फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के 8 सूत्र - भाग 1


Oct 12, 2021
लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के 8 सूत्र - भाग 1
हमारे देश के बेहतरीन कवि श्री प्रदीप के द्वारा ‘कभी धूप तो कभी छाँव’ फ़िल्म के लिए वर्ष 1971 में लिखे इस भजन को तो आपने निश्चित तौर पर सुना ही होगा, ‘सुख दुःख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गाँव, कभी धूप तो कभी छाँव !!!’ दोस्तों यह सिर्फ़ एक गाने या भजन के बोल नहीं है बल्कि हमारे जीवन की सच्चाई है।
जब भी हम किसी लक्ष्य के लिए कार्य करते हैं तो हमें कई बार मनमाफ़िक परिणाम मिलते हैं तो कई बार उम्मीद के एकदम विपरीत। मनमाफ़िक परिणाम जहाँ हमारे मनोबल और आत्मविश्वास को मज़बूत बनाकर प्रेरित करते हैं वहीं उम्मीद के विपरीत मिले परिणाम कई बार हताश कर हमारे मन में संशय पैदा करते हैं। यही संशय हमारे मन में दुविधा पैदा कर, हमारी प्रेरणा को खत्म कर देता है। दोस्तों, बिना प्रेरणा के जीवन में कुछ बड़ा कर पाना लगभग असम्भव ही है। अगर आप किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपने मोटिवेशन, अपनी प्रेरणा को बनाए रखना चाहते हैं तो इन आठ सूत्रों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ-
पहला सूत्र - कल्पना में अपने सपनों को सच होता हुआ महसूस करें
सोने से ठीक पहले, सुबह उठते ही या पूजा के बाद अपनी आँखें बंद कर, लक्ष्य पूरा होने के बाद मिलने वाली ख़ुशी, उसकी वजह से जीवन में आए बदलाव की परिकल्पना करें। साथ ही विचार करें कि लक्ष्य की पूर्णता आपके अंतर्मन, परिवार, रिश्ते, सोच आदि सभी चीजों को किस तरह बेहतर बनाएगी। इस युक्ति का सबसे ज़्यादा फ़ायदा हमें तब मिलता है जब हम मनचाहा परिणाम, माहौल या साथ ना मिलने की वजह से थोड़ा डाउन फ़ील करते हैं। ऐसे समय में ऊर्जा में आयी कमी हमारे अंदर नकारात्मकता बढ़ा देती है जिसकी वजह से हम खुद पर, खुद की क्षमताओं पर ही संदेह करने लगते है। ऐसे में उत्साह और आनंद की कल्पना करना हमारी ऊर्जा बढ़ाकर, लक्ष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता बढ़ा देती है।
दूसरा सूत्र - आत्मविश्वास बनाएँ रखें
आत्मविश्वासी होना एक ऐसी योग्यता है जो तमाम नकारात्मकता के बीच भी आपकी कल्पना को हक़ीक़त में बदल सकती है। जब भी आपको खुद पर संदेह हो या आपको अपना सपना या लक्ष्य पाना असम्भव सा लग रहा हो, तब अपनी योग्यताओं और क्षमताओं पर विश्वास रखते हुए, गर्व के साथ बढ़ना असम्भव को सम्भव बना देता है।
वैसे भी दोस्तों अगर आप खुद की क्षमताओं, योग्यताओं या सीधे शब्दों में बोलूँ तो खुद पर विश्वास नहीं करेंगे, तो दूसरे भी आप पर विश्वास नहीं कर पाएँगे। परिणाम को अपने पक्ष में मानकर सकारात्मक रवैया रखने से आपको अपने आत्मविश्वास को बनाए रखकर आगे बढ़ने में मदद मिलती है। याद रखें आत्मविश्वास है जहाँ सफलता है वहाँ।
तीसरा सूत्र - रिलैक्स रहें
निश्चित तौर पर कल्पनाओं को हक़ीक़त में बदलने में अथक परिश्रम और समय लगता है। लेकिन पूरे समय एक ही विचार के साथ रहना आपको चिंताग्रस्त कर आपकी नींद उड़ा सकता है। इसके स्थान पर खुद के लिए थोड़ा सा समय निकालना, कुछ समय के लिए सारी बातों से कटकर रिलैक्स या आरामदायक स्थिति में रहना, दोस्तों के साथ समय बिताना, उनके साथ हंसी मज़ाक़ करना आपको अपनी खोई ऊर्जा पाने में, परिस्थितियों को रचनात्मक नज़रिए से देखने में मदद करता है।
हमारी धारणा के विपरीत धीमी गति से, आवश्यकतानुसार ब्रेक लेते हुए लक्ष्य की ओर चलना हमें ज़्यादा उत्साही और फ़ोकस्ड बनाता है। ब्रेक लेने की वजह से मिले इस अतिरिक्त समय का उपयोग आप खुद के साथ समय बिताने में, योग या ध्यान करने में या आराम करने अथवा परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने में कर सकते हैं। ऐसा करना आपको स्वस्थ, मस्त और खुश रहने में मददगार बना सकता है।
चौथा सूत्र - सीखें, अपनी असफलता से भी
दोस्तों, जब हम काम करते हैं तो कई बार हमारे हाथ सफलता लगती है तो कई बार असफलता। लेकिन यक़ीन मानिएगा सफलता से ज़्यादा असफलता हमारे जीवन को बेहतर बनाती है। जी हाँ दोस्तों, अगर आप भी अपनी असफलताओं को अपने जीवन का माइलस्टोन बनाना चाहते हैं, असफलताओं से अपनी कल्पनाओं, सपनों को सच करना चाहते हैं, तो अपनी पिछली ग़लतियों और असफलताओं का अच्छे से विश्लेषण करें और उससे सीखें और आपने जो कुछ भी सीखा हो उसे अपने आने वाले जीवन में प्रयोग में लाएँ। जब असफलताएँ सीख बनकर आपको आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती हैं तब वे आपको हताश नहीं बल्कि मोटिवेट करती हैं।
आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के अंतिम 4 सूत्र सीखेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर