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भावनात्मक तनाव से निपटने के 6 सरल तरीके
Mar 6, 2021
भावनात्मक तनाव से निपटने के 6 सरल तरीके…
तेज़ी से बदलती इस दुनिया में सब कुछ तत्काल पाने की चाहत रखना तनाव की प्रमुख वजह बन गया है। आज इसका किसी उम्र या क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है। आप शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक परिस्थिति, रिश्ते, वित्त, भविष्य की योजना या कैरियर के विकल्प आदि.. किसी भी क्षेत्र को ले लीजिए, सभी में आपको इसका स्तर एक समान दिखेगा। आधुनिक युग और व्यस्त जीवनशैली के साथ हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ और परफ़ैक्ट बनने की चाह, रोज़ ही हमें दिमाग़ी तौर पर परेशान करती है और हमें भावनात्मक तनाव को झेलना पड़ता है।
वैसे दोस्तों, हर तनाव नकारात्मक या नकारात्मक अनुभवों की वजह से नहीं होता। कई बार, अच्छी खबर या उसके परिणाम के बारे में अत्यधिक सोचना या उसका अंदाज़ा लगाना भी अप्रत्याशित चिंता और तनाव पैदा करके कार्य को अच्छे से, समय पर पूर्ण करने पर मजबूर करता है और ऐसा करना हमारे प्रदर्शन को बेहतर बनाता है। लेकिन इसके विपरीत भावनात्मक तनाव को झेलने वाला व्यक्ति खुद को दुखी, पीड़ित और असहज महसूस करता है जो जीवन को पूरी तरह बर्बाद कर सकता है।
भावनात्मक तनाव मुख्यतः व्यक्तिगत सम्बन्धों में आई परेशानियों या दरारों की वजह से होता है और यह मन में भावनाओं का ऐसा भँवर पैदा करता है, जो आंतरिक भावनात्मक भावनाओं को और बढ़ाता जाता है जिस वजह से पीड़ित व्यक्ति स्वयं को इसमें और अधिक उलझा हुआ पाता है। बेकार के रिश्तों को ढोना इस तनाव को और बढ़ा देता है। वैसे यह व्यक्तिगत सम्बन्धों के अलावा कार्यस्थलीय तनाव, वित्तीय समस्याओं और कैरियर से सम्बंधित कारणों से भी हो सकता है।
हालाँकि भावनात्मक तनाव से उबरना आसान नहीं है लेकिन इसे जीवनशैली में कुछ छोटे-मोटे बदलाव करके प्रबंधित, नियंत्रित या कुछ कम करते हुए खत्म किया जा सकता है। भावनात्मक तनाव के मूल कारण को पहचानना ही इसे दूर करने की दिशा में पहला कदम होता है। आज मैं आपको छः ऐसे तरीक़े बताने जा रहा हूँ जो आपको भावनात्मक तनाव से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करेंगे।
पहला तरीक़ा - चीजों/लोगों को वैसे ही स्वीकारें जैसे वे हैं
आमतौर पर सभी परिस्थितियों, लोगों अथवा चीजों को नियंत्रित करना संभव ही नहीं होता है। अवास्तविक परिस्थितियों को नियंत्रित करना हमारे तनाव को बढ़ाता ही है। सबसे पहले स्वीकारें, हमेशा वैसा नहीं होता है जैसा आप चाहते हैं। कुछ चीज़ें आपकी योजना से, तो कुछ चीज़ें ईश्वर की योजना से चलती हैं। भावनात्मक तनाव के स्तर को कम करने के लिए सबसे ज़रूरी है कुछ लोगों अथवा चीजों को जैसे हैं, वैसे ही स्वीकारना।
दूसरा तरीक़ा - भावनात्मक तनाव अथवा दर्द से स्वयं को दूर करें
कुछ लोग कटु भावनात्मक अथवा अप्रिय अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करना, भावनात्मक तनाव को दूर करने का साधन मानते हैं। कई बार मन को हल्का करने का यह तरीक़ा कुछ हद तक मदद भी करता है और कहीं ना कहीं हम सभी ने इसे कभी ना कभी अपनाया भी है। ज़्यादा समय तक भावनात्मक तनाव के साथ रहना दोनों, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। हालाँकि, विभिन्न रिसर्च के अनुसार भावनात्मक तनाव को दूर करने के लिए अप्रिय अनुभवों को साझा करने से बेहतर खुद को सकारात्मक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ गतिविधियों में व्यस्त रखना, एक बेहतर तरीक़ा है। जैसे फ़िल्म देखना, घूमने जाना, कार्य से छुट्टी लेना, जो पसंद है उस कार्य को करना, व्यायाम करना, जिम जाना आदि…
तीसरा तरीक़ा - ध्यान करें
भावनात्मक तनाव से निपटने के लिए ध्यान करना एक शानदार तरीका है। वास्तव में, यह आपको तनाव से संबंधित विभिन्न बातों या मुद्दों से उबरने में मदद कर सकता है। ध्यान, भावनात्मक तनाव को दूर करने में मदद करता है और आपके विचारों को बेहतर विकल्पों की ओर मोड़ता है। समय के साथ नियमित ध्यान, आपके ध्यान में सुधार कर सकता है और आपके आत्मविश्वास को बढ़ा सकता है।
चौथा तरीक़ा - सकारात्मक रहें
जिस माहौल में आप रहते हैं वह आपके व्यक्तिगत तनाव पर बड़ा असर डालता है, ऐसे में नकारात्मक माहौल में रहना अकसर आपके भावनात्मक तनाव को बढ़ा देता है। जहां निराशावादी लोगों का साथ आपके दर्द को बढ़ाता है वहीं इसके ठीक विपरीत सकारात्मक वातावरण आपको अच्छी फ़ीलिंग देता है। इसीलिए भावनात्मक तनाव से बचने के लिए उन लोगों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएँ, जो आपके जीवन में सकारात्मकता बढ़ा सकें, आपको खुश रख सकें।
पाँचवा तरीक़ा - संतुलित आहार लें और व्यायाम करें
यह बिलकुल सही है कि भावनात्मक तनाव के दौरान भोजन आपकी अंतिम प्राथमिकता होगी लेकिन भावनात्मक तनाव में भोजन छोड़ना उसके स्तर को और बढ़ा सकता है। इसके विपरीत संतुलित आहार, आपको फ़िट रहने में मदद करता है। वैसे भी कहा गया है फ़िट बॉडी मतलब फ़िट दिमाग़। कई अध्ययन बताते हैं कि नियमित, हल्के से मध्यम व्यायाम तनाव के स्तर को कम रखने में मदद करते हैं।
छठा तरीक़ा - आवश्यकता पड़ने पर प्रोफेशनल गाइडेंस लें
यदि आपको उपरोक्त सभी तरीक़े आज़माने के बाद भी लगता है कि आप भावनात्मक तनाव को कम नहीं कर पा रहे हैं। स्थितियाँ और बदतर होती जा रही हैं तो पेशेवर चिकित्सक या परामर्शदाता से मिलने पर विचार करें। एक पेशेवर, प्रशिक्षित चिकित्सक या परामर्शदाता आपको सभी तनाव के मूल कारण को खोजने और दूर करने में मदद करेगा।
याद रखिएगा दोस्तों, किसी ना किसी बिंदु पर हमें भावनात्मक तनाव का सामना करना ही पड़ता है। उपरोक्त युक्तियाँ आपको इसे डील करने में, उससे उबरने में मदद कर सकती हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात मत भूलिएगा, भावनात्मक तनाव से आपको सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही व्यक्ति बाहर निकाल सकता है, वह है आप खुद। हमारे जीवन पर, हमारा नियंत्रण रहता है और यह हम पर ही निर्भर करता है कि हम तनाव के साथ रहना चाहते हैं या नहीं। सिर्फ़ एक निर्णय लें, एक कदम बढ़ाएँ और तनाव मुक्त जीवन जीएँ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर