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रिश्ते में अपेक्षाओं को प्रबंधित करना सीखें - भाग 4


July 4, 2021
रिश्ते में अपेक्षाओं को प्रबंधित करना सीखें - भाग 4
रिश्तों में अपेक्षाओं को प्रबंधित करना सीखने के उद्देश्य से हमने पिछले तीन दिनों में ग़लत अपेक्षा करने या ग़लत तरह से अपेक्षा करने की वजह, मनमुटाव से शुरू हुई बात से रिश्तों में विश्वास क्यूँ ख़त्म होता है इसे समझा था। साथ ही रिश्ते में उम्मीद और अपेक्षा को प्रबंधित अर्थात् मैनेज करने के लिए ज़रूरी आधारभूत बातों को समझकर रिश्तों में प्यार बढ़ाने के लिए सही उम्मीद और अपेक्षा रखने के प्रमुख बारह सूत्रों में से प्रथम 6 सूत्र सीखे थे। आईए आगे बढ़ने से पहले उन्हें दोहरा लेते हैं-
प्रथम सूत्र - सराहना करें
सराहना या प्रशंसा दोनों ही पक्षों के लिए लाभकारी रहती है। सराहना या प्रशंसा सुनने वाला जहां इससे और अच्छा करने के लिए प्रेरित होता है वहीं इसे करने वाला नकारात्मक बातों और घटनाओं को नज़रंदाज़ कर सकारात्मक गुणों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ सही अपेक्षा करना सीख जाता है।
दूसरा सूत्र - चिढ़ने, चिल्लाने और लड़ने के स्थान पर चर्चा करें
अपेक्षा या उम्मीद पूरी ना होने पर चिढ़ना, चिल्लाना और लड़ना रिश्तों के लिए सबसे आवश्यक भावना, करुणा अर्थात् कम्पैशन को खत्म कर देता है। इसके स्थान पर चर्चा करके सही अपेक्षा या उम्मीद रखना और उस उम्मीद या अपेक्षा पर खरा उतरना रिश्तों में गर्मजोशी पैदा करता है और दिन प्रतिदिन रिश्तों को बेहतर बनाता है।
तीसरा सूत्र - ना सिर्फ़ सम्मान करें बल्कि उसे प्रदर्शित भी करें
रिश्ते का मूलभूत आधार सम्मान के भाव का होना होता है। सामने वाले की भावना, दृष्टिकोण, आवश्यकता, इच्छा और ज़रूरतों का सम्मान करने जितना ही आवश्यक इसका प्रदर्शन करना है। इनका प्रदर्शन करने से सामने वाला आपके भाव को गहराई से समझकर अनावश्यक तनाव से बचता है और खुश व प्रसन्न रहने का मौक़ा देता है।
चौथा सूत्र - भावनाओं को प्रदर्शित करें
भावना सकारात्मक हो या नकारात्मक उसे मन में रखने के बजाए शांत रहते हुए सही तरीक़े से प्रदर्शित करना आपको संतुष्ट रखता है। जहां यह सामने वाले को नकारात्मक भावनाओं के कारण को समझने का मौक़ा देता है वहीं सकारात्मक भावनाओं का प्रदर्शन आपके प्यार, सामने वाले के प्रति आपके सम्मान को प्रदर्शित कर उसे एहसास करवाता है कि आप उसका कितना ध्यान रखते हैं।
पाँचवाँ सूत्र - सहानुभूति रखें
अपेक्षित प्रतिक्रिया या परिणाम ना मिलने पर सामने वाले के प्रयास, मेहनत और भावना का सम्मान करें और उल्हाना देने के स्थान पर सहानुभूति रखें। समभाव व सहानुभूति रखना आपसी विश्वास को बढ़ाता है।
छठा सूत्र - सिर्फ़ साधन नहीं समय भी दें
रिश्तों को मज़बूत और बेहतर बनाने के लिए समय दें, यह उसे बेहतर बनाने की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। याद रखिएगा संसाधन या पैसा आपका स्थान नहीं ले सकता है। रिश्तों को समय देकर आप सामने वाले को एहसास करवाते हैं कि आपके लिए किसी भी अन्य चीज़ के मुक़ाबले रिश्ता महत्वपूर्ण है और यह भावना रिश्ते को मज़बूत बनाती है।
चलिए दोस्तों अब सीखते हैं अगले 4 सूत्र
सातवाँ सूत्र - किसी बात या कार्य करने के तरीक़े पर अड़े ना रहें
रिश्ता कोई क़ानूनी समझौता या सौदा नहीं है जिसमें हर कार्य को तय तरीक़े से करना ही उसे प्रबंधित रखने का एकमात्र उपाय हो। रिश्ते में जीवंतता रखने के लिए सतत वार्तालाप आवश्यक है, जिससे दोनों को अपनी ज़रूरतें या इच्छाएँ पूरी करने का बराबर मौक़ा मिल सके। दिखावे की शांति बनाए रखने के लिए समझौता ना करें अन्यथा यह उस बम के माफ़िक़ हो जाएगा जिसकी बत्ती धीरे-धीरे सुलग रही है और जैसे ही आग बम तक पहुँचेगी वह फट पड़ेगा। याद रखें जब आप लचीले रहकर कभी ना खत्म होने वाले सुधार के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, आप एक असाधारण संबंध बनाने में सक्षम होते हैं।
आठवाँ सूत्र - रिश्तों की परीक्षा लेने के स्थान पर विश्वास करें
ज़रा सा किसी ने कुछ कहा नहीं कि हम अपने पुराने रिश्तों पर संदेह करना शुरू कर देते हैं। हमेशा याद रखें, लोग अपने फ़ायदे के लिए आपकी मानसिकता के अनुसार बातें करते हैं। साथ ही आपने उस रिश्ते को उनसे ज़्यादा समय देकर, ज़्यादा क़रीब से देखा है अर्थात् आप उस व्यक्ति को उनसे बेहतर जानते हैं। संदेह या शक करना नकारात्मक भाव पैदा करता है और आप सामने वाले की परीक्षा लेना, जासूसी करना शुरू कर देते हैं, जो आपके रिश्ते को और कमजोर बना देता है।
नवाँ सूत्र - भूल से भी रिश्ते की प्रवृति अर्थात् रिश्ते पर सवाल ना करें
आमतौर पर अपेक्षा अनुरूप व्यवहार या परिणाम ना मिलने पर शुरू हुई बात कई बार ऐसा रूप ले लेती है जब आप अपने साथी की मंशा पर ही सवाल उठाना शुरू कर देते हैं और बात बढ़ने पर पूरे रिश्ते पर ही सवाल उठा देते हैं। रिश्ते पर सवाल उठाना ना सिर्फ़ विश्वास खत्म करता है बल्कि सामने वाले के आत्मसम्मान को भी नुक़सान पहुँचाता है। वैसे भी रिश्ते पर सवाल उठाने का अर्थ है कि आपके लिए संबंध ही एक समस्या है।
दसवाँ सूत्र - ग़लतियाँ अथवा किसी भी तरह के दोहराव से बचें
रिश्ते में ग़लतियाँ करें एक नहीं हज़ार करें, बस एक ही गलती को बार-बार ना करें। एक ही गलती को बार-बार दोहराना आपकी मंशा पर सवाल उठाता है और आपके कहे हुए शब्दों की क़ीमत खत्म करता है। इसी तरह बार-बार टोकना, तर्क-वितर्क या कुतर्क करना रिश्तों में असुरक्षा का भाव पैदा करता है। ऐसी स्थिति में सामान्यतः सामने वाले को लगने लगता है कि आपके लिए उसकी बात का कोई महत्व ही नहीं है और वह खुद को ठगा या हारा हुआ समझने लगता है। जब भी ऐसा विषय आए जिसमें आप पूर्व में दिए गए तर्कों को ही दोहरा रहे हों, तब बातचीत से थोड़ा सा ब्रेक लें और एक बार पुनः कही जाने वाली बातों पर विचार कर लें। बार-बार कही गई बातें सामने वाले के मन में धारणा और आपके अंदर ग़लत आदत डाल देती है। तर्क-वितर्क के स्थान पर बात करें और आप अपने साथी के साथ रिश्ते में क्या उम्मीद रखते हैं, इसके लिए उच्च मानक निर्धारित करें।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम रिश्ते में अपेक्षाओं को प्रबंधित करने के अंतिम दो बिंदु सीखेंगे।
-निर्मल भटनागर
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