फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
विपरीत परिस्थिति में सजग रहें और नए अवसर पहचाने
May 31, 2021
विपरीत परिस्थिति में सजग रहें और नए अवसर पहचाने…
दोस्तों कल हमने मंदी या रिसेशन को अवसर में कैसे बदलें, इस विषय में एयरबीएनबी के उदाहरण से समझा था और साथ ही मैंने आपसे वादा किया था कि मैं आज आपको एक ऐसे साधारण से व्यक्ति की कहानी सुनाऊँगा जिसने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से असाधारण कार्य करा था।
जैसा कि मैंने आपको अपने कल के लेख में बताया था कि अमेरिका में दिसम्बर 2007 से जून 2009 तक एक बहुत बड़ी मंदी आई थी जिसे ‘ग्रेट रिसेशन’ कहा गया था। इस मंदी का मुख्य कारण आवासीय सम्पत्ति के अनाप-शनाप बढ़ते मूल्यों के बुलबुले का फूटना था। इस रिसेशन का असर बड़ा व्यापक था, जिसने प्रोपर्टी, खाद्य, ऑटोमोबाईल इंडस्ट्री, फ़ायनेंस, बैंकिंग, आईटी इंडस्ट्री जैसे कई क्षेत्रों को अपना शिकार बनाया।
इस रिसेशन का असर आईटी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर ज़्यादा था क्यूँकि आईटी कम्पनियाँ हर उपरोक्त सभी क्षेत्रों की कम्पनियों को अपने सर्विस दे रही थी। इसीलिए इस क्षेत्र में कार्य करने वाले हज़ारों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। इसी वजह से बाज़ार में कई योग्य सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बेरोज़गार थे और वे नई नौकरी खोजने का प्रयास कर रहे थे। नौकरी ढूँढने वाले लोगों में याहू में नो वर्षों तक साथ कार्य करने वाले दो युवा सॉफ़्टवेयर इंजीनियर ब्रायन ऐक्टन एवं जेन कौम भी थे।
ब्रायन ऐक्टन एवं जेन कौम ने नो वर्षों तक याहू में एक साथ कार्य करा था और ब्रायन ऐक्टन ने एप्पल कम्पनी में भी कार्य किया था। याहू, एप्पल जैसी नामी कम्पनियों में कार्य करने का लम्बा अनुभव होने के बाद भी उन्हें कोई नौकरी पर रखने के लिए राज़ी नहीं था और नौकरी के लिए दिए गए इंटरव्यू में ब्रायन ऐक्टन को पहले ट्विटर और फिर फेसबुक ने ठुकराया।
जिस समय ये युवा नौकरी के लिए घूम रहे थे उसी समय एप्पल आइफ़ोन के बाज़ार में आने की वजह से एप स्टोर से एक नए बाज़ार के शुरू होने की उम्मीद भी थी। एक दिन इसी विषय पर जेन कौम की चर्चा अपने दोस्त अलेक्स फिशमेन के साथ हुई। कुछ घंटों चली इस चर्चा में जेन के दिमाग़ में अपने एप के लिए एक नया नाम आया ‘व्हाट्सएप’। जी हाँ दोस्तों मैं उसी व्हाट्सएप एप की बात कर रहा हूँ जो आज हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है।
इस विचार के ठीक एक हफ़्ते 24 फ़रवरी 2009 को दोनों दोस्तों ब्रायन ऐक्टन एवं जेन कौम ने एक नयी कम्पनी का गठन किया और उसका नाम रखा व्हाट्सएप इंक। कम्पनी की शुरुआत के लिए ब्रायन ऐक्टन एवं जेन कौम ने अपने याहू के पुराने दोस्तों के साथ मिलकर ढाई लाख डॉलर इकट्ठे किए और एक छोटी सी जगह जहाँ हीटर भी नहीं थे किराए पर लेकर काम करना शुरू किया। ठंडा इलाक़ा होने की वजह से इसके सभी कर्मचारियों को कम्बल ओढ़कर या यह बोलना ज़्यादा उचित होगा की कम्बल पहन कर काम करना पड़ता था।
सन 2010 तक कम्पनी 5000 डॉलर्स प्रतिमाह का मुनाफ़ा कमाने लगी और वर्ष 2011 में व्हाट्सएप एप्पल एप स्टोर में टॉप 20 एप्स में आ गया और इसकी कमाई कई गुना बढ़ने लगी। क्लाउड-आधारित इस मैसेजिंग एप का प्रभाव 2014 तक बहुत बढ़ गया था इसी वजह से फ़ेसबुक के मालिक मार्क जुकेर्बेर्ग ने जेन कौम को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा। इसी वर्ष फ़ेसबुक द्वारा ही 19 बिलियन अमरीकी डालर नक़द व कुछ स्टॉक देकर व्हाट्सएप को अधिग्रहित किया। मंदी के दौरान बेरोज़गार रहे जेन कौम की संपत्ति आज करीब 6.8 बिलियन डॉलर्स है व अधिग्रहण के वक्त ब्रायन ऐक्टन की सम्पत्ति 3.8 बिलियन डॉलर हो गई थी।
दोस्तों इस कहानी से हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक़ सीखने को मिलता है। विपरीत समय में आपके पास हमेशा दो ऑप्शन होते हैं या तो आप समस्या पर ध्यान लगा लें या फिर सम्भावनाओं पर। जब आप समस्या पर ध्यान लगाते हैं तो आपके लिए वही बढ़ने लगती है और जब आप सम्भावनाओं पर ध्यान लगाते हैं तो आपको नई सम्भावनाएँ नज़र आने लगती हैं और इन्हीं सम्भावनाओं की वजह से आपकी ऊर्जा बढ़ती है और आप अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करने लगते हैं जो अंततः आपको सफल बना देता है। दोस्तों कल बताए मेरे गुरु के इस कथन को याद रखिएगा, ‘सफलता प्रतिभा नहीं, दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर करती है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर