फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
दिमाग़ खुला रखें, महामारी से बचें


April 11, 2021
दिमाग़ खुला रखें, महामारी से बचें…
दोस्तों अकसर कहा जाता है कि शस्त्र, पेराशूट, और दिमाग़ तभी काम करते हैं जब वे खुले हों। लेकिन जीवन में कई बार हम थोड़े से लालच या तात्कालिक फ़ायदे के लिए कुछ ऐसा कर जाते हैं कि ऐसा लगता है जैसे हम बुद्धिहीन ही है। ऐसा ही कुछ पिछले कुछ दिनों में मैंने महसूस किया बल्कि यह कहना ज़्यादा उचित होगा कि मैं भी उसी बेवक़ूफ़ी का हिस्सा बना।
आज हम देख ही रहे हैं कि कोविद किस तरह हमारे आसपास पैर पसार रहा है और हममें से कई लोग इसके बाद भी सामान्य प्रोटोकॉल का पालन करने में चूक रहे हैं और दोष किसी और पर मढ़कर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर रहे हैं। अपनी बात को समझाने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ।
एक बार राजा अकबर को अल्ल सुबह बहुत तेज प्यास लगी लेकिन वे उस वक्त गहरी नींद में भी थे। इसलिए उन्होंने स्वयं उठकर पानी लेने के स्थान पर अपने सेवकों को आवाज़ देना प्रारम्भ कर दिया। संयोगवश उस वक्त उनका कोई भी सेवक उनके पास नहीं था सिवाय एक सफ़ाई कर्मचारी के। राजा ने उसी के हाथ से पानी मँगवाकर पी लिया। अगले दिन दोपहर तक राजा अकबर बहुत ज़्यादा बीमार हो गए। उनकी तबियत देखने के लिए तत्काल राज वैद्य, राज पुरोहित और राज पंडित को बुलवाया गया। राज वैद्य द्वारा उपचार करने के बाद, राज पंडित ने राजा अकबर से कहा कि उनके ऊपर किसी मनहूस व्यक्ति की परछाई पड़ी है।
राज पंडित की बात सुनते ही राजा को सुबह जल्दी पानी पीने वाला क़िस्सा याद आया कि उन्होंने सुबह सफ़ाई कर्मचारी के हाथों से पानी पिया था। उन्हें लगा यह उसी का नतीजा है। राजा ने तुरंत उस कर्मचारी को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया और तीन दिन बाद उसे फाँसी पर लटकाने का हुक्म सुना दिया। जब बीरबल राजा की तबियत का हाल-चाल पूछने के लिए राजा अकबर के पास गए, तो उन्हें प्यास लगने से लेकर सजा सुनाने का सारा क़िस्सा पता चला।
बीरबल को राजा अकबर का निर्णय बिलकुल पसंद नहीं आया और उन्होंने कारावास में जाकर उस सफ़ाई कर्मचारी, जिसने राजा को प्यास लगने पर पानी पिलाने का नेक कार्य किया था, से मिलने का निर्णय लिया। कारावास में उस कर्मचारी से मिलने के बाद बीरबल को एहसास हो गया कि वो व्यक्ति निर्दोष है तो बीरबल उसकी जान बचाने की सांत्वना देकर वापस राजा अकबर के पास चले गए।
राजा अकबर के पास जाकर बीरबल ने अपना मत रखा पर अकबर कुछ मानने के लिए राज़ी ही नहीं थे। तब कोई और चारा ना देख बीरबल बोले अगर मैं आपको राज्य के सबसे मनहूस व्यक्ति से मिलवाऊँ तो क्या आप उस सफ़ाई कर्मचारी की जान बख्श देंगे। अकबर ने तुरंत जान बख्शने का वचन दे दिया।
राजा के वचन देते ही बीरबल बोले, ‘महाराज उस सफ़ाई कर्मचारी से तो ज़्यादा मनहूस आप हैं।’ अकबर कुछ समझ नहीं पाए तो बीरबल वापस बोले, ‘महाराज उसकी शक्ल देखकर तो आपकी सिर्फ़ तबियत ख़राब हुई है पर उस बेचारे ने सुबह पहले आपकी शक्ल क्या देख ली, उसकी तो जान पर बन आई है। अर्थात् आप उस व्यक्ति से ज़्यादा मनहूस हैं।
इतना कहते ही बीरबल हंसने लगे और राजा अकबर एक बार फिर बीरबल की बुद्धि का लोहा मान गए और उन्होंने तुरंत उस कर्मचारी को रिहा करने का आदेश दे दिया।
जी हाँ दोस्तों जिस तरह अकबर ने बिना ज़्यादा सोचे-समझे कर्मचारी को गुनाहगार मानते हुए सजा सुना दी ठीक इसी तरह इस वक्त हम फैलते कोविद संक्रमण पर लोगों की ग़लतियाँ गिनाते हुए खुद सामान्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। दोस्तों यह समय गलती किसकी है यह देखने का नहीं बल्कि खुद को इससे बचाए रखने का है।
इस शो के माध्यम से मेरी और ग्लोबल हेराल्ड़ परिवार की ओर से आप सभी से विनती है कि आप अपने और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए समस्त प्रोटोकॉल का पालन करें और जल्द से जल्द हमारे शहर, हमारे देश को इस भयानक संक्रमण से बचाने में मदद करें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com