फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
विश्वास रखें, दिमाग़ लगाएँ और विजय पाएँ


April 10, 2021
विश्वास रखें, दिमाग़ लगाएँ और विजय पाएँ…
रोज़ की भाँति ही आज सुबह भी चिड़िया अपने बच्चों के दाना चुगने के लिए अपने घोंसले से निकली। अभी चिड़िया ने दाना चुगना शुरू ही किया था कि अचानक उसे एक बाज ने देख लिया। बाज भी सुबह से भूखा था, उसने चिड़िया का शिकार करने का निश्चय किया और तुरंत ही तेज़ी से उड़कर चिड़िया के सामने जाकर बैठ गया। इतने बड़े बाज को सामने देख चिड़िया घबरा गई। बाज घबराती चिड़िया को देख कुटिल हंसी हंसते हुए बोला, ‘आज मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाऊँगा।’
बाज की बात सुन चिड़िया की घबराहट और ज़्यादा बढ़ गई और वह बाज से अपनी जान की भीख माँगने लगी। लेकिन बाज भी काफ़ी भूखा था वह किसी भी हालत में हाथ आए शिकार को छोड़ने के लिए राज़ी ही नहीं था। अंत में कोई उपाय ना देख चिड़िया ने बाज से कहा, ‘मेरे लिए ना सही पर मेरे छोटे-छोटे बच्चों की ख़ातिर ही मुझे छोड़ दो। अगर मैं ही नहीं रहूँगी तो उनका लालन-पालन कैसे होगा? कौन उनका ध्यान रखेगा?’
वैसे तो बाज पर चिड़िया की बातों का कोई असर नहीं हो रहा था, फिर भी उसने चिड़िया के प्रति उदारता दिखाने के उद्देश्य से कहा, ‘देखो वैसे तो यह प्रकृति का नियम है लेकिन फिर भी तुम्हारे बच्चों को देखते हुए मैं तुम्हें जीवन बचाने का एक मौक़ा देता हूँ। पर मेरी एक शर्त है, तुम्हें मेरे साथ दौड़ लगाना होगी और अगर तुम जीत गई तो तुम आज़ाद और अगर हार गई तो तुम मेरा भोजन बनोगी। बोलो मंज़ूर है?’
बाज की अजीब सी शर्त सुन चिड़िया उलझन में पड़ गई, इतने बड़े बाज को दौड़ में हराना उस के लिए सम्भव ही नहीं था। वैसे यही बात तो बाज को भी पता थी इसीलिए उसने यह शर्त रखी थी पर दूसरी ओर चिड़िया भी हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, उसके बच्चों के जीवन का जो सवाल था। उसका दिमाग़ बाज से बचने के रास्ते खोजने में व्यस्त हो गया, इधर बाज भी जल्दी निर्णय लेने के लिए चिड़िया पर दबाव बना रहा था।
कोई और विकल्प ना देख चिड़िया ने इस दौड़ के लिए हाँ कर दिया और बाज को हराने के उपायों के बारे में सोचने लगी। अचानक उसके मन में एक आइडिया आया, उसने बाज से कहा, ‘मुझे आप से एक वचन चाहिए, रेस खत्म होने से पहले आप मेरा शिकार नहीं करेंगे।’ बाज को इसमें किसी भी प्रकार की रिस्क नज़र नहीं आयी, वह तुरंत इस शर्त के लिए राज़ी हो गया।
दौड़ शुरू होते ही चिड़िया बाज के ऊपर बैठ जाती है। बाज ने चिड़िया के इस अनपेक्षित व्यवहार के बारे में तो सोचा ही नहीं था। वह उड़ तो रहा था पर दुविधा में होने की वजह से उड़ने में अपनी पूरी शक्ति नहीं लगा पा रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि चिड़िया के मन में आख़िर चल क्या रहा है? चिड़िया की चाल समझने की ऊहापोह में वह कब रेस ख़त्म होने के स्थान के पास पहुँच जाता है उसे एहसास ही नहीं होता है। दूसरी ओर चिड़िया एकदम सजग थी उसके मन में उसका लक्ष्य, उसकी योजना एकदम स्पष्ट थी, रेस खत्म होने का स्थान नज़दीक आते ही चिड़िया बाज के ऊपर से उड़ी और तेज़ पंख फड़फड़ाते हुए बाज से पहले अंतिम रेखा को पारकर विजेता बन गई। बाज चिड़िया के चातुर्य को देख प्रसन्न हो जाता है और अपने वचन अनुसार उसे ज़िंदा छोड़ देता है।
जी हाँ दोस्तों, जीवन में कई बार हमारा सामना ऐसे प्रतिस्पर्धी से होता है जो हमसे कई गुना ज़्यादा शक्तिशाली और साधन संपन्न होता है और ऐसी स्थिति में सबसे पहला प्रश्न जो आमतौर पर हमारे मन में आता है वह होता है, ‘यार इसका सामना हम कैसे करेंगे? इससे जीतना तो असम्भव ही है।’ जैसे ही हमारा अंतर्मन इस विचार को ग्रहण करता है वह हमारे सिस्टम को इस बात का एहसास दिलवा देता है कि वाक़ई हमारा प्रतियोगी हमसे ज़्यादा सक्षम और शक्तिशाली है और हम लड़ने से पहले ही या प्रतियोगिता शुरू होने से पहले ही हार जाते हैं।
इसके ठीक विपरीत चिड़िया ने क्या किया था? सबसे पहली बात उसने स्वीकारा था कि भले ही मेरा सामना मुझसे कई गुना शक्तिशाली बाज से हुआ है लेकिन मेरे पास किसी भी तरह जीतने के अलावा कोई और चारा नहीं है। मेरा उद्देश्य बाज की भूख से कई गुना बड़ा है।
चिड़िया के हार मानने से मना करते ही उसके अंतर्मन ने उसे वह सुझाव देना शुरू किए जिससे वह अपने से ज़्यादा शक्तिशाली प्रतिद्वंदी से निपट सके। कठिन और विपरीत परिस्थिति में हालातों पर रोने या हाथ पर हाथ रखकर बैठने के स्थान पर अपनी क्षमताओं, अपनी बुद्धि पर विश्वास रखकर, उसका समझदारी से प्रयोगकर समाधान खोजना चाहिए और फिर समाधान के आधार पर योजना बनाकर उसपर कार्य करना चाहिए। याद रखिएगा दोस्तों अगर आपको विश्वास है कि आप जीत सकते हैं तो यक़ीन मानिएगा आप हक़ीक़त में जीत सकते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर