फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
भोलेनाथ से सीखे जीवन जीने के 7 सूत्र
Mar 11, 2021
भोलेनाथ से सीखें जीवन जीने के 7 सूत्र…
आप सभी को हिंदू धर्म के सबसे भोले, सबसे आसानी से मनाए जा सकने वाले भगवान शिव जिन्हें हम भोले बाबा भी कहते हैं की शादी के उत्सव के पर्व महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। दोस्तों वैसे तो शिवरात्रि हर माह में आती है लेकिन हम फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। वैसे महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन की रात और आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है।
दोस्तों अगर आप भगवान शिव के स्वरूप पर थोड़ा सा गौर करेंगे तो पाएँगे कि वे हमेशा विरोधाभासी चीजों के साथ रहते हैं। आईए, आज के इस पावन दिन हम भगवान शिव के स्वरूप और जीवन से अपने जीवन को सरल, सुगम व तनाव मुक्त बनाने के सात सूत्र सीखते हैं।
प्रथम सूत्र - भगवान शिव की जटा में गंगा माँ विराजित हैं वहीं उनके माथे पर तीसरा नेत्र है। माँ गंगा जहाँ शीतलता को दर्शाती हैं वहीं तीसरा नेत्र ग़ुस्से (अग्नि) को प्रदर्शित करता है। ठीक इसी तरह दोस्तों अगर हमें अपने जीवन में खुश रहना है तो अपने दिमाग़ को शांत रखना होगा। वहीं कभी भी मानव मूल्यों का ख़ात्मा या अधर्म होता हुआ दिखेगा तो उसका विरोध करना सीखना होगा।
दूसरा सूत्र - भोलेनाथ के सिर के ऊपर चंद्रमा में अमृत, जो शीतलता और जीवन को दर्शाता है को देखते हैं वहीं उनके गले में विष जो कि संहार करने के लिए काम आता है को देखते हैं। दोस्तों जीवन और मृत्यु अटल है लेकिन जिस तरह भोलेनाथ ने विष को गले में रोका हुआ है ठीक इसी तरह हमें अपने मन के अंदर नकारात्मक बातों को प्रवेश करने से रोकना है और अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो शांति के साथ अपना जीवन जी पाएँगे।
तीसरा सूत्र - भोले बाबा के शरीर पर जहाँ हम भभूत देखते हैं वहीं उनके साथ आप भूत-प्रेतों की टोली देखेंगे। भूत और भभूत दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं अर्थात् भूत-प्रेत से बचने के लिए हम भभूत का प्रयोग करते हैं। जीवन में भी ऐसी विरोधाभासी परिस्थितियाँ आएँगी, लेकिन अगर हम उनमें तालमेल बैठा लें तो जीवन आसान बना पाएँगे।
चौथा सूत्र - भोलेनाथ अपने गले में साँप धारण करके रखते हैं वहीं उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय के पास मोर और छोटे पुत्र गणेश के पास मूषक रहता है और इन तीनों प्राणियों में आपस में दुश्मनी रहती है। इसी तरह भगवान शिव का वाहन नंदी है तो माँ भवानी शेर की सवारी करती हैं यह दोनों भी एकदम विरोधाभासी हैं। नंदी और शेर एक दूसरे के दुश्मन हैं लेकिन इसके बाद भी यह सभी एक साथ रहते हैं। दोस्तों इसी तरह परिवार में भी सभी सदस्यों की विचारधारा अलग-अलग, विरोधाभासी हो सकती है लेकिन उसके बाद भी हम तालमेल बैठाकर चलना, प्रेम से रहना सीख जाएँगे तो जीवन को आसान बना पाएँगे।
पाँचवा सूत्र - भोलेनाथ एक ओर जहाँ एकदम शांत, ध्यान मुद्रा में समाधि लिए हुए दिखते हैं तो दूसरी ओर आपको भोलेनाथ तांडव करते हुए नज़र आते हैं। अगर आप अपने जीवन को पूर्ण रूप से जीना चाहते हैं तो अपने दैनिक जीवन की उथल-पुथल को अपनी मानसिक स्थिरता को बिगाड़ने से रोकना होगा अर्थात् उथल-पुथल के बाद भी गम्भीर रहना सीखना होगा।
छठा सूत्र - भोलेनाथ को हम देवाधिदेव मानते हैं उसके बाद भी वे स्वर्ग में रहने के स्थान पर हिमालय पर, तप में लीन रहते हुए रहते हैं। यह इस बात का परिचायक है कि जीवन को अगर सुख पूर्वक जीना है तो सब कुछ होने के बाद भी मोह-बंधन से मुक्त रहना सीखना होगा। याद रखिएगा दोस्तों, बंधन ही तनाव का मुख्य कारण होता है।
सातवां सूत्र - भगवान विष्णु भोलेनाथ को प्रणाम करते हैं और भोलेनाथ भगवान विष्णु को। दोस्तों अगर आप तनाव मुक्त, शांति के साथ रहना चाहते हैं तो समाज में सभी लोगों के सम्मान का ध्यान रखें। अगर आप उनके सम्मान का ध्यान रखेंगे तो वे भी आपको सम्मान देंगे अर्थात् आदर करें, आदर पाएँ।
दोस्तों भगवान शंकर के आसपास आप तनाव पैदा करने वाली सभी चीजों को देखेंगे लेकिन उसके बाद भी वे हमेशा तनाव मुक्त नज़र आते हैं और उन्हें भोलेबाबा या भोलेनाथ के नाम से पुकारते हैं। जीवन में अगर आप तनाव मुक्त रहना चाहते हैं तो आपको बाबा भोलेनाथ से विषम परिस्थितियों में भी शांत रहना सीखना होगा। छोटी-छोटी बातों पर तनावग्रस्त होना छोड़ना होगा।
अगर आप अपने जीवन को पूर्ण बनाना चाहते हैं तो बाबा भोलेनाथ की पूजा के साथ-साथ उनके गुणों का अनुसरण करना सीखें बल्कि आज ही उन्हें अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें। दोस्तों इन बातों को अपने जीवन में उतारें और मेरे साथ मिलकर कहें ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है!!!’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com