फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
बातचीत जारी रखने के 9 आसान सूत्र - भाग 1


June 5, 2021
बातचीत जारी रखने के 9 आसान सूत्र - भाग 1
दोस्तों बातचीत करने की कला या संचार कौशल अर्थात् कम्यूनिकेशन स्किल, एक ऐसी स्किल है जो आपको जीवन में सब कुछ दिलवा भी सकती है और सब कुछ खत्म भी कर सकती है। मतलब दोस्तों, बातचीत करना या कम्यूनिकेट करना हम सबको आता है लेकिन सही तरीक़े से अपनी बात रख पाना बहुत थोड़े से लोग ही जानते हैं। इस कौशल की बारीकियों को एक साथ सिखाना या उस पर चर्चा करना सम्भव ही नहीं है। इसीलिए हर थोड़े दिन में, मैं इसके किसी एक भाग को लेकर आपके समक्ष आता हूँ।
दोस्तों, जीवन में कई बार परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए आपको बातचीत को जारी रखना आवश्यक हो जाता है। लेकिन आपके पास कहने के लिए कुछ होता ही नहीं है और इसी वजह से कई बार हम यह समझ ही नहीं पाते हैं कि क्या किया जाए? और अपना नुक़सान कर बैठते हैं। उदाहरण के लिए कोविद की वजह से हम अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं और ऐसे में अपने सम्भावित या वर्तमान ग्राहकों, सप्लायर आदि के साथ सम्पर्क बनाए रखना उनसे किए गए वादे को निभा पाना या कई बार उनको असंतुष्ट होने से बचाना मुश्किल हो जाता है। आईए आने वाले तीन दिनों में हम 9 ऐसे छोटे-छोटे सूत्र सीखेंगे जिनसे हम अपनी आदतों या बातचीत के तरीक़े में बदलाव लाकर अपनी बातचीत को जारी रख सकें और विपरीत परिस्थितियों में भी मनमाफिक परिणाम प्राप्त कर सकें। तो चलिए शुरू करते हैं पहले सूत्र के साथ-
पहला सूत्र - बातचीत शुरू करने के पहले पूरी तरह रिलैक्स रहें
कई बार आपको अपने से उम्र, ओहदे या किसी विशेष उपलब्धि प्राप्त करे व्यक्ति के साथ वार्तालाप करना होता है और ऐसे में आमतौर पर हम अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयत्न करना चाहते हैं। सर्वश्रेष्ठ देने की चाह की वजह से ही अकसर हम अपने ऊपर अवांछित तनाव बना लेते हैं। इस तनाव की वजह से यह लोग बातचीत की शुरुआत घबराहट के साथ करते हैं और ज़्यादातर समय अगला वाक्य क्या बोलना है उसके बारे में विचार करने में लगा देते हैं।
आमतौर पर देखा गया है कि जब भी कोई अपनी बातचीत की शुरुआत तनाव या घबराहट के साथ करता है तो व्यक्ति बहुत जल्द ही विचार शून्य हो जाते हैं और ऐसा महसूस करने लगते हैं। जैसे उसके पास बोलने के लिए कोई विचार, शब्द या सवाल है ही नहीं। दूसरी बात, जब आप आगे क्या बोलना है, इस पर बहुत ज़्यादा विचार करते हैं तो आप सामने वाले व्यक्ति द्वारा कही गई बात को ध्यान से सुन ही नहीं पाते हैं और इसी वजह से आप बातचीत को आगे कैसे और किस दिशा में बढ़ाया जाए, उसे पहचानने का मौक़ा खो देते हैं।
इसके विपरीत अगर आप सामने वाले के पद, योग्यता, उपलब्धि, अनुभव या उम्र से बातचीत करने के स्थान पर उस व्यक्ति से बात करेंगे, तो आप ज़्यादा रिलैक्स रहेंगे और आपके विचार, शब्द और आईडिया सभी एक लय में रहेंगे और आप जो कहना चाहते हैं वह कह पाएँगे, बातचीत को जारी रख पाएँगे। वैसे ऐसी स्थिति से बचने के लिए आप 3 चरणों में तैयारी कर सकते हैं।
पहला चरण - जल्दबाज़ी से बचें
अगर आप उपरोक्त वर्णित किसी व्यक्ति से बातचीत के लिए जा रहे हैं तो समय से थोड़ा पहले शुरुआत करें और आराम से धीमी गति से रिलैक्स रहते हुए सामने वाले व्यक्ति तक पहुँचे।
दूसरा चरण - गहरी साँस लें
जब आप समय से पहले पहुँच जाएँ तो बातचीत शुरू करने के पहले किसी शांत स्थान पर बैठकर या खड़े रहते हुए लगभग एक या दो मिनिट तक गहरी साँस लें। इस दौरान अपना ध्यान आती-जाती साँस पर लगाएँ। ऐसा करना आपको शारीरिक, मानसिक स्तर पर शांत रहने में मदद करता है। वैसे गहरी साँस लेने का एक और फ़ायदा है यह आपको वर्तमान क्षण में जीने या लौटने का मौक़ा देता है जो अंततः आपके तनाव को कम करता है।
तीसरा चरण - सर्वप्रथम रिश्ता बनाने पर ध्यान दें
दोस्तों, यह एक ऐसा तरीक़ा है जिसे पिछले 25 वर्षों में मैंने सबसे ज़्यादा काम में लिया है। अगर आप बातचीत की शुरुआत अपने फ़ायदे को ध्यान में रखकर करते हैं तो आमतौर पर बहुत जल्दी आप विचार शून्य या आगे क्या कहूँ वाली स्थिति में आ जाते हैं। इसके स्थान पर बातचीत की शुरुआत धीमी गति से अभिवादन करते हुए करें।
अभिवादन, आदर आधारित रिश्ते बनाने की शुरुआत करता है। इसके साथ ही बातचीत की शुरुआत में सामने वाले व्यक्ति को अधिक से अधिक बोलने का मौक़ा दें और अपने फ़ोकस को सौ प्रतिशत बनाए रखते हुए उसकी बात सुनें। जब भी सामने वाला व्यक्ति रुके तब जी, थोड़ा गहराई से इस बताएँ, अच्छा, बहुत खूब आदि कहते हुए उन्हें और ज़्यादा बोलने के लिए मजबूर करें। जब आप बोलना शुरू करें, तो सामने वाले के हित को ध्यान में रखते हुए एक मित्र की भाँति शुरू करें। ऐसा करना आपको रिलैक्स रहते हुए अपनी बात कहने में मदद करेगा।
दोस्तों पहले दो चरण आपके आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए, आरामदायक स्थिति में रहते हुए माहौल को आपके अनुरूप सकारात्मक बनाने में मदद करेंगे। वहीं तीसरा चरण एक अच्छा रिश्ता बनाते हुए धीरे-धीरे बातचीत को आपके पक्ष में मोड़ने में मदद करेगा। लेकिन दोस्तों, यह इतना आसान नहीं होगा, उपरोक्त तीन चरणों को आपको बार-बार प्रयोग में लाना होगा जिससे आप इसे अपनी आदत में शुमार कर सकें।
दोस्तों आज के लिए इतना ही, कल हम अगले तीन सूत्र सीखेंगे और जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे ज़्यादा काम में लाई जाने वाली स्किल को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com

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