फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
जो प्राप्त है, पर्याप्त है


June 29, 2021
जो प्राप्त है, पर्याप्त है…
शहर के पास एक गाँव में एक बड़े से घर में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। वैसे तो सब ठीक चल रहा था लेकिन उसके बाद भी वह खुश नहीं था। उसे बार-बार यह लगता था कि काश वह भी अपने दूसरे किसान भाइयों जैसे शहर में किसी अच्छे से घर में रहे। एक दिन उसने निश्चय किया कि वो अपनी सारी ज़मीन-जायदाद बेच कर शहर में किसी अच्छी जगह बस जाएगा। अगले ही दिन उसने इस बारे में अपने परिवार से बात करी और अपने परिचित रियल एस्टेट एजेंट को बुला कर बोला, “भाई, मैंने यह सभी ज़मीन-जायदाद बेचने का निर्णय लिया है। मुझे किसी भी हाल में यह जगह छोड़ना है, इसे बेच कर बस शहर में कोई सही प्रॉपर्टी दिलवा दो तो मज़ा आ जाए!”
एजेंट किसान का पूर्व परिचित था, उसने किसान से बेचने का कारण जानने के लिए पूछा, “क्यों भाई, क्या समस्या है जो इस जगह को बेचना चाहते हो।’ किसान ने बोल कर जवाब देने कि जगह उस एजेंट से कहा, “ आओ मेरे साथ, देखो कितनी समस्याएँ हैं यहाँ पर, ये ऊबड़-खाबड़ रास्ते देखो, और ये छोटी सी झील, इसके चक्कर में पूरा 2 किलोमीटर अतिरिक्त घूम कर आना-जाना पड़ता है। इन छोटे -छोटे पहाड़ों को देखो, जानवरों को चराना, सामान लाना ले जाना कितना मुश्किल होता है। घर के आगे इतनी खुली जगह और बगीचे की वजह से आधा समय तो इसकी सफाई और रख-रखाव में ही चला जाता है… क्या करूँ ऐसी बेकार प्रॉपर्टी का…”
एजेंट ने पहले समझाने का प्रयास करा पर जब किसान नहीं माना तो उसने घूम कर पहले इलाके का जायजा लिया और कुछ दिनों में उसे बेचने का आश्वासन देकर वहाँ से चला गया। इधर किसान भी उससे मिलकर संतुष्ट था और उसने ख़रीदने के लिए दूसरी प्रॉपर्टी ढूँढने का निश्चय किया।
अभी इस घटना को बीते दो-चार दिन ही हुए थे कि अख़बार में प्रॉपर्टी बेचने के एक बड़े विज्ञापन ने किसान का ध्यान खींचा। विज्ञापन में लिखा हुआ था, “ख़रीदें अपने सपनों का घर, एक शांत, सुन्दर, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान पर, सुन्दर झील और पहाड़ियों के बीच, शहर की भीड़-भाड़ से उचित दूरी पर, अगर बसाना चाहते हैं एक स्वस्थ-सुन्दर आशियाना तो तुरंत संपर्क करें।” इसके साथ ही विज्ञापन के नीचे उसने अपना नम्बर दे रखा था।
किसान को विज्ञापन देखकर ही बड़ा मज़ा आ गया, उसने तीन-चार बार तो उसी विज्ञापन को पढ़ डाला। विचार करने के बाद उसने तुरंत विज्ञापन में दिए फ़ोन पर सम्पर्क करा और उस घर के बारे में जानकारी एकत्र करने का प्रयास करने लगा।
बातचीत के पहले मिनिट में ही उसे एहसास हुआ कि यह विज्ञापन उसी के घर को बेचने के लिए एजेंट ने दिया था। पर अब किसान वहीं रहना चाहता था, वह उस जगह के फ़ायदों को समझ चुका था। उसने तुरंत उस एजेंट को मकान बेचने का मना कर दिया। अब वह वहीं पर मज़े से रहने लगा।
दोस्तों उस किसान ने आख़िर किस चीज़ को बदला जिसकी वजह से उसकी परेशानी ख़ुशी में बदल गई? ऐसा क्या हुआ कि जो घर उसे पसंद नहीं था, जिसे वह बेचना चाहता था उसे वह अब नहीं बेचना था? उस किसान ने किसी भी चीज़ को नहीं बदला सिवाय अपने नज़रिए के । ठीक इसी तरह दोस्तों जीवन में ज़्यादातर लोगों की हालात इस किसान जैसी ही होती है, सब कुछ होते हुए भी बिना किसी बड़े कारण के परेशान रहते हैं। आमतौर पर इस परेशानी की एक मुख्य वजह होती है लोगों से अपनी तुलना करना।
अगर आप भी कभी नकारात्मक महसूस करें तो और किसी ओर चीज़ को नहीं बस अपने नज़रिए को बदलने का प्रयास करें। नज़रिया बदलते ही समाधान आपके सामने होगा। इस दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें आप जैसा जीवन भी नसीब नहीं है। वे हर पल आप जैसी सुविधा पाने के लिए प्रयासरत रहते हैं और हम सिर्फ़ अपने से आगे लोगों को देख परेशान होते रहते हैं। याद रखिएगा दोस्तों जो प्राप्त है, पर्याप्त है। हर उपलब्ध चीज़ के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें और मज़े से रहें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर