फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
फ़र्क़ पड़ता है


Nov 23, 2021
फ़र्क़ पड़ता है !!!
‘भाई साहब जिसने यहाँ गाड़ी चला ली ना, वो पूरी दुनिया में कहीं भी गाड़ी चला सकता है!’ अपने एजुकेशनल कंसलटेंसी के कार्य के सिलसिले में अहमदाबाद पहुँचने पर मेरा स्वागत इन शब्दों से हुआ। मैंने तुरंत उन सज्जन से पूछा, ‘आपको ऐसा क्यों लगता है?, ‘भाई साहब, यह अहमदाबाद है, यहाँ एक्सट्रीम लेफ़्ट में चल रहे लोग निश्चित तौर पर राइट टर्न लेंगे और जिसने लेफ़्ट का इंडिकेटर दे रखा है ना, यह सज्जन लेफ़्ट नहीं मुड़ेंगे बल्कि सीधे जाएँगे या राइट मुड़ जाएँगे?, थोड़ी देर तो साथ चलिए आपको समझ आ जाएगा।’
मैंने मुस्कुराते हुए उन सज्जन से कहा, यही हाल तो आजकल हमारे उज्जैन-इंदौर का भी है। बल्कि उज्जैन-इंदौर ही क्या, ज़्यादातर शहरों में हालात ऐसे ही हैं। रुके हुए ट्राफ़िक में, रेड लाइट पर या फिर एकदम ख़ाली रोड पर हॉर्न बजाना। ऐसा लगता है मानों उनके हॉर्न में रेड लाइट को ग्रीन करने या फिर अचानक से जाम को ख़त्म करने या फिर उड़कर ऊपर से निकल जाने की शक्ति है।
वैसे दोस्तों, बात मज़ाक़ से चालू ज़रूर करी है लेकिन विषय बड़ा गम्भीर है। युवाओं को छोड़िये, ज़्यादातर वाहन चालाक तेज रफ़्तार से गाड़ी चलाने, ट्रैफ़िक पुलिस से बचने के लिए हेलमेट रखने या बेतरतीब चलने को सामान्य मानते हैं और उन्हें लगता है इन सब से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो अर्थात् एन॰आर॰सी॰बी॰ के आँकड़े कुछ और ही बताते हैं। 2020 में देशभर में सड़क दुर्घटनाओं के 3,54,796 मामले दर्ज किए गए। इन हादसों में 1,33,201 लोग मारे गए और 3,35,201 घायल हुए। रिपोर्ट के अनुसार 60 फीसदी से अधिक सड़क हादसे तेज रफ्तार के कारण हुए, जिसमें 75,333 लोगों की मौत हुई और 2,09,736 लोग घायल हुए। आंकड़ों के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में 43.6 फीसदी दोपहिया वाहन सवार थे। इसके बाद कार, ट्रक या लॉरी और बसों में 13.2 फीसदी, 12.8 फीसदी और 3.1 फीसदी मौतें सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुई। इसके अलावा खतरनाक और लापरवाह ड्राइविंग या ओवरटेकिंग के कारण 24.3 फीसदी हादसे हुए। इस तरह के सड़क हादसों में 35,219 लोगों की मौत हुई और 77,067 लोग हादसों में घायल हुए।
दोस्तों, इन आँकड़ों की भयावहता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सके हैं कि भारत में आज तक युद्धों में जितने सैनिक शहीद नहीं हुए, उससे ज्यादा लोग हर साल हमारे यहाँ सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। यही बात हमारे सर्वोच्च न्यायालय अर्थात् सुप्रीम कोर्ट ने भी कही है। पिछले एक दशक में ही भारत में लगभग 14 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए हैं।
इसके बाद भी कई लोगों के मन में विचार आ रहा होगा कि हम तो वैसे भी ध्यान से चलते हैं और जब सभी लोग ऐसे हैं तो हमारे अकेले के सुधर जाने से क्या होगा?, तो मैं आप सबको बता दूँ दोस्तों, कि हमारे हर एक्शन से हमारा अवचेतन मन प्रोग्राम होता है और उसी प्रोग्राम के आधार पर हम भविष्य में निर्णय लेते हैं। अबू सलेम जिसे हम एक अंडरवर्ल्ड डॉन के रूप में जानते हैं और जो आज की तारीख़ में भारतीय जेल में अपने किए जुर्मों की सजा काट रहा हैं कि कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
अबू सलेम एक बेहतरीन ड्राइवर था, और उसकी इसी योग्यता को देखते हुए दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम ने उसे अपने ड्राइवर के रूप में नियुक्त किया था। ड्राइविंग में अपनी कुशलता के कारण वह जल्द ही गैंग में डिलेवरी मैन का काम करने लगे। 1993 में बम्बई में हुए बम धमाकों में आरोपी के रूप में नाम आने के बाद वे किसी तरह बचते हुए विदेश भाग गए। वर्ष 1993 से लेकर 2002 तक उन्हें पकड़ने के बहुत से प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
वर्ष 2002 में अबू सलेम को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ़्तारी की कहानी कितनी सच्ची है, मुझे नहीं पता।लेकिन कहानी जैसी भी हो, इसमें सीख बहुत महत्वपूर्ण छिपी हुई है। असल में हुआ यूँ कि पुर्तगाल के लिस्बन शहर में अबू सलेम गाड़ी चला रहे थे। पूरा ख़ाली रास्ता देख वे हाईवे पर रेड लाइट जंप कर गए। उनके मन में शायद विचार होगा कि ‘रोड ख़ाली ही तो है, क्या फ़र्क़ पड़ता है? और अगर किसी ने पकड़ भी लिया तो ले देकर छूट जाएँगे।’ वे ऐसा ही तो भारत में किया करते थे, यह बात उनके दिमाग़ के हिस्से कोर्टेक्स में रजिस्टर हो गई। जैसे ही उन्होंने रेड लाइट जंप करी, पुलिस ने उन्हें पीछा करके रोका और पहचान लिए गए। दोस्तों जिस काम में उन्हें महारत हासिल थी उसी काम की गलत प्रेक्टिस ने उन्हें गिरफ़्तार करवा दिया।
ठीक इसी तरह दोस्तों, रोज़मर्रा में किए गए कार्य हमारे मन को प्रोग्राम करते हैं। ड्राइविंग उनमें से एक है, हो सकता है आज हमें इस प्रोग्रामिंग के फ़ायदे-नुक़सान नज़र ना आ रहे हों, लेकिन यक़ीन मानिएगा हमारे मन में रजिस्टर हुआ हर निर्देश हमारे जीवन
को प्रभावित करता है। अगर वह निर्देश ड्राइविंग अथवा कहीं भी दिखाई जल्दबाज़ी होगी तो वह हमारे अंदर रेस्टलेसनेस लाएगी और हमारे मन की शांति को भंग करेगी। याद रखिएगा दोस्तों, हमारा आज लिया गया हर एक्शन, हमारा भविष्य तय करता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर