फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
तनाव, चिंता तथा दबाव से निजात पाने के 7 सूत्र - भाग 2


Oct 18, 2021
तनाव, चिंता तथा दबाव से निजात पाने के 7 सूत्र - भाग 2
आपा-धापी, भागमभाग के बीच जीवन के सभी पहलुओं के बीच सामंजस्य बैठाकर सुखी और खुश रहते हुए जीवन जीने की चाह में अकसर लोग चिंता, दबाव व तनाव के शिकार हो जाते हैं। इस समस्या की गम्भीरता का अंदाज़ा आप इन आँकड़ों से लगा सकते हैं कि आज पूरी दुनिया में 86% एवं भारत में 89% लोग अवसाद के शिकार हैं। इन लोगों में से 75% लोग पैसों, अज्ञानता एवं सामाजिक (लोग क्या सोचेंगे?) जैसे कारणों की वजह से डॉक्टर अथवा विषय विशेषज्ञ, सलाहकार अथवा काउंसलर से मदद लेने में, बात करने में हिचकते हैं। इस बढ़ते तनाव की एक वजह खुद से अत्यधिक अपेक्षा रखना भी है। दोस्तों, कल हमने सोचने और जीवन जीने के तरीक़े में छोटे-मोटे परिवर्तन करके तनाव, चिंता, अनावश्यक दबाव से बचने के सात में से प्रथम तीन तरीक़े सीखे थे। आईए, आगे बढ़ने से पहले उन तीनों तरीक़ों को संक्षेप में दोहरा लेते हैं-
पहला सूत्र - व्यायाम करें
तेज़ भागती इस दुनिया में अपनी सकारात्मक उपस्थिति बनाए रखने के प्रयास में प्रतिदिन हम शारीरिक एवं मानसिक रूप से थक जाते हैं। ऐसे में प्रतिदिन व्यायाम अथवा योग करना आपको शारीरिक रूप से चुस्त और दुरुस्त रखकर ऊर्जावान बनाता है। साथ ही यह आपके शरीर में एंडोफ़िंस जैसे हार्मोंस की मात्रा बढ़ाकर खुश रहने में मदद करता है।
दूसरा सूत्र - गाने, म्यूज़िक अथवा अन्य शौक़ अर्थात् हॉबी के लिए समय निकालें
खुद के साथ समय बिताना आपको दिनभर के तनाव, दबाव अथवा किसी भी तरह की चिंता से मुक्त कर जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार करता है। इसलिए अपने व्यस्त कामकाजी दिन में से कुछ समय अपनी हॉबी के लिए चुराएँ, यह आपको रूटीन कार्य की वजह से होने वाले तनाव, दबाव और चिंता से दूर होने का मौक़ा देगा। अगर आपको ऐसा करना किसी भी वजह से मुश्किल लग रहा है तो आप गाड़ी चलाते समय गाड़ी में अपना पसंदीदा म्यूज़िक सुन सकते हैं। एक अध्ययन बताता है कि म्यूज़िक सुनना आपके मूड को अच्छा बना सकता है, आपकी आत्मा को सुकून दे सकता है।
तीसरा सूत्र - चाय, कॉफ़ी, कोल्डड्रिंक, सिगरेट आदि ज़्यादा मात्रा में लेने से बचें
अकसर देखा जाता है कि तनाव, दबाव और चिंता की स्थिति में हम चाय, कॉफ़ी, कोल्डड्रिंक, सिगरेट जैसे कैफ़ीन बढ़ाने वाले पदार्थों को अत्यधिक मात्रा में लेना शुरू कर देते हैं क्यूँकि हमें लगता है कि इसकी अतिरिक्त मात्रा हमारी ऊर्जा बढ़ा देती है। लेकिन हक़ीक़त इसके बिलकुल विपरीत होती है। चाय, कॉफ़ी, कोल्डड्रिंक, सिगरेट लेना असल में हमारे शरीर में कैफ़ीन की मात्रा बढ़ा देता है जिसकी वजह से हम चिड़चिड़ाहट, बेचैनी, अनिद्रा, थकान, आदि के शिकार हो जाते हैं जो अंततः हमारे तनाव को बढ़ा देता है। वैसे कैफ़ीन की अत्यधिक मात्रा हमें इसकी लत भी लगा सकती है।
चलिए दोस्तों अब हम तनाव, चिंता अथवा दबाव से बचने के अंतिम चार सूत्र सीखेंगे-
चौथा सूत्र - अपनों के साथ समय बिताएँ
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए समाज के साथ या अपनों के साथ रहना उसे हमेशा पसंद आता है। लेकिन समय अगर विपरीत हो तब अपनों अर्थात् परिवार और दोस्तों के साथ मिलना, उनसे संवाद करना और भी ज़्यादा लाभदायक रहता है। वैसे भी कहा गया है, ‘ग़म बाँटने से कम हो जाते हैं और ख़ुशियाँ बाँटने से बढ़ जाती है।’ अपनों से मिलना न सिर्फ़ हमारे आत्मसम्मान को बढ़ाता है बल्कि हमारे जीवन को उद्देश्य भी देता है। अगर इसी बात को विज्ञान के नज़रिए से देखा जाए तो अपनों का साथ ऑक्सीटोक्सिन नामक हार्मोन को बढ़ाता है जो कि प्राकृतिक रूप से तनाव और चिंता को घटाता है।
पाँचवाँ सूत्र - अच्छा खाएँ
सामान्यतः देखा गया है कि तनाव के दौरान लोग भोजन को आख़री प्राथमिकता पर रखते हैं। लेकिन इस विषय में की गई रिसर्च बताती है कि तनाव में भोजन छोड़ना उसके स्तर को और बढ़ा सकता है। इसके विपरीत संतुलित आहार फ़िट रहने में मदद करता है। वैसे भी कहा गया है फ़िट बॉडी मतलब फ़िट दिमाग़। कई अध्ययन बताते हैं कि अच्छा खाना तनाव के स्तर को कम कर, मानसिक रूप से फ़िट रहने में मदद करता है। वैसे भी कहा गया है, ‘जैसा अन्न, वैसा मन!’
छठा सूत्र - खुश रहें
जब तक आपकी ख़ुशी किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा अन्य बात पर निर्भर रहेगी तनाव, चिंता या दबाव पैदा करेगी। जीवन है तो सुख-दुःख, अच्छा-बुरा सब चलता रहेगा। जीवन में जो सामने आए उसे स्वीकारें और खुश रहें, चीजों को ज्यों का त्यों स्वीकारना तनाव और चिंता को कम करता है। इसीलिए तो कहा गया है, ‘मन का हो तो अच्छा, नहीं तो हरी इच्छा!’ दोस्तों, खुश रहने का मतलब यह नहीं है कि सब कुछ ठीक है। इसका मतलब यह है कि आपने अपने नकारात्मक भावों से ऊपर उठकर जीना सीख लिया है।
सातवाँ सूत्र - सकारात्मक रहें
जीवन में आपको सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार के अनुभव मिलेंगे। पर सामान्यतः हम सकारात्मक बातों को भूल चंद नकारात्मक अनुभवों को पकड़कर बैठ जाते हैं और जीवन के प्रति अपने नज़रिए को ख़राब कर लेते हैं। नकारात्मक माहौल में रहना अकसर आपके भावनात्मक तनाव को बढ़ा देता है। जहां निराशावादी लोगों का साथ आपके दर्द को बढ़ाता है, वहीं इसके ठीक विपरीत सकारात्मक वातावरण आपको अच्छी फ़ीलिंग देता है। इसीलिए भावनात्मक तनाव से बचने के लिए उन लोगों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएँ जो आपके जीवन में सकारात्मकता बढ़ा सकें, आपको खुश रख सकें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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