फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
प्रार्थना की शक्ति


April 21, 2021
प्रार्थना की शक्ति!!!
जी हाँ दोस्तों, आज जब लोग महामारी से परेशान चल रहे हैं, कुछ लोग इसे, हाथ आए मौके के रूप में देख रहे हैं और कालाबाज़ारी करके अतिरिक्त मुनाफ़ा कमाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो महामारी फैलने के कारण, बचाव के तरीक़े और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं। ऐसे लोगों से मैं सिर्फ़ इतना पूछना चाहूँगा क्या वे इस तरह पैसे कमा कर टाटा या अंबानी बन पाएँगे? या इस पर चर्चा करके महाज्ञानी बन जाएँगे? दोस्तों इस वक्त हमें इंसानियत को सर्वोपरि रखना होगा, एक दूसरे की मदद करना होगी, पूरी आस्था के साथ ईश्वर से प्रार्थना करना होगी। आइए एक कहानी के साथ इसे समझाने का प्रयास करता हूँ।
एक बुजुर्ग महिला काफ़ी देर से सब्ज़ी मंडी में इधर-उधर घूम रही थी, कभी किसी दुकान के सामने रुककर सब्ज़ियाँ देखने लगती तो कभी किसी दूसरी दुकान पर। ऐसे ही करते-करते जब वह एक दुकान के सामने तीसरी-चौथी बार पहुँची तो दुकानदार ने उससे पूछ लिया, ‘माताजी इधर-उधर क्या देख रही हो, सब्ज़ी वग़ैरह लेनी हो तो ले लो एकदम ताजी हैं।’ वृद्ध महिला को दुकानदार के शब्दों से कुछ हौंसला मिला। बड़ी हिम्मत जुटाकर वृद्ध महिला बोली, ‘भैया काम बंद है ना आजकल इसलिए मेरे पास पैसे नहीं हैं क्या तुम मुझे थोड़ी सब्ज़ी उधार दे दोगे?’
भला कोई दुकानदार बिना जान-पहचान के ऐसे ही किसी को उधार तो नहीं दे देता ना, सब्ज़ी वाले ने भी उधार देने से ना कर दिया। वृद्ध महिला दुकानदार से बार-बार प्रार्थना करती है पर दुकानदार तो उसे उधार देने के लिए राज़ी ही ना था। अंतिम बार प्रयास करते हुए उस वृद्ध महिला ने हाथ जोड़ते हुए दुकानदार से एक बार फिर आग्रह करा। दुकानदार लगभग खीजते हुए बोला, ‘अम्मा मैं तुम्हें ऐसे उधार नहीं दे सकता। अगर तुम्हारे पास कोई भी ऐसी चीज़ हो जो कुछ मोल रखती हो तो उसे इस तराज़ू में रख दो, मैं तुम्हें उसके वजन बराबर सब्ज़ी दे दूँगा।’
अब वृद्ध महिला दुविधा में पड़ गई क्यूंकि उसके पास ऐसी कोई भी चीज़ थी ही नहीं जो कुछ मोल रखती। काफ़ी देर सोचते रहने के बाद महिला ने ज़मीन पर पड़ा हुआ काग़ज़ का एक टुकड़ा उठाया और उस पर कुछ लिख कर उसे सब्ज़ी वाले के तराज़ू पर रख दिया। महिला को ऐसा करता देख सब्ज़ी वाले को हंसी आ जाती है। वह वृद्ध महिला की मदद करने का निश्चय करता है और थोड़ी सी सब्ज़ी उठाकर तराज़ू के दूसरे पलड़े पर रख देता है। लेकिन यह क्या! तराज़ू का काग़ज़ वाला पलड़ा सब्ज़ी रखने के बाद भी नीचे ही रहता है। दुकानदार थोड़ी और सब्ज़ी पलड़े में रख देता है लेकिन फिर भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
हैरान-परेशान दुकानदार तराज़ू को चारों ओर से चेक करके देखता है। उसे कुछ समझ नहीं आता है कि यह खेल क्या चल रहा है? वह फिर से थोड़ी और सब्ज़ी तराज़ू के पलड़े में रखता है लेकिन उसके बाद भी काग़ज़ वाला पलड़ा ही भारी रहता है। जैसे ही दुकानदार तराज़ू के पलड़े से काग़ज़ को उठा कर उसे पढ़ता है उसकी आँखों से आंसू बहने लगते हैं। वह तुरंत अपनी गद्दी से उठता है और बहुत सारी सब्ज़ी उठाकर वृद्ध महिला को देता है और उसके चरणों में गिर जाता है।
आस-पास खड़े लोगों के पूछने पर सब्ज़ी वाला बताता है कि काग़ज़ पर लिखा हुआ था, ‘प्रभु आप सर्वत्र हो, मेरे पास तुम्हारे सिवा कुछ नहीं है, अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है।’ किसी को यक़ीन नहीं हो रहा था कि वृद्ध महिला की प्रार्थना में इतनी शक्ति हो सकती है।
जी हाँ दोस्तों हमारे आसपास वाक़ई में कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो स्व-प्रेरणा से अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में चलाए जा रहे ‘प्राण वायु ’ अभियान को ही ले लीजिए जो जरूरतमंद लोगों को निशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँचाने का प्रयास सामाजिक सहयोग से कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से इस आंदोलन को गति देने के लिए जैसे ही लोगों से मदद माँगी गई, एक सब्ज़ी का ठेला लगाने वाले भाई ने फ़ोन पर सम्पर्क करा और अपनी क्षमता अनुसार इसमें अपना योगदान दिया। इसी तरह उज्जैन के ही पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी श्री रजनीश सेठी, होममेकर श्रीमती रीता अरोरा जैसे सैकड़ों लोग अपनी क्षमता अनुसार इसमें योगदान दे रहे हैं।
ऐसा नहीं है दोस्तों कि आप सिर्फ़ पैसे से ही लोगों की मदद कर सकते हैं, मध्यप्रदेश के ही इंदौर शहर निवासी श्रीमती नेहा अपनी सोसायटी में होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को निशुल्क भोजन पहुँचाने का प्रयास कर रही हैं।
दोस्तों हो सकता है हम इस वक्त साधन सम्पन्न ना हों, हमारे पास लोगों के पास जाकर उनकी मदद करने के लिए समय ना हो लेकिन हम यह जानते हैं कि परमात्मा प्रार्थना का मोल जानते है। तो हम लोग और कुछ नहीं तो कम से कम प्रार्थना करके इस विपरीत समय में अपना सकारात्मक योगदान तो दे ही सकते हैं। याद रखिएगा साथियों प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है, फिर चाहे वह एक मिनिट की ही क्यों ना हो। यह हमारे मन के विकारों को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और हमें विपरीत और कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देती है।
आशा करता हूँ आप सभी अहम, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घृणा जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहते हुए खुद के लिए संसाधन माँगने के स्थान पर, जो है उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करने के साथ-साथ, सभी को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए प्रार्थना करेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com