फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
जीवन जीने की कला


May 1, 2021
जीवन जीने की कला…
दोस्तों आजकल हमें हर माध्यम से नकारात्मक खबरें ज़्यादा मिल रही है और कहीं ना कहीं वो हमारे मन पर भी नकारात्मक प्रभाव छोड़ रही है, जिससे हम अपने दिन को नकारात्मक भाव के साथ जी रहे हैं। लेकिन मेरा मानना थोड़ा सा अलग है दोस्तों, हमारे जीवन में कुछ घटनाएँ हमारी इच्छा या हमारी योजना के अनुसार घटती हैं और कुछ प्रभु की योजना के आधार पर और जब कोई घटना प्रभु की योजना के अनुसार घटती है तो हमारे पास उसे स्वीकारने के सिवा कोई और उपाय नहीं होता है।
स्वीकारने के सिवा जब हमारे पास कोई और उपाय है ही नहीं, तो फिर आप उसे नकारात्मक भाव से स्वीकारें या सकारात्मक भाव से, यह हमारा चुनाव होता है। साथ ही दोस्तों हमें एक बात और याद रखना होगी कि ईश्वर ने जो अनमोल जीवन हमें दिया है, वह हमें हर हाल में जीना ही है और जब हमें इसे जीना है तो फिर इसे क्यों ना सकारात्मक बनाया जाए? हो सकता है आपको मेरी बात थोड़ी अजीब सी या कठिन लग रही होगी, लेकिन मैं इसे आपको गौतम बुद्ध की एक कहानी से समझाने का प्रयत्न करता हूँ।
गौतम बुद्ध धर्म और जीवन जीने की कला सिखाने के उद्देश्य से भ्रमण कर रहे थे। एक बार एक गाँव से गुजरते वक्त गाँव वालों ने उनका बहुत अच्छे से स्वागत-सत्कार किया और उनसे कुछ दिन गाँव में रुकने का आग्रह किया। बुद्ध ने गाँव वालों का आग्रह स्वीकार कर लिया और रोज़ सुबह-शाम वे गाँव में सत्संग करने लगे। सत्संग के बाद अकसर लोग कुछ देर के लिए रुक ज़ाया करते थे और बुद्ध से अपनी शंकाओं का समाधान माँगा करते थे।
एक दिन एक नवयुवक सत्संग के पश्चात गौतम बुद्ध जी के पास पहुँचा और उनसे अपनी शंका के समाधान का आग्रह करते हुए बोला, ‘महात्मन, मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत परेशान हूँ, हमेशा मेरे साथ बुरा ही होता है। समझ नहीं आता मैं क्या करूँ? कृपया इस परेशानी से निजात पाने का कोई उपाय बताएँ।’
गौतम बुद्ध एकदम शांत भाव के साथ बोले, ‘वत्स सामने से पानी का मर्तबान और एक मुट्ठी नमक लेकर आओ।’ युवक तुरंत उठा और सामने रखा पानी का मर्तबान और एक मुट्ठी नमक लेकर आ गया और उसे बुद्ध के समक्ष रखने लगा, तभी गौतम बुद्ध बोले, ‘वत्स, इस नमक को इस पानी में अच्छे से मिला दो और फिर उस पानी को पी जाओ।’ युवक ने बड़ी मुश्किल से धीरे-धीरे करते हुए पानी पीने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया।
गौतम बुद्ध ने उस युवा से पूछा, ‘तुम्हें इस पानी का स्वाद कैसा लगा?’ ‘एकदम खारा’, युवा बोला। बुद्ध हल्का सा मुस्कुराए और उस युवा से बोले, ‘अच्छा अब एक काम करो एक मुट्ठी नमक और ले लो और मेरे पीछे-पीछे आ जाओ।’ युवा ने एक मुट्ठी नमक लिया और बुद्ध भगवान के पीछे-पीछे चलने लगा। कुछ दुर जंगल की ओर चलने के पश्चात वे एक सुंदर सी झील के किनारे पहुँच गए। गौतम बुद्ध ने उस युवा की ओर देखते हुए कहा, ‘जो एक मुट्ठी नमक तुम साथ लेकर आए हो उसे इस झील में डाल दो।’, युवा ने वैसा ही किया। गौतम बुद्ध फिर से उस युवा की ओर देखते हुए बोले, ‘अच्छा अब एक काम करो इस झील का पानी पियो।’ युवा ने बुद्ध के आदेश का पालन करते हुए वैसा ही किया।
युवा के पानी पीते ही गौतम बुद्ध बोले, ‘अब बताओ तुम्हें इस पानी का स्वाद कैसा लगा? शायद यह पानी भी तुम्हें उतना ही खारा लगा होगा।’ ‘नहीं महात्मा, यह पानी उस पानी के एकदम विपरीत है। यह तो एकदम मीठा है।’, युवक बोला। उसका उत्तर सुनते ही गौतम बुद्ध ने उस युवा का हाथ थामा और वहीं पर बैठ गए और बोले, ‘जीवन में दुःख की मात्रा हमेशा उस नमक के भाँति समान ही रहती है, लेकिन यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उसका स्वाद किस पात्र में डाल कर ले रहे हैं। पात्र अगर छोटा होगा तो दुःख बड़ा और पात्र अगर बड़ा होगा तो दुःख छोटा।’
जी हाँ दोस्तों, अगर जीवन है तो दुःख और सुख, उतार-चढ़ाव, फ़ायदा-नुक़सान सब हमारे हिस्से में आएगा और जब भी जीवन में नकारात्मक भाव आए, दुःख हो तो हमें सिर्फ़ एक काम करना हैं, अपने पात्र को बड़ा कर लें। जब आप सिर्फ़ ‘मैं’, ‘मेरा परिवार’, ‘मेरा व्यापार’ में उलझते हैं, आप अपना पात्र छोटा कर लेते हैं।
अगर आप अपने पात्र को बड़ा करना चाहते हैं तो आज से निम्न पाँच कार्य करना शुरू कीजिए-
पहला - ‘मैं’ की भावना को छोड़कर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के भाव से जीवन जीना शुरू कर दें।
दूसरा - अपनी तुलना या ध्यान अपने से ज़्यादा सक्षम लोगों पर लगाने के स्थान पर, आप किन से बेहतर हैं पर लगाएँ।
तीसरा - समाज में जो लोग दुखी हैं उनके दुःख को महसूस करें और उसे कम करने के लिए प्रयास करें।
चौथा - जीवन में क्या-क्या ग़लत हुआ है उसे याद रखने के स्थान पर, जो भी अच्छी यादें हैं उनके साथ रहें।
पाँचवाँ - प्रार्थना करें, अपने शरीर और मन का ध्यान रखें और जो भी जीवन में घट रहा है, सब कुछ, ईश्वर को समर्पित करते हुए चलें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com

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