फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सकारात्मक जीवन जीने के दो प्रमुख गुण - प्रेम और विनम्रता
Sep 15, 2021
सकारात्मक जीवन जीने के दो प्रमुख गुण - प्रेम और विनम्रता
रामपुर के घने जंगल में रानी मधुमक्खी अपने झुंड के साथ बड़े मज़े से रहती थी। आज रानी मधुमक्खी बहुत परेशान थी क्यूँकि तेज़ आँधी की वजह से पेड़ गिरने के कारण उसका छत्ता टूट गया था। रानी व अन्य सभी मधुमक्खियों ने एक घने, मज़बूत, सुरक्षित पेड़ को खोजकर उसपर अपना छत्ता बनाने का निर्णय लिया।
सुरक्षित स्थान को खोजते-खोजते रानी मधुमक्खी की नज़र उसी जंगल में मौजूद एक बड़े बबूल के पेड़ पर पड़ी। उसे छत्ते के लिहाज़ से यह पेड़ बड़ा उचित लगा। वह तुरंत उसके पास पहुँची और बोली, ‘बबूल भैया, तुम्हें तो पता ही है आज आँधी की वजह से हमारा घर टूट गया है। क्या आपकी मज़बूत शाख़ पर मैं अपने साथियों के साथ मिलकर छत्ता बना लूँ?’ कोई परेशान करे यह बबूल को बिलकुल पसंद नहीं था। अहंकार के चलते उसने चिढ़ते हुए रानी मधुमक्खी से कहा, ‘चलो हटो यहाँ से, कहीं और जाकर अपना छत्ता बनाओ।’
बबूल के पेड़ के पास ही एक आम का पेड़ भी था। उसे बबूल का व्यवहार बिलकुल अच्छा नहीं लगा। उसने बबूल को समझाते हुए कहा, ‘बबूल भाई आपकी शाख़ पर सभी मधुमक्खियाँ सुरक्षित रहेंगी, इन्हें अपनी शाख़ पर छत्ता बना लेने दो।’ आम के पेड़ के शब्द सुनते ही बबूल को ग़ुस्सा आ गया। वह लगभग चिल्लाते हुए बोला, ‘ज़्यादा पंचायती मत करो, अपने काम से काम रखो और अगर मधुमक्खियों की इतनी चिंता है तो अपनी शाख़ पर उन्हें छत्ता क्यों नहीं बना लेने देते?’
आम के पेड़ को समझ आ गया कि बबूल को कुछ भी समझाने से फ़ायदा नहीं होगा। उसने रानी मधुमक्खी से कहा, ‘आप अपना छत्ता मेरी किसी भी शाख़ पर बना सकते हो।’ रानी मधुमक्खी ने आम के पेड़ का शुक्रिया अदा करा और उसकी शाख़ पर अपना घोंसला बना लिया।
कुछ माह बाद एक दिन जंगल में जलाने के लिए लकड़ी का इंतज़ाम करने के उद्देश्य से कुछ लकड़हारे आए। उन्होंने आम के पेड़ को देखते ही उसे काटने का निर्णय लिया और अपने औज़ार निकालने लगे। तभी उनमें से एक का ध्यान पेड़ के ऊपर बनें बड़े सारे मधुमक्खी के छत्ते पर गया। उसने तुरंत अपने साथियों को रोकते हुए कहा, ‘रुक जाओ! इस पेड़ को मत काटो इसपर मधुमक्खी का छत्ता है। अगर इन्होंने हम पर हमला कर दिया तो जान बचाना मुश्किल हो जाएगा।’
सभी लकड़हारों को उसकी बात समझ आयी वे आसपास दूसरे पेड़ को काटने के लिए देखने लगे। तभी उनमें से एक का ध्यान बबूल के पेड़ पर गया। उसने तुरंत सभी को बताया कि इसे काटना ज़्यादा सुरक्षित रहेगा। हमें ज़्यादा लकड़ी भी मिल जाएगी और ख़तरा भी ज़्यादा नहीं रहेगा।’ सभी को उस लकड़हारे का विचार पसंद आया और सब मिलकर उस बबूल के पेड़ को काटने लगे। बबूल का पेड़ कुल्हाड़ी के वार से ज़ख़्मी हो गया और बचाने के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगा।
बबूल की आवाज़ आसपास के कई पेड़ों और मधुमक्खियों ने सुनी पर कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं गया। आम का पेड़, जो सभी के लिए अच्छा सोचता था, उसने रानी मधुमक्खी से कहा, ‘आपको बबूल की मदद करना चाहिए। अन्यथा असमय ही उसके प्राण चले जाएँगे।’ रानी मधुमक्खी ने आम के पेड़ को उसके पुराने व्यवहार को याद दिलाया, पर आम ने उसे नज़रंदाज़ करते हुए, मदद करने के लिए कहा।
आम के पेड़ की बात टालना रानी मधुमक्खी को उचित नहीं लगा। उसने अपने सभी साथी मधुमक्खियों के साथ लकड़हारों पर हमला बोल दिया। बस फिर क्या था कुछ ही पल में सभी लकड़हारे अपनी जान बचाकर, अपने औज़ार वहीं छोड़कर भाग गए। बबूल के पेड़ ने मधुमक्खियों और आम के पेड़ से अपने पुराने व्यवहार के लिए माफ़ी माँगी और फिर सभी मिलजुल कर आराम से रहने लगे।
दोस्तों कहानी तो बड़ी साधारण सी है लेकिन अपने अंदर ढेरों पाठ समेटे हुई है। आईए उसमें से प्रमुख 5 पाठों र चर्चा करते हैं-
पहला पाठ - आम के पेड़ ने बबूल द्वारा पूर्व में कहे गए कटु शब्दों को नज़रंदाज़ करते हुए मधुमक्खियों से उसकी मदद करने का आग्रह किया। अर्थात्, जीवन में कोई आपसे बुरा व्यवहार करे इसका अर्थ यह नहीं है कि हम भी उसके साथ बुरा व्यवहार ही करें।
दूसरा पाठ - अगर कोई आपके साथ ग़लत व्यवहार करता है और आप उसे नज़रंदाज़ करते हुए उसकी मदद करना, उससे अच्छा व्यवहार करना जारी रखते हैं तो आप उस व्यक्ति को समय के साथ उसकी गलती का एहसास करवाकर उसका हृदय परिवर्तन भी कर सकते हैं। जैसा आम ने बबूल के पेड़ का किया था।
तीसरा पाठ - जहां तक सम्भव हो सके हमें दूसरों के काम आना चाहिए भले ही उससे हमें कोई फ़ायदा हो या नहीं। याद रखिएगा आपके किए गए कर्मों का हिसाब ईश्वर रखता है और वो ही कई बार किसी अन्य रूप में आपको आपके अच्छे कर्मों का फल दे देता है। जिस तरह आम के पेड़ ने बिना अपना फ़ायदा देखे मधुमक्खियों को छत्ता बनाने दिया, उन्हीं मधुमक्खियों की वजह से एक दिन वह काटे जाने से बच गया।
चौथा पाठ - किसी से भी वह व्यवहार ना करें जो आपको खुद के लिए पसंद ना हो।
पाँचवा पाठ - अगर कोई आपसे अपने बुरे समय में मदद माँगता है तो उसका उपहास ना उड़ाएँ या उसे दुत्कारें नहीं। समय बदलते देर नहीं लगती आप कभी उसकी स्थिति में और वो आपकी स्थिति में पहुँच सकता है। जैसा बबूल और मधुमक्खी के साथ हुआ।
उपरोक्त पाँचों पाठ के साथ यह भी याद रखिएगा दोस्तों, प्रेम और उदारता ऐसे मानवीय गुण हैं जो आपके जीवन को एकदम सरल या आसान बना सकता है। जीवन में हर पल इन गुणों का संग्रहण अपने अंदर करते रहिएगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर