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रिश्ते में अपेक्षाओं को प्रबंधित करना सीखें - भाग 2
July 2, 2021
रिश्ते में अपेक्षाओं को प्रबंधित करना सीखें - भाग 2
दोस्तों कल हमने समझा था कि किस तरह ग़लत अपेक्षा या ग़लत तरह से अपेक्षा करना अर्थात् बिना सामने वाले को बताए आशा करना कि वह सब समझ लेगा, कैसे पहले मनमुटाव पैदा करता है। अगर मनमुटाव के कारणों पर ध्यान ना दिया जाए तो यह आपसी झगड़े में बदल कर रिश्तों में दरार पैदा करना शुरू कर देता है और अगर इसे इस स्तर पर भी प्रबंधित ना किया जाए तो यह आपसी विश्वास को ख़त्म कर देता है।
आज हम रिश्तों में उम्मीद एवं अपेक्षा को किस तरह प्रबंधित (मैनज) करें इस विषय में चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि उपरोक्त बातों का तात्पर्य यह नहीं है कि हमें रिश्तों में अपेक्षा करना बंद करना है, हमें बस इसमें थोड़ा सा बदलाव करना है। अपेक्षाएँ हमेशा आपसी सम्मान और समान व्यवहार पर आधारित होना चाहिए। रिश्तों में जब दोनों पक्ष एक जैसी मानसिकता के साथ एक दूसरे से अपेक्षा करते हैं, एक दूसरे के विचारों का, एक दूसरे का सम्मान करते हैं और अपनी ज़रूरतों को स्पष्ट रूप से एक-दूसरे के सम्मुख रखते हैं तो अपेक्षाओं को रखना और पूर्ण करना या उनको प्रबंधित करना आसान हो जाता है।
रिश्तों में उम्मीद या अपेक्षाओं को प्रबंधित करने में पहला रोड़ा हमारा नज़रिया होता है। आमतौर पर हम उन अपेक्षाओं पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं जो सामने वाला व्यक्ति पूरी नहीं कर पाता है और इसी चक्कर में उन बातों की प्रशंसा करना भूल जाते हैं जो सामने वाले व्यक्ति ने सही तरीक़े से या यूँ कहूँ अपेक्षित तरीक़े से पूरी करी थी। याद रखिएगा दोस्तों बिना प्रशंसा किए सामने वाले से हर बार उम्मीद रखना उसमें घबराहट पैदा करके निराशा की ओर ले जाता है। यही निराशा बाक़ी सब दिक्कतों को जन्म देती है।
अगर आप इन सभी स्थितियों से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले उन बातों को याद करें जिनके लिए आपके साथी ने आपके सम्मान या आपकी ख़ुशी की ख़ातिर पूरी दुनिया से झगड़ा मोल लिया था और फिर उसके बाद उन झगड़ों को याद करें जो छोटी-मोटी अपेक्षाओं के चलते आपने अपने साथी से किए थे। जब झगड़े याद आ जाए तो गहराई से विचार करके देखिएगा उनमें से कितने झगड़े वाक़ई में किसी महत्वपूर्ण बात को लेकर थे। खुद से सवाल पूछें, ‘क्या इन झगड़ों की वजह से आप अपने जीवन में आगे बढ़ पाए हैं? इन झगड़ों से आपको ख़ुशी और मानसिक शांति मिली है या छिनी है?’ मेरा अंदाज़ा है ज़्यादातर का जवाब आपको ‘ना’ में मिलेगा।
दोस्तों जब इससे कुछ मिलना ही नहीं है तो फिर छोटी-छोटी बातों पर बहस या झगड़ा क्यों करना? अगर आप वाक़ई रिश्तों में अपेक्षाओं को प्रबंधित करके जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं तो एक बार फिर से अपनी अपेक्षाओं पर विचार करें, खुद से पूछें, ‘आपके लिए क्या बड़ा है, मानसिक शांति या सब कुछ जैसा आप चाहते हैं वैसा होना?’ अगर मानसिक शांति और ख़ुशी बड़ी है तो अपना ध्यान और समय वहाँ लगाए जो यह दे सकता हो। ऐसे कार्य करें जो आपके रिश्ते में प्यार को बढ़ाकर उसे मज़बूत बनाए, आपके जीवन को ज़्यादा बेहतर और आपके समय को ज़्यादा प्रोडक्टिव बनाए।
आज के लिए इतना ही दोस्तों, आज हमने रिश्तों में उम्मीद और अपेक्षा को प्रबंधित करने के विषय में आधारभूत बातों पर चर्चा करी। किसी भी रिश्ते में अपेक्षाओं को प्रबंधित करना सीखना, मेरी नज़र में एक गुणवत्ता पूर्ण अच्छी साझेदारी को समझने के समान होता है। अगले दो दिनों में हम उन 12 नियमों पर चर्चा करेंगे जो हमें आपस में प्यार बढ़ाकर, उम्मीद और अपेक्षाओं को नियंत्रित करना सिखाएँगे। तब तक दुनिया के बेहतरीन लाइफ़ स्ट्रैटेजिस्ट टोनी रॉबिंस की कही यह बात याद रखिएगा, ‘सिर्फ़ अपनी उम्मीदों को प्रशंसा में बदलिए यह आपका पूरा जीवन बदल देगा।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर