top of page

फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

दूसरों का दुर्भाग्य भी आपको लाभान्वित कर सकता है

दूसरों का दुर्भाग्य भी आपको लाभान्वित कर सकता है
global_herald_logo_1.png

Feb 3, 2022

दूसरों का दुर्भाग्य भी आपको लाभान्वित कर सकता है…


आईए दोस्तों आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई वर्ष पुरानी है। दक्षिण पूर्व के कई गाँवों के बीच में एक बहुत ही पुराना प्रार्थनास्थल था। हालाँकि ऐतिहासिक रूप से इसका काफ़ी महत्व था, लेकिन देखरेख के अभाव में यह काफ़ी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुँच गया था। दीवारें बिलकुल गिरने की कगार पर थी, इतना ही नहीं बारिश में छत से पानी टपका करता था। पूरा भवन ही ऐसा लगता था मानो कभी भी गिर पड़ेगा।


एक रविवार प्रार्थनास्थल के संचालक ने साप्ताहिक प्रार्थना के बाद इस बाबत चर्चा करते हुए इस स्थल की मरम्मत के लिए पैसा और सामान इकट्ठा करने का सुझाव देते हुए कहा, ‘साथियों, प्रभु के आशीर्वाद की वजह से आज हम सब अपने सपनों का जीवन जी पा रहे हैं। हमने इस प्रार्थनास्थल में जब भी, जो भी माँगा है, हमें प्रभु ने दिया है। लेकिन अब यह प्रार्थनास्थल इतनी ख़राब अवस्था में आ चुका है कि अगर इसे तत्काल ठीक नहीं करवाया गया तो यह किसी भी दिन गिर पड़ेगा। मेरा आप सभी से निवेदन है कि हम सब मिलकर इसके मूलस्वरूप को बचाए रखने के लिए प्रयास करें। इसके लिए हमें काफ़ी सारे सामान और पैसे की ज़रूरत पड़ेगी। आप अपनी क्षमता के अनुसार इस पुनीत कार्य के लिए पैसा या कोई भी वस्तु दान कर सकते हैं। जो वस्तु हमारे काम की नहीं होगी हम उसे नीलाम कर पैसे जुटाएँगे।’


संस्था प्रमुख की अपील का लोगों पर ज़बरदस्त प्रभाव पड़ा। कुछ ही दिनों में संस्था के पास काफ़ी सारा पैसा और सामान इकट्ठा हो गया। अगली साप्ताहिक प्रार्थना के दिन भी काफ़ी सारे लोग दान देने के लिए सामान लेकर पहुंचे। संस्था प्रमुख यह देख बहुत खुश थे, उन्होंने उस दिन प्रार्थना समाप्त होने के बाद सभी का धन्यवाद देते हुए, अपनी योजना के बारे में बताना शुरू ही किया था कि प्रार्थनास्थल के दरवाज़े के पास एक ताबूत रखा देख वे चौंक गए और अनायास ही उनके मुँह से निकल गया, ‘हे प्रभु! आज किसकी मृत्यु हो गई?’ प्रमुख के शब्द सुन सामने बैठे लोगों में से एक व्यक्ति खड़ा हुआ और बोला, ‘महाशय, किसी की मृत्यु नहीं हुई है। जैसा आपने कहा था कि प्रार्थनास्थल के निर्माण के लिए आपके पास जो भी हो आप उसका दान कर सकते हैं। मैं बहुत गरीब इंसान हूँ, जैसे-तैसे ताबूत बेचकर अपना घर चलाता हूँ। मेरे पास प्रार्थनास्थल के पुनः निर्माण के लिए दान देने के लिए कुछ और नहीं था तो मैं इसे ही ले आया।’


सब उस व्यक्ति को हैरानी के साथ देख रहे थे, किसी को समझ नहीं आ रहा था कि इस ताबूत का क्या किया जाए। वहाँ बैठे कुछ लोगों ने तो उसके ऊपर ताने मारना तो कुछ ने उसे खा जाने वाली निगाहों से देखना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था मानों वहाँ सभी लोग एक स्वर में कह रहे हैं, ‘दिमाग़ नहीं दिया है क्या ईश्वर ने? यह भी कोई प्रार्थनास्थल पर लाने या दान देने वाली चीज़ है?’ 


इन सभी बातों को उन्हीं लोगों के बीच बैठा एक बुजुर्ग भी सुन रहा था, उसे पता था कि ताबूत दान देने के पीछे उस व्यक्ति की मंशा एकदम साफ़ थी। वह खड़ा हुआ और बोला, ‘जिस तरह हमने प्रार्थनास्थल के पुनः निर्माण में दान में काम ना आने वाली प्राप्त वस्तुओं और संसाधनों की बोली लगाकर रक़म इकट्ठा की है, ठीक उसी तरह, हम इस ताबूत को नीलाम कर पैसे इकट्ठा कर सकते हैं।’ सभी ने इस के लिए हामी तो भर दी लेकिन ख़रीदे कौन यह अभी भी समस्या थी। वही सज्जन फिर खड़े हुए और बोले, ‘मैं इस ताबूत को 10000/- रुपए में संस्था प्रमुख की ओर से खरीद रहा हूँ।’ 


उनके शब्द सुन संस्था प्रमुख सकपका गए, उनके होंठ एकदम सुख गए। उन्होंने हड़बड़ाते हुए उसे 20000/- रुपए में संस्था की महिला विंग प्रमुख की ओर से खरीदने का एलान कर दिया। संस्था प्रमुख से अपना नाम सुन महिला प्रमुख को ग़ुस्सा आ गया। वह बोली यह क्या पागलपन है? तुम मुझे मरा हुआ देखना चाहते हो क्या? मैं इसे 25000 /- में मिस्टर एक्स के लिए लेती हूँ। महिला की बात सुन मिस्टर एक्स हैरान थे, उन्होंने उसे और पैसे बढ़ाकर मिस्टर वाय की ओर से खरीद लिया। 


वस्तुतः कोई भी उस ताबूत को लेना नहीं चाहता था। अंत में शहर के सबसे धनी, बुजुर्ग व्यक्ति ने उस ताबूत को सवा लाख रुपए में ताबूत बनानेवाले की ओर से खरीद लिया और संस्था में उसके पैसे जमा करवा दिए। अंत में साथियों ताबूत बनाने वाला, उस प्रार्थना स्थल के पुनः निर्माण के लिए सबसे ज़्यादा दान देने वाला बन गया था। यह जान वह बहुत खुश था, उसने अपना ताबूत उठाया और मुस्कुराते हुए, गर्व के साथ अपना सीना फूला, अपनी दुकान की ओर लौट गया।


दोस्तों, जिस ताबूत बनाने वाले को थोड़ी देर पहले सभी लोग नीची नज़रों से देख रहे थे, जिसका मज़ाक़ उड़ा रहे थे, वह आज बिना एक भी रुपया अपनी ओर से दिए, सबसे बड़ा दानी बन गया था। उक्त कहानी से हम दोस्तों दो प्रमुख सबक़ सीख सकते हैं। पहला सबक़, अगर किसी के सही उद्देश्य को नीची नज़रों से देखा जाए, उसकी छोटी मदद को बहुत कम आंक, उसका मज़ाक़ उड़ाया जाए तो प्रकृति के नियम के तहत वह दूसरों के दुर्भाग्य से भी लाभान्वित होता है और ईश्वर उसकी लज्जा को भी सम्मान में बदल देता है। दूसरा सबक़, दोस्तों समाज का उत्थान करने, लोगों की मदद करने के लिए बहुत सारे पैसे या संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती है। उसके लिए तो सबसे ज़रूरी चीज़ अच्छी नियत का होना है। अगर आपका उद्देश्य पावन हो तो आपके हाथ के साथ, हज़ारों हाथ मदद करने के लिए अपने आप उठ जाते हैं। याद रखिएगा दोस्तों आपको यह जीवन लोगों को खुश करने के लिए नहीं बल्कि खुद को खुश रखने, समाज और प्रभु की सेवा करने के लिए जीना है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

1_edited_edited.jpg

Be the Best Student

Build rock solid attitude with other life skills.

05/09/21 - 11/09/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)

Duration - 14hrs (120m per day)

Investment -  Rs. 2500/-

DSC_5320_edited.jpg

MBA

( Maximize Business Achievement )

in 5 Days

30/08/21 - 03/09/21

Free Introductory briefing session

Batch 1 - For all adults

Duration - 7.5hrs (90m per day)

Investment - Rs. 7500/-

041_edited.jpg

Goal Setting

A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.

01/10/21 - 04/10/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)

Duration - 10hrs (60m per day)

Investment - Rs. 1300/-

bottom of page