फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
रिश्तों को बेहतर बनाने के 5 सूत्र
May 17, 2021
रिश्तों को बेहतर बनाने के 5 सूत्र…
दोस्तों इस विपरीत समय ने हमारा सामना कुछ कठोर वास्तविकताओं के साथ कुछ ऐसी परिस्थितियों से भी रूबरू कराया है जिसके बारे में हमने कभी सोचा ही नहीं था। जैसे बच्चों का स्कूल ऑनलाइन होना, ऑफ़िस का घर ही आ जाना, कई-कई सप्ताह तक घर से बाहर ना निकल पाना और घर में रहकर इस बात का एहसास करना कि एक ही जगह रहकर ज़्यादातर कार्य पूर्ण किया जा सकता है। इस समय ने परिवार में लगभग सभी को टेक्नॉलजी फ़्रेंड्ली बना दिया है। साथ ही कोविद 19 ने हमें जीवन के कुछ और महत्वपूर्ण व मूल्यवान सबक़ भी सिखाए है। कुछ ऐसी बातों को याद दिलाया जिन्हें हम लगभग भूल ही गए थे, जैसे पर्यावरण की क़ीमत, जीवन की क्षणभंगुरता और रिश्तों की क़ीमत।
लेकिन हर किसी के लिए यह लॉकडाउन ऐसा नहीं रहा है। अगर इस दौरान मेरे पास सबसे अधिक काउन्सलिंग का जो कार्य आया है तो वह या तो बच्चों की शिक्षा से संदर्भित था या फिर लॉकडाउन के दौरान आई रिश्तों में कड़वाहट का। रिश्तों में यह कड़वाहट सबसे ज़्यादा पति-पत्नी के बीच देखी गई है। आइए दोस्तों, आज हम रिश्तों की गरमाहट बरकरार रखने के पाँच सूत्र सीखते हैं।
पहला सूत्र - समानता का भाव रखें
किसी भी रिश्ते में कभी कोई बड़ा या छोटा, कोई ज्ञानी या बुद्धु, कोई मालिक या नौकर नहीं होता है। सभी एक समान होते हैं, लॉकडाउन के दौरान एक लम्बे समय बाद परिवार में सबको एक साथ इतना लम्बा समय साथ बिताने को मिला है वैसे तो हम इस समय का सदुपयोग अपनी जीवन यात्रा में सीखे गए महत्वपूर्ण सबक़ एक दूसरे को सिखाकर, एक दूसरे की प्राथमिकताएँ समझकर, किए जा रहे कार्य का महत्व समझकर, एक दूसरे को सम्मान देकर रिश्तों को मज़बूत बना सकते थे। लेकिन कई लोगों ने किया इसका बिलकुल विपरीत, वे ज़्यादातर समय एक दूसरे की ग़लतियाँ गिनाने में ही व्यस्त रहे। अगर मैं अपना अनुभव कहूँ तो अगर लॉकडाउन नहीं होता तो मुझे एहसास ही नहीं होता कि घर के छोटे-छोटे कामों में कितना समय और ऊर्जा लगती है। समानता की अहमियत समझकर पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को सामान रूप से निभाएँ। साथ ही रिश्तों में जो आप सामने वाले से अपेक्षा रखते हैं वही अपनी तरफ़ से देने का प्रयास करें।
दूसरा सूत्र - क्वालिटी टाइम दें
याद रखिए रिश्ते संसाधन या पैसों से मज़बूत नहीं बनते हैं, उसके लिए परिवार को समय देना ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है। प्रख्यात कवि और तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जेठालाल के फ़ायर ब्रिगेड, मेहता जी उर्फ़ शैलेश लोढ़ा जी ने भी एक कार्यक्रम के दौरान बताया था कि किस तरह उनकी बेटी ने उनसे अपने विद्यालय के वार्षिक उत्सव में आने के लिए एक दिन ख़रीदने का प्रयास करा था।
आम दिनों में ज़्यादातर परिवार अपने दैनिक कार्यों में इतना ज़्यादा व्यस्त रहते हैं कि उन्हें परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए समय ही नहीं मिल पाता है। अपनी अन्य प्राथमिकताओं या ज़िम्मेदारी को पूरा करने के प्रयास में हम परिवार को दिए जाने वाले समय से समझौता कर लेते हैं। लॉकडाउन ने हमें रिश्तों को समय देकर उसे सहेजने, भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाने का मौक़ा दिया। इस दौरान चुनौतियों से एक साथ निपटने के प्रयास ने भी रिश्तों के महत्व को समझाया है।
तीसरा सूत्र - सभी को अपनी राय रखने का मौक़ा दें
सामान्यतः परिवार में किसी एक सदस्य का वर्चस्व होता है, उन्हीं का निर्णय सर्वमान्य होता है। वैसे परिवार के अनुशासन और व्यवस्थाओं को बनाए रखने और परम्पराओं को अगली पीढ़ी को सौंपने के लिए कुछ हद तक यह ठीक भी है। लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब वे चौबीसों घंटे घर में हैं, ऐसे में सभी सदस्यों को अपनी राय या पसंद बताने का मौक़ा देना उन्हें नकारात्मक भावों से बचाता है। सामान्यतः वे इस नकारात्मकता को दोस्तों के साथ बिताए गए समय या पसंद का कार्य करके दूर कर लेते थे, जो अब सम्भव नहीं है।
चौथा सूत्र - अपनी चिंता और क्रोध पर नियंत्रण रखें
अचानक आई इन विषम परिस्थितियों में ज़्यादातर लोग अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। किसी को अपनी पढ़ाई तो किसी को अपने व्यवसाय या नौकरी, तो किसी को कोई अन्य कार्य को लेकर चिंता है। ऐसी स्थिति में खुद पर नियंत्रण खोना सामान्य है लेकिन यह रिश्तों के लिए अच्छा नहीं है। याद रखिएगा, जो परिस्थिति आपके कंट्रोल में नहीं होती है उससे लड़ने या उसकी वजह से चिंता करके अपना और अपने पारिवारिक संतुलन को बिगाड़ना कोई अच्छा विचार नहीं है। इसलिए जब भी किसी कार्य को लेकर अत्यधिक चिंतित हों तो स्वयं को किसी अन्य कार्य में व्यस्त कर वहाँ से ध्यान हटाने का प्रयास करे। अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें और अगर क्रोध की वजह से बहस में उलझ रहे हों तो स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए, सावधानी से उसे 24 घंटे के लिए टालने का प्रयत्न करें। सामान्यतः चौबीस घंटों में यह स्थिति अपने आप सामान्य हो जाएगी।
पाँचवा सूत्र - याद रखें, जीवन भर रिश्ते यही रहने हैं
रिश्ते कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तो है नहीं, जिन्हें आप एक्सचेंज करवाकर नए से बदल लें। आप खुश रहेंगे तो भी इन्हीं के साथ रहेंगे और दुखी होंगे तो भी इन्हीं के साथ रहेंगे। इसलिए परिवार के सदस्य जैसे भी हैं उन्हें वैसे ही स्वीकारें, उन्हें बदलने का प्रयास ना करें। उनके विपरीत व्यवहार के साथ सामंजस्य बैठाएँ और हमेशा उनकी कमियाँ निकालने की जगह, वे जिस कार्य में अच्छे हैं उसके लिए उनकी तारीफ़ करें, जिससे यह प्रशंसा उन्हें जिसमें वे अच्छे नहीं हैं उसे सुधारने में मदद करे।
दोस्तों आशा करता हूँ यह पाँच सूत्र आपको लॉकडाउन में आपसी वैमनस्यता को दूर कर, रिश्तों को मज़बूत बनाकर इस समय को अपने जीवन की बेहतरीन यादों में बदलने का मौक़ा देंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर