फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
प्यार दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा है


June 23, 2021
प्यार दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा है…
हाल ही में एक मित्र के घर जाना हुआ। बातचीत के दौरान मुझे वहाँ का माहौल कुछ अटपटा सा लग रहा था। हॉल में सब बैठे तो साथ थे लेकिन मन से दूर नज़र आ रहे थे। मौक़ा मिलते ही मित्र से मैंने इस विषय में चर्चा करी तो उसने बताया कि एक घटना की वजह से घर का माहौल बिगड़ा हुआ है। मित्र के बोलने के तरीक़े से मुझे लगा शायद कोई बहुत बड़ी घटना हो गई है जिसकी वजह से सब लोग परेशान हैं। थोड़ा सा ज़ोर देकर पूछने पर मुझे पता चला कि मित्र के बच्चे से कार का छोटा सा ऐक्सिडेंट हो गया था।
ऐक्सिडेंट का नाम सुनते ही मैं भी थोड़ा सा सचेत हो गया और मित्र से बेटे की तबियत के बारे में पूछने लगा। मित्र ने बताया कि ऐक्सिडेंट की वजह से किसी को भी शारीरिक नुक़सान नहीं हुआ। इतना सुनते ही आश्चर्य करने की बारी मेरी थी। मैं सोच रहा था कि जब किसी को भी कोई नुक़सान ही नहीं हुआ है तो परिवार में इतना तनाव क्यूँ है? इस विषय पर पूछने पर मित्र ने बताया कि असल में कार में 30-40 हज़ार का नुक़सान हुआ है, इसी वजह से सबका मुँह और मूड दोनों ख़राब है।
पूरी बात सुनते ही मैं सोच रहा था क्या 40 हज़ार रुपए का नुक़सान बड़ा है या बच्चे को कुछ नहीं हुआ उसकी ख़ुशी? मेरा तात्पर्य यह क़तई नहीं है कि हम बच्चों को अनावश्यक छूट दें या नुक़सान करने पर उन्हें कुछ ना कहें। पर एक घटना को आधार बनाकर पूरे परिवार का मूड बिगाड़ के दुखी रहना मेरी नज़र में उचित नहीं है। आमतौर पर दोस्तों यह एक गलती हम अकसर कर जाते हैं हम इंसानों से ज़्यादा अपनी चीजों से प्यार करना शुरू कर देते हैं और कहीं ना कहीं यही बात हमारे जीवन में नकारात्मकता बढ़ाने लगती है। मैंने तुरंत मित्र व उसके परिवार के सदस्यों को एक कहानी सुनाई जो इस प्रकार थी-
रमेश एक दिन कार्यालय से थोड़ा जल्दी घर पहुँच गया। वहाँ उसने अपनी 9 वर्षीय बेटी को एक बहुत महँगे गोल्डन गिफ़्ट पेपर को फाड़ते हुए देखा। रमेश को महँगा गोल्डन पेपर बर्बाद होता देख बिलकुल अच्छा नहीं लगा उसने तत्काल उस बच्ची को बुरी तरह डाँटा, बच्ची एकदम सकपका गई। रमेश को अपनी पत्नी पर भी बहुत ग़ुस्सा आ रहा था, वह सोच रहा था कि आज उसे भी इस बारे में समझाएगा।
अभी वह इसी उधेड़बुन में था कि उसकी बेटी एक प्यारा सा छोटा सा गिफ़्ट लेकर उसके पास आई और ‘हैपी फादर्स डे’ बोलते हुए उसे रमेश को दे दिया। गिफ़्ट देखते ही रमेश सकपका गया क्यूंकि यह गिफ़्ट उसी गोल्डन पेपर से पैक किया गया था। उसने तुरंत अपनी बेटी को प्यार करा और उस गिफ़्ट पैक को खोल कर देखने लगा।
गिफ़्ट देखते ही रमेश को एक बार फिर ग़ुस्सा आ गया क्यूँकि उस गिफ़्ट पैक के अंदर एक ख़ाली डिब्बा था। उसने तुरंत अपनी बेटी को समझाने का प्रयास करा कि किसी को भी ख़ाली बॉक्स गिफ़्ट में नहीं देते हैं। पिता की बात सुनते ही बच्ची तुरंत बोली, ‘पिताजी, मैंने आपको ख़ाली डिब्बा गिफ़्ट में नहीं दिया है, इसके अंदर मैंने आपके लिए ढेर सारा प्यार और फ़्लाइंग किस रखे हैं।’ बच्ची की बात सुनते ही पिता की आँखों से आंसू बहने लगे, उन्होंने तुरंत उसे अपनी बाहों में भरा, प्यार किया और डाँटने के लिए माफ़ी माँगने लगे।
कुछ वर्षों बाद उस बच्ची की एक ऐक्सिडेंट में मौत हो गई। अब पिता के पास उस डिब्बी में रखे बहुत सारे फ़्लाइंग किस और प्यार के अलावा कुछ और नहीं था।
जी हाँ दोस्तों आज हम अपनों को सिर्फ़ चंद चीजों, जिन्हें हम मूल्यवान समझते हैं, के लिए डाँट देते हैं। रिश्ते ख़त्म कर देते हैं। पर क्या यह उचित है? एक बार सोच कर देखिए आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है मूल्यवान वस्तुएँ या अपनों का प्यार।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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