फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
दुविधा के बीच स्पष्ट लक्ष्य कैसे बनाएँ - भाग 2


Oct 21, 2021
दुविधा के बीच स्पष्ट लक्ष्य कैसे बनाएँ - भाग 2
दोस्तों, सिर्फ़ सपने ही नहीं, सही सपने बनाने का दबाव भी हमारी नींद और चैन उड़ा देता है। जी हाँ, ऐसा ही कुछ मेरी बिटिया दिक्षिता के साथ भी चल रहा है। वह भी अपने ग्रैजूएशन के बाद अपने कैरियर, उसे पाने की योजना और भविष्य के सपनों को लेकर दुविधा की स्थिति से गुजर रही है। जीवन में अकसर ऐसा सभी के साथ होता है, जहाँ हमें समझ ही नहीं आता है कि अब क्या किया जाए? अपनी उलझन को दूर करने के लिए जितना इस विषय में सोचते हैं, यह और उलझता जाता है। अकसर दोस्तों, यह उलझन लक्ष्य बनाते वक्त अपने प्रोफ़ेशन, पैशन एवं वोकेशन को मिक्स करने के कारण भी पैदा होती है।
वैसे दोस्तों, मैं इस उलझन को सही भी मानता हूँ क्यूँकि यह उलझन आपके ज्ञान, आपकी बुद्धिमत्ता अर्थात् इंटेलिजेन्स को कई गुना बढ़ा देती है। इसीलिए तो कहते हैं, ‘confusion is the first step towards clarity’ कल हमने इसी उलझन अर्थात् कन्फ़्यूज़न से स्पष्टता अर्थात् क्लैरिटी पाने के 5 सूत्रों में से प्रथम 3 सूत्र सीखे थे, आइए आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में एक बार दोहरा लेते हैं-
पहला सूत्र - छोटे लक्ष्य बनाए
कई बार दोस्तों हम अपने पूरे जीवन का रोड मैप बनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन भविष्य की स्पष्ट तस्वीर ना देख पाने के कारण सफल नहीं हो पाते और परेशान होने लगते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए खुद से प्रश्न करें, 'आप जीवन में क्या चाहते हैं?’ जो भी जवाब मिले उसे लिख लें, भले ही जवाब स्पष्ट ना हो तो भी। अब उन विचारों के आधार पर ब्रॉडर फ़ील्ड पहचानने का प्रयास करें और उस दिशा में छोटे-छोटे समयबद्ध लक्ष्य बनाकर कार्य करते जाएँ। सही दिशा में कदम बढ़ाने से कुछ ही दिनों में आपको समझ आ जाएगा कि आप क्या चाहते है और उसे कैसे पाया जा सकता है?
बस ब्रॉडर फ़ील्ड के आधार पर लक्ष्य बनाते समय ध्यान रखें कि यह लक्ष्य अधिकतम एक वर्ष के लिए हों और इन्हें साप्ताहिक या दैनिक आधार पर पूरा करने लायक़ तोड़ा जा सकता हो। बस उन कदमों के बारे में सोचें जो आपको इन दैनिक या साप्ताहिक लक्ष्य को पाने में मदद कर सकेंगे।
दूसरा सूत्र - रेकार्ड रखें एवं ट्रैक करें
एक वर्ष के लक्ष्य को दैनिक, साप्ताहिक आधार पर तोड़ने के बाद उसे पाने के लिए एक योजना बनाएँ और उस पर कार्य करें। जब आप किसी योजना पर कार्य करते हैं तो आपको कई बार सफलता मिलती है, तो कई बार असफलता। दोनों ही स्थितियाँ आपको अपने लक्ष्य को पाने में मदद करेंगी। बस आपको उस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों और उससे मिले परिणामों का रेकार्ड रखना होगा और किस दिशा में कौनसा कार्य करने पर क्या परिणाम मिलता है और इसे ट्रैक करना होगा। अपने ऐक्शन और उससे मिलने वाले परिणामों को ट्रैक करना आपको अपनी विशेष योग्यता या कमी को पहचानने में मदद करेगा। इसका सीधा-सीधा फ़ायदा आपको अपनी योजना को बेहतर बनाने में मिलेगा, जो आपकी ऐक्शन को बेहतर बनाएगा और बेहतर ऐक्शन आपकी सफलता सुनिश्चित करेगी।
अपनी योजना, ऐक्शन एवं उससे मिलने वाले परिणामों को ट्रैक करने के लिए आप स्प्रेडशीट, ऐप, डायरी या व्हाइट बोर्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सूत्र आपको प्रेरित रहने और लक्ष्य की दिशा में की जा रही प्रगति को देखने में मदद करेगा।
तीसरा सूत्र - स्पष्टता रखें
सही दिशा में, उपरोक्त सूत्रों के आधार पर योजनाबद्ध तरीक़े से किया गया काम आपको अपने छोटे लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पाने में मदद करेगा। यही छोटी सफलताएँ आपको बड़े लक्ष्य को पहचानने में मदद करेगी। स्पष्ट और सटीक लक्ष्य को पहचानने के बाद उसे पाने की तारीख़ तय करें। ऐसा करना लक्ष्य के प्रति आपकी जवाबदेही तय कर देता है। इसकी सहायता से आप अपनी उपलब्धियों का रिकॉर्ड भी रख सकते हैं, जो वास्तव में, गुजरते समय के साथ, आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और आपको अपने अगले लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा।
चलिए दोस्तों अब हम सीखते हैं अंतिम दो सूत्र…
चौथा सूत्र - वास्तविक बनें
भविष्य की धुंधली तस्वीर के बीच वास्तविक छोटे लक्ष्य ना होना, परिस्थिति को और ज़्यादा परेशानी भरा बना सकता है। इसलिए छोटे लक्ष्य बनाते समय अच्छे से सुनिश्चित करें कि वे स्पष्ट होने के साथ साथ पहली बार में पूरे करने योग्य हों। जब आप तय समय पर छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करने लगते हैं तो वह आपके कॉन्फ़िडेन्स अर्थात् आत्मविश्वास को बढ़ाता है। बढ़ता आत्मविश्वास आपको लय पाने में मदद करेगा और जैसे ही आपको लगे आप लय में आ गए हैं, जीवन के बड़े लक्ष्यों की ओर अपना ध्यान लगाने लगे अर्थात् अपने बॉर्स ऊँचे करते जाएँ।
पाँचवाँ सूत्र - जश्न मनाएँ
‘मुझे जीवन का उद्देश्य नहीं मिल रहा।’ ‘समझ नहीं आ रहा क्या करूँ?’ जैसी फ़ालतू बातों से परेशान ना हों जीवन का मुख्य उद्देश्य या लक्ष्य हर हाल में खुश रहना ही है। हमेशा खुश रहने के लिए दैनिक कार्यों में मिलने वाली सफलता का, छोटी से छोटी जीत का भी जश्न मनाएँ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर