फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
प्राथमिकताओं के आधार पर जिएँ और सुखी रहें


Nov 26, 2021
प्राथमिकताओं के आधार पर जिएँ और सुखी रहें !!!
दोस्तों निश्चित तौर पर कभी ना कभी आपको बड़े बुजुर्गों से सदा सुखी रहने का आशीर्वाद तो मिला ही होगा। सोचकर देखिएगा, उन्होंने आशीर्वाद के रूप में कभी भी यह नहीं कहा कि ‘सदा अमीर रहो!’ या ‘खूब बड़े व्यवसाय के मालिक बनो!’ या फिर ‘तुम्हारे पास बहुत सारी प्रॉपर्टी हो!’ निश्चित तौर पर दोस्तों ‘सदा सुखी रहो!’ इन तीन शब्दों में हमें इन सब बातों से ज़्यादा देने की क्षमता होगी। इसीलिए तो आशीर्वाद में हमें बड़ों ने सुखी रहने के लिए कहा।
अगर आप अभी भी मेरी बात से सहमत ना हों तो अपने आस-पास नज़र घुमाकर देख लीजिएगा, आपको ढेरों अमीर लेकिन दुखी और असंतुष्ट लोग नज़र आ जाएँगे। जी हाँ साथियों, सुख और सफलता का अर्थ कभी भी सिर्फ़ पैसे वाला बनना नहीं होता है। मेरी नज़र में ‘खुशहाल जीवन’ जीने अर्थात् खुश और सुखी रहते हुए जीवन जीने के लिए अपनी सफलता को सही ढंग से परिभाषित करना होगा और यह शायद सही प्राथमिकताओं को बनाए बिना सम्भव नहीं होगा।
जी हाँ सुख और सफलता की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती, यह निश्चित तौर पर हमारी प्राथमिकताओं पर निर्भर रहती है। उदाहरण के लिए किसी के पास पैसा तो बहुत है लेकिन वह बीमार बहुत रहता है इसलिए उसके लिए सुख और सफलता का रास्ता अच्छे स्वास्थ्य से शुरू होगा।
इसलिए दोस्तों दूसरों जैसा बनने, उनके समान भौतिक संसाधनों को जुटाने में अपना जीवन बर्बाद कर, अंततः असंतुष्ट रहते हुए जीवन जीने के स्थान पर अपनी प्राथमिकताएँ बनाना सीखें। सही प्राथमिकता बनाने के लिए आपको अपने जीवन को कुछ मुख्य भागों में विभक्त करना होगा। जैसे, मैंने अपने जीवन को निम्न पाँच भागों में प्राथमिकताओं के आधार पर बाँटा है-
1) मैं खुद
अर्थात् मेरी पहली प्राथमिकता शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहना है। मैं किसी भी कार्य या व्यक्ति को इसे डिस्टर्ब करने की अनुमति नहीं दूँगा।
2) मेरा परिवार
मेरा व्यवसाय, मेरे रिश्ते अगर मेरी पारिवारिक ज़िंदगी को डिस्टर्ब कर रहे हैं तो फिर वे मेरे लिए कितने भी लाभदायक क्यों ना हों, मैं उन्हें अपने स्वास्थ्य या परिवार को डिस्टर्ब करने की अनुमति नहीं दूँगा।
3) मेरा पेशा
मैं मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ हूँ, मेरा परिवार भी खुश और स्वस्थ है तो मेरी अगली प्राथमिकता है मेरा पेशा, जिसकी सहायता से मेरी भौतिक ज़रूरतें पूरी होंगी। जिससे मुझे पैसा मिलेगा, जो मुझे सुरक्षा देगा।
4) दोस्ती, रिश्ते, समाज अथवा अन्य सभी लोग
स्वास्थ्य, परिवार और पेशे से अगर मैं खुश और तृप्त हूँ तो मेरी अगली प्राथमिकता है अपने दोस्त, रिश्ते और समाज। इन्हें साधना मुझे सामाजिक सुरक्षा और प्रतिष्ठा प्रदान करेगा।
5) अन्य सभी बातें
प्राथमिकताएँ तय करने के बाद हर प्राथमिकता के लिए तय समय सीमा के साथ 3 से 5 लक्ष्य बनाएँ और उन्हें हक़ीक़त में बदलने के लिए आवश्यक कार्यों पर दैनिक आधार पर कार्य करें।
दोस्तों यह देखने, सुनने या पढ़ने में आसान सी बातें लग रही हैं। लेकिन इन्हें अपने दैनिक जीवन में अपनाना आसान नहीं होगा। इसके लिए आपको दृढ़ संकल्पित रहते हुए अपने अंदर रॉक सॉलिड आदतों को विकसित करना होगा, जो आपको तात्कालिक सुख देने वाले कार्यों के स्थान पर प्राथमिकताओं पर कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकेंगी।
तो आइए दोस्तों, आज हम सब मिलकर निर्णय लेते हैं अपनी ज़िंदगी को हसीन बनाने के लिए अपनी प्राथमिकताएँ, प्राथमिकताओं के आधार पर लक्ष्य, लक्ष्यों के आधार पर आदतें और आदतों के आधार पर दैनिक जीवन में कार्य कर अपने जीवन को ज़्यादा उपयोगी, ज़्यादा बेहतर बनाएँगे। दोस्तों कल हम उन दस आदतों को पहचानने का प्रयास करेंगे जो हमें अपनी प्राथमिकताओं से दूर कर सपनों का जीवन जीने से वंचित कर देती हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर