फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
तुलना करने के स्थान पर बनाएँ खुद को बेहतर


Oct 8, 2021
तुलना करने के स्थान पर बनाएँ खुद को बेहतर
बचपन के दोस्त राम और श्याम हमेशा एक साथ ही रहना पसंद करते थे। ऐसा हो भी क्यूँ ना, दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे, एक ही विद्यालय से शिक्षा ली एवं उसके बाद एक ही कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करके एक मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी कर ली।
एक साथ बने रह पाने की वजह से दोनों बहुत खुश थे। अच्छे व्यवहार और मेहनती होने की वजह से दोनों कम्पनी के सभी वरिष्ठों के प्रिय थे। नौकरी में 3-4 वर्षों तक तो सब ठीक चलता रहा लेकिन कम्पनी निदेशक के एक निर्णय की वजह से श्याम बहुत दुखी और चिड़चिड़ा रहने लगा। असल में कम्पनी के मालिक ने राम को पदोन्नत करके मैनेजर बना दिया और श्याम को पुराने पद पर ही काम करते रहने के लिए कहा।
एक दिन श्याम ने अपना विरोध दर्ज कराने का निर्णय लिया और कम्पनी मालिक के पास जाकर बोला, ‘महोदय, मैं और राम दोनों ही एक ही विद्यालय और कॉलेज से पढ़े हैं, दोनों ने एक ही साथ इस कम्पनी में कार्य करना शुरू किया और कम्पनी में भी दोनों ने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए सभी टार्गेट पूरे किए। जब हम दोनों का प्रदर्शन, शिक्षा सभी कुछ एक जैसा है तो फिर यह भेदभाव क्यूँ?’
कम्पनी मालिक ने श्याम को बैठने का इशारा करते हुए कहा, ‘श्याम मैं सही हूँ या नहीं, इसका निर्णय मैं तुम्हारे ऊपर ही छोड़ता हूँ। बस निर्णय करने के पहले तुम्हें मेरा एक कार्य करना होगा।’ श्याम तुरंत राज़ी हो गया, मालिक ने उसे बाज़ार जाकर तरबूज़ मिल रहे हैं या नहीं पता करके आने के लिए कहा। श्याम तुरंत बाज़ार गया और पता करके आकर मालिक से बोला, ‘महोदय, बाज़ार में काफ़ी सारे लोग तरबूज़ बेच रहे हैं।’ मालिक ने श्याम से कहा, ‘उनका भाव क्या है?’ श्याम भाव तो पता करके आया नहीं था। वह फिर बाज़ार गया और थोड़ी ही देर में वापस आकर बोला, ‘महोदय बीस रुपए किलो।’ मालिक ने पूरी गम्भीरता के साथ उसे कहा, ‘अच्छा अगर हम उससे इकट्ठे 500 किलो तरबूज़ लेंगे तो वह किस भाव में देगा?’ मालिक के इतना पूछते ही श्याम मन ही मन थोड़ा सा चिढ़ गया और सोचने लगा ‘एक ही बार में सारी बात नहीं बता सकते थे क्या?’ लेकिन अपने मन की बात को बिना ज़ाहिर करे, चेहरे पर मुस्कुराहट बरकरार रखते हुए वह बाज़ार गया और थोड़ी ही देर में वापस आकर मालिक को सारी बात बता दी।
मालिक ने श्याम को साथ बैठने के लिए कहा और राम को बुलाकर बोला, ‘राम, ज़रा बाज़ार जाकर पता करके आओ के तरबूज़ मिलने लगे हैं या नहीं।’ राम तुरंत बाज़ार गया और लगभग आधे घंटे में वापस आकर बोला, ‘महोदय, बाज़ार में तरबूज़ आ गए हैं। आज का भाव 20 रुपए प्रति किलो है लेकिन अगर हम 100 किलो से ज़्यादा लेंगे तो वह हमें 15 रुपए प्रतिकिलो दे देगा। उसके पास लगभग 1000 किलो तरबूज़ हैं और सभी तरबूज़ एकदम ताजे हैं। बाज़ार के मुताबिक़ आने वाले दिनों में तरबूज़ के भाव बढ़ने के आसार हैं।’
मालिक ने राम को बाहर जाने का इशारा किया और श्याम की ओर देखते हुए बोले, ‘बताओ श्याम, राम को पदोन्नत करने का मेरा निर्णय ठीक था या नहीं?’ श्याम को उसके और राम के बीच का अंतर समझ आ चुका था वह तुरंत बोला, ‘जी हाँ, मैंने और राम ने काफ़ी समय साथ बिताया है, अपनी शिक्षा एक साथ पूरी करी है, लेकिन अभी मुझे राम से काफ़ी कुछ सीखना है।’ इतना कहते हुए श्याम मालिक को नमस्कार करते हुए उनके केबिन से वापस बाहर आ गया।
जी हाँ दोस्तों, अकसर हम जीवन में अनावश्यक और निरर्थक बातों को लेकर ग़लत तुलना करने लगते हैं एवं उसकी वजह से अपनी मानसिक शांति भी गँवा देते है। दोस्तों अगर जीवन में सफल होना चाहते हैं तो फ़ालतू की तुलना करने एवं तुलना के लिए सामने वाले पर अधिक ध्यान देने के स्थान पर खुद के अंदर झांके और अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास करें। उपरोक्त कहानी से मिली सीख को भी याद रखिएगा, ‘सफल लोग अधिक सजग रहते हैं और भविष्य को देखते हुए कई साल आगे तक की प्लानिंग करते हुए चलते हैं। जबकि आम लोग आज की छोटी-मोटी चीजों में ही उलझे रह जाते हैं।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर