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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

बच्चों की लोकप्रियता में माता-पिता की भूमिका - भाग 1

बच्चों की लोकप्रियता में माता-पिता की भूमिका - भाग 1
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Feb 25, 2022

बच्चों की लोकप्रियता में माता-पिता की भूमिका - भाग 1


दोस्तों वैसे यह बताने या कहने की कोई ज़रूरत नहीं है कि माता-पिता का अपने बच्चे के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। माता-पिता की सोच, व्यवहार, किए गए कार्य, कही गई बातें, खान-पान की आदतें, जीवन के प्रति दृष्टिकोण, पालन-पोषण की शैली सभी कुछ बच्चों के जीवन को प्रभावित करती है। 


एक अध्ययन बताता है कि बच्चों को विद्यालय अथवा सामाजिक जीवन में मिलने वाली सफलता, लोकप्रियता आदि सब कुछ माता-पिता द्वारा बचपन में उनके साथ किए गए व्यवहार पर निर्भर करती है या सीधे तौर पर उससे प्रभावित होती है। इसलिए अगर आप अपने बच्चे को बेवक़ूफ़ बनते हुए या किसी के द्वारा धमकाया हुआ या उसकी पहचान किसी भी रूप में नकारात्मक बनते हुए देखते हैं, तो समझ जाइएगा कि पेरेंटिंग के तरीके में बदलाव करने का समय आ गया है। जी हाँ दोस्तों, पेरेंटिंग शैली में किए गए बदलाव उसकी नकारात्मकता या नकारात्मक पहचान को रोक सकते हैं। 


आईए, आज हम पेरेंटिंग शैली किस तरह बच्चे की लोकप्रियता को प्रभावित करती है, समझने का प्रयास करते हैं। लेकिन उससे पहले हमें लोकप्रियता के व्यापक अर्थ को समझना होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के मनोवैज्ञानिक और ‘पॉपुलर’ नामक किताब के प्रसिद्ध लेखक डॉ मिच प्रिंस्टीन के अनुसार, ‘आप लोकप्रियता शब्द से क्या समझते हैं, इस पर आपकी लोकप्रियता निर्भर करती है।’ अर्थात् आप लोकप्रियता को जिस नज़र से देखेंगे यह आपके लिए वैसे ही काम करेगी। विख्यात मनोवैज्ञानिक एवं शोधकर्ता डॉ प्रिंस्टीन के अनुसार लोकप्रियता दो प्रकार की होती है। पहली, सामाजिक प्रतिष्ठा अर्थात् सोशल रेप्यूटेशन, जो हमारे स्टेट्स पर निर्भर करती है एवं दूसरी, सामाजिक वरीयता अर्थात् सोशल प्रिफरेंस, जो लोग हमें कितना चाहते हैं, इस पर निर्भर करती है।


दोस्तों, सामाजिक प्रतिष्ठा आपके व्यक्तित्व अर्थात् आप कैसे दिखते हैं, आप कितने शांत, सौम्य रहते हैं पर निर्भर करती है। इसे हम आप कितने नोटिस किए जाते हैं से जोड़कर देख सकते हैं। इससे बिलकुल विपरीत सामाजिक वरीयता अर्थात् सोशल प्रिफरेंस आप अपनी ज़िंदगी को कितना बेहतरीन तरीके से अर्थात् सार्थक तरीक़े से जीते हैं, पर निर्भर करती है। 


कहने की ज़रूरत नहीं है दोस्तों के दोनों में से दूसरी अर्थात् सामाजिक वरीयता अर्थात् सोशल प्रिफरेंस ज़्यादा बेहतर है क्यूँकि सार्थक ज़िंदगी जीते समय आप दूसरों के जीवन को भी बेहतर बनाते जाते हैं और साथ ही आप दूसरों के साथ अपने रिश्तों को भी बेहतर बनाते जाते हैं। इसके विपरीत पहली अर्थात् सामाजिक प्रतिष्ठा, दूसरे आपके बारे में क्या राय रखते हैं पर निर्भर रहती है। वैसे भी कई बार आपने देखा होगा लाइमलाइट में बने रहना मतलब सामाजिक प्रतिष्ठा, सामाजिक पहचान पाने के लिए लोग कई बार गलत रास्ता या अनावश्यक जोखिम तक उठाते हैं। इन लोगों का जोखिम भरा व्यवहार आपसी रिश्तों को तनावपूर्ण बनाता है और अंततः यह लोग दुखी या नाखुश रहते हुए अपना जीवन जीते हैं।


लेकिन दोस्तों, बच्चों के मामले में इस विषय में हमारी सोच बिलकुल विपरीत हो जाती है। बच्चों में आकर्षण होना बहुत सकारात्मक प्रभाव डालता है क्यूँकि समाज आकर्षक बच्चों के साथ बेहतर तरीके से व्यवहार करता है, उन्हें अच्छे से ट्रीट करता है। यह व्यवहार बच्चों को आशावादी बनाता है और उन्हें इसका प्रदर्शन करने के और अधिक अवसर प्रदान करता है। अगर आप बच्चों के साथ यही व्यवहार टीनेज तक करते है तो यह उन्हें जीवन में बेहतर करने के लिए तैयार करता है। ऐसा देखा गया है जिन बच्चों में आकर्षण अधिक था, जिन्हें समाज से अतिरिक्त प्यार या सराहना मिली थी उन बच्चों ने जीवन में आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन किया है और साथ ही लोगों के साथ बेहतर रिश्ते बनाए हैं। 


दोस्तों कल हम माता-पिता अपने बच्चों की लोकप्रियता को किस तरह प्रभावित करते हैं पर चर्चा करेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

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