फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
रिश्तों के अनकहे नियम


Jan 30, 2022
रिश्तों के अनकहे नियम…
रिश्ते दोस्तों हमारे जीवन का केंद्र बिंदु होते हैं, हमारे जीवन का पूरा ताना-बाना इन्हीं के इर्द-गिर्द ही बुना जाता है। जहाँ, अच्छे अर्थात् हेल्दी रिश्ते का होना एक सुखद एहसास होता है, जिसे दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति पाना चाहता है, वहीं दूसरी ओर रिश्तों के ख़राब अनुभव किसी भी व्यक्ति को तोड़ने की शक्ति तक रखते हैं। इसीलिए हर इंसान स्वस्थ, मज़बूत, प्यार और विश्वास पर आधारित रिश्तों के साथ अपने सपनों का जीवन जीना चाहता है।
दोस्तों, अच्छे रिश्ते को आप अपने सपनों के महल का आधार स्तम्भ भी मान सकते हैं। जितना मज़बूत यह स्तम्भ होगा उतना ही आपका जीवन लम्बा और ख़ुशियों से भरा होगा। इतना ही नहीं दोस्तों, मज़बूत और अच्छे रिश्तों का होना एक बड़ा फ़ायदा है, यह ख़ुशियाँ आने पर उसे कई गुना बढ़ा देता है और दुःख आने पर उसे कई गुना कम कर देता है। आईए दोस्तों, आज हम रिश्तों के तीन अनकहे नियम सीखने के साथ-साथ रिश्तों के पाँच भिन्न प्रकार को समझना एवं अपने दोस्तों को उनकी विशेषता के आधार पर पहचानकर उनसे व्यवहार करना सीखते हैं-
पहला नियम - हर रिश्ता आपसे अपनत्व, प्यार, केयर, मदद पाने का हक़दार है। लेकिन इसका यह अर्थ क़तई नहीं है कि आप हर रिश्ते के साथ एक सामान व्यवहार करें। उदाहरण के लिए, आपके सभी जानकार लोग, जिनसे आप प्यार करते हैं, जिनका ध्यान रखते हैं, जिन्हें आप अपना मानकर मदद करते हैं, आपके जीवन के राज़ या रहस्य जानने के लायक़ नहीं हैं। क्यूँकि हर रिश्ता या हर व्यक्ति आपके राज़ को सम्भालने में सक्षम नहीं होता है। कई लोग अपने लाभ के लिए, आपके रहस्य का व्यापार कर सकते हैं।
दूसरा नियम - धोखा हमेशा अपने लोगों से ही मिलता है क्यूँकि अनजान व्यक्ति से तो किसी भी प्रकार की डील करते समय आप सचेत रहते हैं। इसलिए याद रखिएगा दोस्तों, जो दुश्मन आपको सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुँचाएगा वह तलवार लेकर नहीं बल्कि मुस्कुराहट के साथ आपके पास आएगा, अर्थात् वह आपका अपना ही होगा।
तीसरा नियम - यह बाक़ी दोनों नियमों से थोड़ा सा अलग है, अपने दोस्तों के राज़ को राज़ रखना सिर्फ़ विश्वास या भरोसे के बारे में नहीं है। बल्कि याद रखें, इसे ना रख पाने से दोस्ती, इंसानियत, मानवीयता के मूल नियम ख़तरे में पड़ जाते हैं।
अपने दुश्मनों को अपना दोस्त मानने या उनके साथ अपने रहस्य साझा करने से ज़्यादा ख़तरनाक और दर्दनाक कुछ और हो ही नहीं सकता है। दोस्तों रिश्तों का असर जब इतना गहरा होता है, तो उसे ध्यानपूर्वक चुनना, निभाते हुए जीवन में आगे बढ़ना उतना ही महत्वपूर्ण हो जाता है। इसीलिए दोस्तों, हमें अपने रिश्ते को बहुत ध्यान के साथ मुख्यतः पाँच भागों या सर्कलों में बाँट लेना चाहिए। पहला, परिवार अर्थात् फ़ैमिली, दूसरा, आंतरिक अर्थात् इनर सर्कल, तीसरा, बाह्य अर्थात् आउटर सर्कल, चौथा व्यवसायिक अर्थात् प्रोफ़ेशनल सर्कल और पाँचवाँ परिचितों अर्थात् एक्यून्टीज़ सर्कल। इसके साथ ही हमें हर सर्कल के लोगों से रिश्तों को निभाने के लिए, अपने स्पष्ट नियम बनाना चाहिए। याद रखिएगा दोस्तों, विभिन्न सर्कलों का घालमेल ही आपके जीवन को रिश्तों के मामले में कष्टप्रद बनाकर, कटु अनुभव देता है।
जिस तरह दोस्तों हमने अपने रिश्तों को पाँच भागों या पाँच सर्कलों में बाँटना सीखा, उसी तरह अब हम अपने दोस्तों को उनकी विशेषताओं के आधार पर तीन भागों में पहचानना सीखते हैं-
पहला प्रकार - विश्वासी अर्थात् बिलीवर
दोस्तों का यह प्रकार मेरी नज़र में ईश्वर के आशीर्वाद से ही मिलता है। यह आपके वे दोस्त होते हैं जो हर स्थिति, परिस्थिति में आपके साथ चलेंगे। इन्हें आपके हालात से कोई लेना-देना नहीं होता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो यह आपके सच्चे सुख-दुःख के साथी होते हैं, आप कितनी ही मुश्किल में क्यों ना हो, यह आपका साथ नहीं छोड़ेंगे। साथियों अगर आपके पास ऐसे दोस्तों हैं तो ईश्वर का धन्यवाद कहना और उन्हें एक प्यारा सा अभिवादन भेजना ना भूलिएगा।
दूसरा प्रकार - सहयोगी अर्थात् एसोसिएट्स
इस प्रकार में आपके वे सभी दोस्त आते हैं जो किसी समान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपके साथ होते हैं। यही लोग जीवन में अक्सर आपके प्रतियोगी भी होते हैं। इनसे हमें सावधानी पूर्वक व्यवहार करने की ज़रूरत होती है क्यूँकि जीवन में आपसे आगे निकालने के लिए यह आपको धोखा देकर, पीछे धकेल सकते हैं।
तीसरा प्रकार - विश्वसनीय दोस्त अर्थात् कामरेड
इन दोस्तों का अपने जीवन में होना भी एक प्रभु का आशीर्वाद ही है। जब भी आप मुश्किल में होंगे या परेशानी के दौर से गुजर रहे होंगे, ये आपके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े नज़र आएँगे और आपके दुश्मन को अपना दुश्मन मान अपना सर्वस्व अर्थात् तन, मन और धन लगाकर जीवन में जीतने में मदद करेंगे। इनकी सबसे बड़ी विशेषता है, दुश्मन के हारते ही यह मौसम के भाँति वापस चले जाएँगे। लेकिन दोस्तों इनके जाने पर चिंता मत करिएगा, असल में यह हमेशा आपके दिल के क़रीब ही हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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