फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
फिर पछताए क्या होत, जब चिड़िया चुग गई खेत


Aug 18, 2021
फिर पछताए क्या होत, जब चिड़िया चुग गई खेत!!!
जल्दी ढेर सारे पैसे कमा कर अमीर बनना, एक ऐसा सपना बन गया है जो आमतौर पर हर युवा आजकल देख रहा है और इसी चक्कर में वह कई बार ऐसे निर्णय लेता है जो उसे और उसके परिवार दोनों को ही एक ऐसे भँवर में उलझा देता है जिससे बाहर निकलना उनके लिए असम्भव हो जाता है।
ऐसा ही कुछ, हाल ही में मेरे एक परिचित के साथ घटा। उनके पास अकसर एक कम्पनी (जिसे हम एडवाइज़री भी कहते हैं) से फ़ोन आता था की आकर्षक मुनाफ़ा कमाने के लिए आप हमारे द्वारा बताई गई लीड्ज़ पर निवेश करें। कुछ दिनों तक तो वे उसे नज़रंदाज़ करते रहे। लेकिन बार-बार हसीन सपने दिखाए जाने पर उन्होंने उस कम्पनी में छोटे इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत करी। शुरुआती छोटे मुनाफ़े से उनका विश्वास उस कम्पनी में जमने लगा और उन्होंने अपने लालच की वजह से बिना ज़्यादा दिमाग़ लगाए अपनी सारी जमा पूँजी और बैंक व रिश्तेदारों से उधार पर लिए पैसे भी उसमें लगा दिए।
शायद इसी पल का इंतज़ार वह कम्पनी वाला कर रहा था। बड़ा निवेश मिलते ही उसने अपने सभी नम्बर बंद कर दिए और उसके बाद वे कभी उसे खोज नहीं पाए। एक ग़लत निर्णय ने उन्हें वित्तीय रूप से बड़ी उलझन में फँसा दिया था, जिसकी वजह से उन्हें पारिवारिक कलह, बैंक रिकवरी और कोर्ट केस का सामना करना पड़ा।
वैसे दोस्तों यह कोई अनूठा मामला नहीं है, अगर आप अपने आस-पास देखेंगे तो इस तरह के हज़ारों क़िस्से आपको मिल जाएँगे। मेरी नज़र में पैसे कमाना एक कला है, टैलेंट है और बिना सही दिशा में मेहनत करे, किसी भी शॉर्टकट से इसे कमाना असम्भव है। याद रखिएगा दोस्तों अभी तक ‘एक तरफ़ आलू डालो, दूसरी तरफ़ सोना निकालो’, जैसी मशीन बनी नहीं है।
वैसे अगर आप गौर करेंगे तो पाएँगे की इस तरह की घटनाएँ सिर्फ़ बाज़ार में निवेश करने पर ही नहीं बल्कि अपनी योग्यता, क्षमता और ज्ञान को नज़र अन्दाज़ कर दूसरों के देखा-देखी व्यापार करने पर हुए नुक़सान के रूप में भी सुनने में आती हैं। इस स्थिति को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
जंगल में एक दिन भोजन की तलाश में लोमड़ी इधर-उधर भटक रही थी। अंधेरे की वजह से उसे रास्ते में पड़ने वाला एक कुआँ नज़र नहीं आया और वह उसमें गिर पड़ी। कुएँ में पानी तो ज़्यादा नहीं था लेकिन गहराई इतनी थी की लोमड़ी काफ़ी प्रयास करने के बाद भी बाहर नहीं निकल पा रही थी। अपनी कोशिश व्यर्थ होता देख लोमड़ी ने अगली सुबह तक इंतज़ार करने का फ़ैसला लिया।
अगली सुबह एक बकरी पानी की तलाश में कुएँ पर पहुँची। जैसे ही लोमड़ी को बकरी नज़र आयी उसने सोचा कि खुद को कुएं से बाहर निकालने के लिए इस मासूम और मूर्ख बकरी का इस्तेमाल करना चाहिए। लगभग उसी वक्त बकरी की नज़र भी कुएँ के अंदर लोमड़ी पर पड़ी, उसने आवाज़ देकर पूछा, ‘आप यहाँ कुएँ के अंदर क्या कर रहे हो।’ ‘मैं यहाँ पानी पीने आया हूँ", धूर्त लोमड़ी ने उत्तर दिया। बकरी कुछ सोच पाती उससे पहले ही लोमड़ी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘यहाँ का पानी बहुत अच्छा और मीठा है। यह दुनिया के सबसे अच्छे पानी में से एक है।’
प्यासी बकरी ने आव देखा ना ताव, अपनी प्यास बुझाने के लिए तुरंत कुएँ के अंदर छलांग लगा दी। सबसे पहले तो बकरी ने अपनी प्यास बुझाई और उसके बाद बाहर निकलने का प्रयास करने लगी पर असफल रही। तब लोमड़ी ने उस बकरी से कहा, ‘देखो मेरे पास यहाँ से बाहर निकलने के लिए एक योजना है। पहले तुम इस कुएँ की दिवार पर अपने दोनों पाँव रखते हुए खड़े हो जाओ और मैं तुम्हारे सर पर पैर रखकर बाहर निकल जाऊँगा। उसके बाद में दूसरों से मदद लेकर तुम्हें बाहर निकाल लूँगा।’
मासूम बकरी चालाक लोमड़ी की चाल नहीं समझ पायी, उसने वैसा ही किया जैसा लोमड़ी ने उसे समझाया था। लोमड़ी ने भी मौके का फ़ायदा उठाया और उसके सर पर पैर रखकर एक ही छलांग में कुएँ से बाहर निकल गई। बकरी मदद के लिए चिल्लाई लेकिन वादे के मुताबिक स्वार्थी लोमड़ी बकरी की मदद के लिए वापस नहीं आई और जाते-जाते बोली, ‘मैं तो अंधेरे की वजह से कुएँ में गिर गई थी पर अगर तुम में पर्याप्त बुद्धि होती तो तुम बाहर निकलने का रास्ता देखे बिना कभी भी कुएँ में नहीं कूदती।’
जी हाँ दोस्तों जीवन में अकसर हम लक्ष्य बनाते समय यही गलती करते हैं। हम दूसरों की सफलता, उपलब्धियों से प्रभावित हो लक्ष्य बना लेते हैं फिर भले ही उस कार्य को करने की योग्यता हमारे पास हो या नहीं। अगर सफल होना है तो दोस्तों याद रखिएगा किसी भी क्षेत्र में उतरने से पहले खुद को परखें की वह कार्य आपकी योग्यता, क्षमता और पसंद के मुताबिक़ है या नहीं अन्यथा आँख मुंद कर लिए गए निर्णय पर पछताना ही पड़ता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर