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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र - भाग 3

पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र - भाग 3
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Oct 31, 2021

पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र - भाग 3


ईश्वर हमें विजेता के रूप में देखना चाहता है इसीलिए उसने हमें असीमित क्षमताओं के साथ इस दुनिया में भेजा है। लेकिन विभिन्न कारणों से हम ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्तियों, क्षमताओं का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते और समझौता करते हुए जीवन जीते हैं। पिछले दो दिनों से हम पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के 8 सूत्र सीख रहे हैं और अभी तक हम 5 सूत्र सीख चुके हैं। आइए आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं -


पहला सूत्र - आत्मविश्वास बढ़ाएँ

सामान्यत आपने देखा होगा कि जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है लोग उनकी बात कम मानते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण  उन लोगों का खुदका अपनी बात, अपने उत्पाद, अपनी योजना पर विश्वास ना होना है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए निम्न तीन कार्य करें -

पहला कार्य - अपने ज्ञान को बढ़ाएँ  

अपनी क्षमता को पहचानने, उसका उपयोग करने के लिए विषय विशेषज्ञ लोगों की मदद लें, इंटरनेट की सहायता से अपना ज्ञान बढ़ाएँ। अपने कार्य क्षेत्र का ज्ञान होना आत्मविश्वास बढ़ाने की पहली और प्रमुख आवश्यकता है।

दूसरा कार्य - अनुभव बढ़ाएँ 

अनुभव आपके आत्मविश्वास में तेज़ी से बढ़ोतरी करता है। लेकिन अगर आप फ़्रेशर हों, या किसी क्षेत्र में नई शुरुआत करने वाले हैं, तो जल्दी आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किसी अनुभवी कोच या मेंटॉर की मदद लें।

तीसरा कार्य - अनुशासित रहें

भले ही आपका ज्ञान और अनुभव कम हो लेकिन अगर आप एक लक्ष्य बनाकर, अनुशासित रहते हुए उस दिशा में कार्य करते हैं तो निश्चित तौर पर सफल हो जाते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, आत्मविश्वासी व्यक्ति के लिए वस्तुतः ऐसा कुछ भी नहीं है जिसमें वह सफल ना हो सके।


दूसरा सूत्र - लोगों की राय से परेशान ना हो 

पॉल रूलकेंस, जो कि सुरचिपूर्ण, आसान और तेज तरीक़ों से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के विशेषज्ञ है, के अनुसार, ‘जब भी उच्च प्रदर्शन की बात आती है, बहुमत अकसर गलत सिद्ध होता है।’ इसीलिए लोगों की राय से परेशान होने के स्थान पर विश्वास करें कि असंभव भी वास्तव में संभव है और आप इसे कर सकते हैं। 


तीसरा सूत्र - नए रास्ते चुनने से ना डरें 

कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलकर कार्य करना आपको ईश्वर के द्वारा प्रदत्त शक्तियों को पहचानने का मौक़ा देता है। कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलते वक्त लगने वाले डर को स्वीकारें फिर उसे प्रबंधित करके अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाना है, खुद को रोज़ खुद से बेहतर बनाना है। वैसे भी मैरी मैनिन मॉरिससे ने कहा था, ‘आप अपने सपने को तब अवरुद्ध करते हैं जब आप अपने डर को अपने विश्वास से बड़ा होने देते हैं।’


चौथा सूत्र - असुविधाजनक, असहज स्थिति में भी सहज रहें 

अपनी सीमाओं से आगे जाकर कार्य करना आपके अंदर डर, नकारात्मक भाव, तनाव, दबाव, असहजता आदि पैदा कर निराशा का भाव पैदा करता है। सफल होने के लिए हमें इस निराशा के भाव, बेचैनी आदि के बाद भी सहज रहते हुए अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ना सीखना होगा। वैसे भी टी॰ हार्व एकर ने कहा है, ‘जब आप वास्तव में बढ़ रहे होते हैं, तभी आप असहज होते हैं।’  इसके लिए सकारात्मक रूप से अपनी सफलता को विज़ुअलाइज़ करें। याद रखिएगा दोस्तों, हमारा शरीर और हमारा मस्तिष्क हमारी कल्पनाओं से कहीं अधिक सक्षम है।


पाँचवाँ सूत्र - ट्रैक किए जाने लायक़ लक्ष्य बनाएँ 

‘एक दिन मैं सफल होऊँगा।’ कहने से बेहतर है, ‘आने वाले पाँच वर्षों में, मैं अपने निम्न लक्ष्य पूर्ण करूँगा।’ जहाँ पहला विचार अस्पष्ट था, वहीं दूसरा विचार लक्ष्य के प्रति एकदम क्रिस्टल क्लीयर होने के साथ ट्रैक करने योग्य था। जब भी लक्ष्य को उसे पाने के रास्ते मिली सफलता या असफलता के आधार पर मापा जा सकता है तो सफलता को सुनिश्चित करना आसान हो जाता है। इसके साथ ही अपने ट्रैक और मापे जा सकने वाले अपने लक्ष्य को लिखकर रखें क्यूंकि लक्ष्य को लिखकर रखना उन्हें इच्छा से ऊपर उठाकर वास्तविक और प्रेरक बनाता है। मनोवैज्ञानिक गेल मैथ्यूज के अनुसार लक्ष्य को अपने दिमाग़ में रखने वाले लोगों की तुलना में, लक्ष्य को लिखकर रखने वाले लोग 33% अधिक सफल हुए हैं।


चलिए दोस्तों अब हम पूर्ण क्षमता के साथ जीवन जीने के अंतिम तीन सूत्र सीखते हैं -


छठा सूत्र - प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने बड़े लक्ष्य को तोड़कर छोटे लक्ष्य बनाएँ

वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको एक ठोस कार्य योजना की आवश्यकता होती है। ऐसे में बड़े लक्ष्यों को तोड़कर कई छोटे लक्ष्य बनाना ना सिर्फ़ योजना बनाना बल्कि उसे अमल में लाना आसान बना देता है। जैसे-जैसे आप छोटे लक्ष्यों को पाते जाते हैं आप बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ अपने बड़े लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं और अंततः सफल हो जाते हैं।


सातवाँ सूत्र - अनुशासित रहें 

अनुशासित रहना योग्यता नहीं, एक कौशल है जिसे हमें विकसित करना होता है। वैसे भी दोस्तों अपनी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए इस कौशल को तमाम मुश्किलों के बाद भी विकसित करना आवश्यक है। इसके लिए हर उस कार्य को दैनिक आधार पर, समर्पण के साथ, हर हाल में करें जो आपको अपने लक्ष्य की ओर ले जाता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा 40 वर्षों तक किए गए शोध के नतीजे बताते हैं कि अनुशासित लोगों के सफल होने की संभावना अधिक रहती है। मेरी नज़र में दोस्तों अनुशासित रहना विलंबित संतुष्टि का दूसरा रूप है।


आठवाँ सूत्र - असफलताओं को सफलता की सीढ़ी बनाएँ 

जीवन में हर किसी को कभी ना कभी, किसी ना किसी रूप में असफलता का स्वाद चखना ही पड़ता है। यह जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, विशेषकर तब जब आप किसी बड़े लक्ष्य का पीछा कर रहे हों। इसलिए चाहे कितनी भी निराशाजनक और हृदयविदारक विफलताएँ क्यों न हों, याद रखें कि वे केवल एक सबक हैं और आने वाले समय में आपको लाभान्वित करेगी। याद रखिएगा, असफलता को स्वीकारना उसे सफलता के एक अद्भुत अवसर में बदलकर, उसे आपके लिए फ़ायदेमंद बना देता है।


आशा करता हूँ दोस्तों, यह फुलप्रूफ रणनीतियाँ आपको अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीने के लिए प्रोत्साहित करेंगी, ताकि जब भी आप पीछे पलटकर देखें तो आपको पछतावा ना हो।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

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