फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
लालच का फल


April 16, 2021
लालच का फल…
रामू बचपन से ही बड़ा आदमी बनने के सपने देखता था और इसी वजह से हमेशा आसान रास्ता खोजने की जुगाड़ में रहता था। एक दिन किसी ने उससे कहा, ‘तुम साधु-संतों की मन लगाकर सेवा करो, अगर वे प्रसन्न हो गए तो तुम्हें मनचाहा वरदान दे देंगे।’ रामू को यह तरीक़ा आसान और बढ़िया लगा।
रामू को एक दिन गाँव में पहुँचे हुए महात्मा के आने के बारे में पता चला। वह तुरंत उनके पास पहुँचकर उनकी आवभगत में लग गया। रामू उन्हें सत्संग व विश्राम करने के लिए अपने घर ले आया और तन, मन, धन के साथ उनकी सेवा में लग गया। कुछ दिन बाद महात्मा ने रामू को बुलाया और बोले, ‘वत्स! अब हमारा यहाँ से जाने का समय आ गया है।’ रामू ने उन्हें कुछ और दिन रुकने का कहा लेकिन महात्मा नहीं माने और बोले, ‘हम तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हैं बोलो, तुम क्या चाहते हो?’ रामू तो जैसे इसी पल के इंतज़ार में था, वह तुरंत बोला, ‘महात्माजी मैं गाँव में सबसे बड़ा आदमी बनना चाहता हूँ।’ संत बोले, ‘मेरी नज़र में तो तुम पहले से ही गाँव में सबसे बड़े हो। लेकिन बड़ा बनने से तुम्हारा तात्पर्य क्या है?’ रामू बोला, ‘महात्माजी मैं सबसे अमीर बनना चाहता हूँ।’
रामू की बात सुनते ही महात्मा जी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उन्होंने अपने झोले में हाथ डाला और उसमें से चार दीये निकालकर रामू को देते हुए बोले, ‘यह दीये तुम्हारी इच्छा पूरी करेंगे। जब तुम्हें धन की आवश्यकता लगे तब तुम इसमें से एक दिया जलाना और पूर्व दिशा की ओर चले जाना। जहां भी यह दिया बुझे तुम वहीं खुदाई करना तुम्हें धन मिल जाएगा। अगर तुम्हें वह धन कम लगे तो तुम दूसरा दिया जलाना और पश्चिम दिशा की ओर चले जाना और जहां दिया बुझे वहीं खोदना तुम्हें वहाँ और धन मिल जाएगा। इसके बाद भी अगर तुम्हारा मन ना भरे तो तीसरा दिया जलाकर उत्तर दिशा की ओर चले जाना और पहले जैसे ही जहां दिया बुझे वहाँ खुदाई कर लेना तुम्हें मनचाही सम्पत्ति प्राप्त हो जाएगी।’
इतना सुनते रामू बोला, ‘मैं समझ गया महात्मा जी इसी तरह मैं चौथे दिए से दक्षिण दिशा में जाकर और धन प्राप्त कर सकता हूँ।’ ‘नहीं, कुछ भी हो जाए तुम चौथे दिए का प्रयोग मत करना, जो तुम्हें तीनों दियों से मिलेगा वह काफ़ी होगा।’ इतना कहकर महात्मा जी वहाँ से चले गए।
अगले दिन सुबह रामू ने नहा-धोकर पूजा करी और पहला दिया जलाकर पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा और जहां दिया बुझा वहाँ खोदने पर उसे रुपए-पैसों से भरा एक घड़ा मिला। रामू ख़ुशी से उछलने लगा लेकिन तभी उसे दूसरे दिये का ख़याल आया। वह सोचने लगा कि अगर यहाँ इतना धन है तो दूसरी दिशा में तो और ज़्यादा होगा। उसने रुपए-पैसों से भरे घड़े को वापस से वहीं गाड़ दिया और वापस अपने घर लौट आया।
अगले दिन सुबह वह और जल्दी उठा और पूजा-पाठ करके, दूसरा दिया जला कर पश्चिम दिशा की ओर चलने लगा। कुछ दूर चलने के बाद दिया बुझ गया। उस स्थान पर खुदाई में रामू को ढेर सारे सोने-चाँदी के सिक्के मिले। उसने सोने-चाँदी से भरे घड़े को भी वापस से वहीं गाड़ कर तीसरे दीये के उपयोग का निर्णय लिया।
अगले दिन सुबह वह और जल्दी उठा और तीसरा दिया जला कर उत्तर दिशा की ओर चलने लगा। कुछ दूर चलने के बाद जहां दिया बुझा वहाँ खोदने पर रामू को बहुत सारे हीरे जवाहरात मिले। अब उसका लालच चरम पर था उसने चौथे दिए के साथ दक्षिण दिशा में जाने का निर्णय लिया। उसे लग रहा था कि शायद महात्मा ने चौथी दिशा में और ज़्यादा धन छुपा रखा होगा और उसे अपने लिए बचाना चाह रहे होंगे। उसने हीरे-जवाहरात को वापस से वहीं गाड़ा और घर आ गया।
अगले दिन सुबह उठते ही उसने चौथे दीये को जलाया और दक्षिण दिशा की ओर चलने लगा। एक महल के दरवाज़े पर पहुँच कर वह दिया बुझ गया। महल को देख उसके मन में लड्डू फूटने लगे वह सोचने लगा अब वह सारी दिशाओं की दौलत इकट्ठा करके इस महल में ऐश करेगा।
उसने धक्के से महल का दरवाज़ा खोला और अंदर चला गया। महल के हर कमरे में सोना, चाँदी, हीरे, मोती व अन्य बहुमूल्य जवाहरात भरे थे। लालची रामू हर कमरे में जाकर देख रहा था। जैसे ही वह अंतिम कमरे में घुसा उसे वहाँ एक बूढ़ा सा आदमी चक्की चलाता हुआ दिखा। लालची रामू ने उस बूढ़े व्यक्ति से कुछ पूछना चाहा तो उसने कहा, ‘पहले तू मेरी जगह चक्की चला फिर में तुझे सारी बात बताता हूँ।’
लालच में रामू ने तुरंत वह चक्की चलाना शुरू कर दी और वह बूढ़ा व्यक्ति हंसते हुए वहाँ से दूर हो गया। बूढ़े व्यक्ति को हंसते देख रामू हैरान था। वह चक्की रोकने ही वाला था कि वह बूढ़ा व्यक्ति बोला, ‘ख़बरदार चक्की मत रोकना, जब तक चक्की चलेगी महल सलामत रहेगा और चक्की रुकते ही यह धराशायी हो जाएगा और तुम उसमें दबकर मर जाओगे। महात्माजी की बात ना मानने की वजह से मैं यहाँ फँसा था और अपना पूरा जीवन बर्बाद कर बैठा। अब जब यह धन-दौलत मुझे मिली है तो यह मेरे किसी काम की नहीं है। मैं इसे यहीं छोड़कर जा रहा हूँ। जब तेरे जैसा और कोई लालची यहाँ आ जाएगा तब तू आज़ाद हो जाएगा।’ कहते हुए वह बूढ़ा व्यक्ति वहाँ से चला गया।
जी हाँ दोस्तों जैसे रामू के सेवा भाव, व्यवहार को देखकर महात्माजी ने शुरू में ही कहा था कि, ‘मेरी नज़र में तो तू ही सबसे बड़ा है।’ ठीक उसी तरह हम सभी सेवा भाव रखते हुए, अपनी सीमित आवश्यकताओं के साथ मज़े से खुश रह सकते हैं। लेकिन सब कुछ पाने की चाह में बल्कि लालच में, हम पहले घड़े अर्थात् रिश्तों, दोस्तों, समाज के साथ के मज़े लिए बिना जीवन में आगे बढ़ जाते हैं। उसके बाद दूसरे घड़े अर्थात् खुश और मस्त रहने के स्थान पर तीसरे घड़े की चाह में आगे निकल जाते हैं और तीसरे घड़े के रूप में अपने स्वास्थ्य से भी समझौता कर लेते हैं।
जीवन की तीनों सबसे महत्वपूर्ण चीजों से समझौता करते हुए धन एकत्र करते हैं और जब लगता है कि हमने सब कुछ पा लिया है, तब एहसास होता है कि जिसे पाने में सारी उम्र गुज़ार दी अब उसका करें क्या? एक बार विचार करिएगा दोस्तों।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-