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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र - भाग 2

पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र - भाग 2
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Oct 30, 2021

पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र - भाग 2


दोस्तों, ईश्वर ने हम सभी को असीमित क्षमताओं के साथ इस दुनिया में विजेता बनने के लिए भेजा है। लेकिन हम किसी ना किसी वजह से ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्तियों, क्षमताओं का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते हैं और समझौता करते हुए अपने जीवन को जीते हैं।


आख़िर क्या वजह है दोस्तों कि प्रयास करने के बाद भी हम अपनी क्षमताओं का उपयोग नहीं कर पाते हैं? जबकि हमें पता है कि अपनी असीमित क्षमताओं को ना पहचानने में सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा ही नुक़सान है। कल हमने असीमित क्षमताओं को प्रभावित करने वाली 8 बातों में से 2 बातों को पहचान कर, इन्हें दूर करने के आसान तरीक़ों को चरणबद्ध तरीक़े से समझा था। आइए एक बार उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं -


पहला सूत्र - आत्मविश्वास बढ़ाएँ

सामान्यतः आपने देखा होगा कि जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है लोग उनकी बात कम मानते हैं। बात ना मानने के पीछे का सबसे बड़ा कारण उनका खुदका अपनी बात, अपने उत्पाद, अपनी योजना पर विश्वास ना होना है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए निम्न तीन कार्य करें -


पहला कार्य - अपने ज्ञान को बढ़ाएँ  

अपने कार्य क्षेत्र का ज्ञान होना आत्मविश्वास बढ़ाने की पहली और प्रमुख आवश्यकता है। अपनी क्षमता को पहचानने, उसका उपयोग करने के लिए विषय विशेषज्ञ लोगों के साथ अधिक से अधिक समय रहने का प्रयास करें। इसके साथ ही आप इंटरनेट की सहायता से भी बढ़ा सकते हैं।

दूसरा कार्य - अनुभव बढ़ाएँ 

अनुभव आपके आत्मविश्वास में तेज़ी से बढ़ोतरी करता है। लेकिन अगर आप फ़्रेशर हों या किसी क्षेत्र में नई शुरुआत करने वाले हैं, तो जल्दी आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किसी अनुभवी कोच या मेंटॉर की मदद लें।

तीसरा कार्य - अनुशासित रहें

अनुशासित रहना एक ऐसी स्किल है जो आपको किसी भी क्षेत्र में सफलता दिला सकती है। भले ही आपका ज्ञान और अनुभव कम हो लेकिन अगर आप एक लक्ष्य बनाकर अनुशासित रहते हुए उस दिशा में कार्य करते हैं तो निश्चित तौर पर सफल हो जाते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, आत्मविश्वासी व्यक्ति के लिए वस्तुतः ऐसा कुछ भी नहीं है जिसमें वह सफल ना हो सके।


दूसरा सूत्र - लोगों की राय से परेशान ना हो 

पॉल रूलकेंस, जो कि सुरचिपूर्ण, आसान और तेज तरीक़ों से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के विशेषज्ञ है, के अनुसार, ‘जब भी उच्च प्रदर्शन की बात आती है, बहुमत अकसर गलत सिद्ध होता है।’ इसीलिए कहते हैं लोगों की राय से परेशान ना हों और याद रखिएगा दोस्तों अपनी पूरी क्षमता को उजागर करने, पहचानने का रहस्य, यह विश्वास करना है कि असंभव भी वास्तव में संभव है और आप इसे कर सकते हैं।


चलिए दोस्तों अब हम अगले तीन चरण सीखते हैं-


तीसरा सूत्र - नए रास्ते चुनने से ना डरें 

दोस्तों, अपनी क्षमताओं को पहचानने या ईश्वर के द्वारा आपको प्रदत्त शक्तियों को जानने के लिए हमें अपने कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलकर कार्य करना ही होता है। हमारे इस रेडियो शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ या न्यूज़ पेपर कॉलम ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है…’ को ही ले लीजिए, मेरे लिए रोज़ लिखना या रेडियो के लिए शो बनाना, शुरू करने के पहले असम्भव ही था। लेकिन आज हम दोनों के ही 500 से ज़्यादा शो पूरे कर चुके हैं। 


अपनी क्षमताओं को पहचानकर नज़रंदाज़ करना असल में आपको जीवन में आगे बढ़ने का मौक़ा देता है। औसत लोग अपने कम्फ़र्ट ज़ोन में रहकर काम करते हैं और हमेशा ही औसत बने रहते हैं। लेकिन असाधारण लोग अपने कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलकर असाधारण काम करते हैं, अपनी क्षमताओं को चैलेंज करते हैं और अपना जीवन बनाते हैं। 


याद रखें दोस्तों, पूर्ण क्षमता के साथ जीने का एकमात्र तरीक़ा अपने डर को गले लगाकर, उसे प्रबंधित करके अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाना है, खुद को रोज़ खुद से बेहतर बनाना है। वैसे भी मैरी मैनिन मॉरिससे ने कहा था, ‘आप अपने सपने को तब अवरुद्ध करते हैं जब आप अपने डर को अपने विश्वास से बड़ा होने देते हैं।’


चौथा सूत्र : असुविधाजनक, असहज स्थिति में भी सहज रहें 

जैसा कि टी॰ हार्व एकर ने कहा है, ‘जब आप वास्तव में बढ़ रहे होते हैं, तभी आप असहज होते हैं।’ ऐसा इसलिए दोस्तों क्यूँकि जब भी हम अपनी सीमाओं से आगे जाकर काम करते है, तब डर, नकारात्मक भाव, तनाव, दबाव, असहज होना स्वाभाविक है। असहजता हमारे अंदर निराशा का भाव पैदा करती है। इसलिए हमें निराशा, बेचैनी से लड़ना, नकारात्मक भावों से ऊपर उठकर अपने लक्ष्यों को पाने के लिए सकारात्मक और सहज रहना सीखना होगा। इसके लिए सर्वोत्तम तरीक़ा सफलता को सकारात्मक रूप से विज़ुअलाइज़ करके देखना और खुद को बार-बार एहसास कराना है कि कार्य कितना भी कठिन क्यूँ ना हो हम इसे सफलतापूर्वक कर सकते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, हमारा शरीर और हमारा मस्तिष्क हमारी कल्पनाओं से कहीं अधिक सक्षम है।


पाँचवाँ सूत्र - ट्रैक किए जाने लायक़ लक्ष्य बनाएँ 

‘एक दिन मैं सफल होऊँगा।’ कहना बेहतर है या ‘आने वाले पाँच वर्षों में, मैं अपने निम्न लक्ष्य पूर्ण करूँगा’, कहना बेहतर है। निश्चित तौर पर दूसरा विचार क्यूँकि पहला विचार जहां अस्पष्ट था, वहीं दूसरा विचार लक्ष्य के प्रति एकदम क्रिस्टल क्लीयर होने के साथ ट्रैक करने योग्य था। 


जब भी हमारा लक्ष्य, उसे पाने की दिशा में किए गए प्रयास में मिली सफलता या असफलताओं के आधार पर मापने योग्य या ट्रैक करने योग्य होते है तो सफलता को सुनिश्चित करना आसान हो जाता है। 


इसके साथ ही अपने सभी लक्ष्य को लिखकर रखना उन्हें इच्छा से ऊपर उठाकर वास्तविक और प्रेरक बनाता है। वैसे दोस्तों यही बात मनोवैज्ञानिक गेल मैथ्यूज द्वारा 2015 में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि जिन लोगों ने अपने लक्ष्य को लिखा था वे लक्ष्य को अपने दिमाग़ में रखने वाले लोगों की तुलना में 33% अधिक सफल हुए थे। याद रखिएगा दोस्तों, महान और बड़ी उपलब्धि हासिल करने का एक निश्चित तरीका है स्मार्ट लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें नोट करना।


आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम पूरी क्षमता के साथ जीवन जीने के लिए आवश्यक अंतिम तीन चरण सीखेंगे-


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

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