए एक सर्वे के परिणाम से पता चलता है कि 91 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अगर उन्हें फिर से जीवन जीने का मौक़ा मिला तो वे इस बार अधिक जोखिम लेना पसंद करेंगे। अर्थात् दोस्तों अगर आप जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं हैं तो याद रखिएगा आपको समझौता करते हुए साधारण जीवन जीना होगा।
याद रखिएगा सोच समझ कर उठाया हुआ जोखिम ही जीवन में सफलता और ख़ुशी पाने का मौक़ा देकर जीवन को बेहतर बनाता है। इसलिए हर उस जोखिम को लें जो आपके जीवन को बेहतर या जीने लायक़, हर पल का आनंद लेने लायक़ बनाता हैं। मेरी नज़र में जीवन में नीरसता सिर्फ़ और सिर्फ़ जोखिम के डर की वजह से ही आती है। अगर मेरी बात से सहमत ना हों तो उस ख़ुशी, उस उत्साह को याद करके देखिएगा जिस दिन आपने कोई जोखिम या कठिन कार्य करने का निर्णय लेकर उसमें सफलता पाई हो।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम जीवन को सौ प्रतिशत जीने के 5 सूत्रों में से बचे हुए 3 सूत्र सीखेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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