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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

टीम में बढ़ाएँ विश्वास इन 5 सूत्रों के साथ

टीम में बढ़ाएँ विश्वास इन 5 सूत्रों के साथ
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Dec 18, 2021

टीम में बढ़ाएँ विश्वास इन 5 सूत्रों के साथ…


दोस्तों, लोग अक्सर बड़ी संस्था, बड़ा व्यवसाय खड़ा करना चाहते हैं और इसके लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास भी करते हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें कई बार वैसी सफलता नहीं मिल पाती है, जिसकी कल्पना, जिसका सपना लेकर वे चलते हैं। अगर उनसे इस विषय में पूछा जाए तो अक्सर वे इसका दोष अपनी टीम, अपने कर्मचारियों को देते हैं। वैसे कुछ हद तक वो सही भी होते हैं क्यूँकि बिना अच्छी और समर्पित टीम के बड़ा व्यवसाय, बड़ी संस्था या संगठन खड़ा करना असम्भव ही है।


अगर आप मुझसे उत्पादकता बढ़ाते हुए एक सफल व्यवसाय, संस्था या संगठन के निर्माण का सूत्र पूछेंगे, तो मैं कहूँगा, सबसे पहले अपने लोगों अर्थात् अपनी टीम में विश्वास निर्माण अर्थात् ट्रस्ट बिल्डिंग करें। अगर आप में और आपके लोगों में विश्वास का बंधन है तो लोगों में समर्पण का भाव अपने आप आएगा और अगर समर्पण का भाव है तो बढ़ी हुई प्रतिबद्धता अर्थात् कमिटमेंट की वजह से उत्पादकता अपने आप बढ़ जाती है। इसके विपरीत अगर आप अपने लोगों, कर्मचारी या टीम मेम्बर पर शक या अविश्वास करते हैं तो उनका मनोबल गिरता है और उत्पादकता प्रभावित होती है।


आपस में विश्वास की भावना विकसित करने का सबसे आसान तरीक़ा है अपनी टीम, अपने लोगों की अपेक्षाओं को प्रबंधित करना और साथ ही वह करना जो आपने उनसे कहा है, अर्थात् आपकी कथनी और करनी एक जैसी होना चाहिए। जी हाँ दोस्तों, जब संस्था प्रमुख अर्थात् टीम लीडर के शब्द और किए गए कार्य एक जैसे हो जाते हैं तो वो टीम को अपना सर्वश्रेष्ठ देनें के लिए   प्रेरित करते हैं। आइए आज हम अपनी टीम का विश्वास जीतने के लिए आवश्यक 5 सूत्रों को सीखते हैं-


पहला सूत्र - विश्वास जीतें 

दोस्तों, विश्वास एक ऐसी चीज़ है जिसे सिर्फ़ कमाया जा सकता है, अर्जित किया जा सकता है और इसमें कड़ी मेहनत लगती है। विश्वास अर्जित करने के लिए सबसे पहले आपको अपने शब्दों, वादों को निभाना होगा अर्थात् ‘जो कहें वह करें ’ के सिद्धांतों पर चलकर जीवन मूल्यों का प्रदर्शन करना होगा। ऐसा करना धीरे-धीरे लोगों का विश्वास जीतने में मदद करेगा। लेकिन याद रखिएगा दोस्तों विश्वास जीतना और विश्वास बनाए रखना दो बिल्कुल अलग बातें हैं। उपरोक्त बातों का आपको एक बार नहीं बल्कि बार-बार प्रदर्शन करना होगा क्यूँकि अगर आप एक बार भी विश्वास खो देते हैं तो उसे पुनर्प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।

 

दूसरा सूत्र - ईमानदार और सहयोगी बनें 

परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत या मुश्किल क्यों ना हों सच्चाई का साथ ना छोड़ें और लोगों से वही कहें जो सच हो, ना की वो बातें जो वे सुनना चाहते हैं। ईमानदारी और सच्चाई के साथ चलना अंत में आपको लाभ ही पहुँचाता है। आपके और आपकी टीम के बीच में विश्वास का भाव बढ़ाता है। याद रखें आपके कर्मचारी, टीम मेम्बर अथवा साथी हमेशा सच्चाई अर्थात् फेक्ट जानना चाहते हैं। 


सच्चाई साझा करते वक्त अपने लोगों, टीम अथवा कर्मचारियों द्वारा किए गए प्रयासों के प्रति संवेदनशील रहते हुए संवाद करें ना की परिणाम के आधार पर। गलती होने पर भी अपने लोगों के प्रति समर्थन और सहयोग का भाव दिखाना एक लीडर के रूप में आपकी स्वीकार्यता और आपसी विश्वास को बढ़ाता है। 


तीसरा सूत्र - प्रतिबद्ध, सुसंगत एवं कंसिसटेंट रहें 

अच्छे इरादे या किए गए वादे अगर खोखले हैं तो आपका उद्देश्य कितना भी अच्छा क्यों ना हो, विश्वास और कार्य के प्रति लय बनाए रखना असम्भव ही है। किसी भी कार्य के लिए हाँ तभी करें जब आप उसे पूरा कर सकते हों। इस मसले में गलती से भी चूक होने देना आपकी साख को खत्म करने के साथ-साथ आपकी ब्रांड वैल्यू को भी नुक़सान पहुँचाता है। इसके विपरीत आप जो कह रहे हैं वह करते जाना, अपने वादे निभाना, समय पर कार्य पूरा करना, दिनों दिन आपके रिश्तों को मज़बूत बनाता है। 


चौथा सूत्र - वैसा ही व्यवहार करें जैसे व्यवहार की आप उनसे अपेक्षा करते हैं 

दोस्तों लोग आप क्या कहते हैं से ज़्यादा आप क्या करते हैं, इसपर ध्यान देते हैं। इसलिए बोलकर सिखाने से कई गुना बेहतर है अपने लोगों के सामने कार्य कर दिखाना, उनके लिए उदाहरण या प्रेरणा बनना। जब आप अपने संगठन या संस्थान में बार-बार उच्च स्तर का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं तब आपके लोग आपके प्रति और ज़्यादा कमिटेड हो जाते हैं, आपका अनुसरण करने लगते हैं। जैसे, टीम वर्क ज़रूरी है सिखाने के लिए बोलने के स्थान पर उन्हें अपनी टीम का हिस्सा बनाएँ और साथ ही वे जब भी अच्छा करें तब उन्हें श्रेय देते हुए उनके प्रयास की सराहना करें। 


पाँचवाँ सूत्र - जवाबदेही तय करें 

जब आप एक लीडर के रूप में अपनी कमियों, ग़लतियों को भी उसी तरह स्वीकारते हैं जैसे आपकी अच्छाई और सफलता, तो आप अपनी विश्वसनीयता बढ़ाते हैं। यही विश्वसनीयता आपको लीडर के रूप में स्थापित करती है। अपने संस्थान या संगठन में सच्चाई के साथ बात करने के माहौल को विकसित करना, लोगों को अधिक जवाबदेही बनाता है। इसलिए अपनी संस्था या संगठन में सच्चाई पर आधारित मूल्यांकन की ऐसी प्रक्रियाएँ अपनाएँ जो ईमानदारी और सच्चाई के साथ लोगों को प्रोत्साहित करे। जैसे, हर कार्य का मूल्यांकन उसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों के आधार पर करना, स्टेट्स रिपोर्ट बनाना और हर मीटिंग में कार्यों को पूरा करने के लिए डेडलाइन या माइलस्टोन तय करके रखना आदि।


आशा करता हूँ दोस्तों आप उपरोक्त पाँच सूत्रों को काम में लेकर अपनी संस्था या संगठन में विश्वास का माहौल पैदा करेंगे और एक सफल और बड़ी संस्था या संगठन बनाने के अपने सपने को सच करेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

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