फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सपनों को हक़ीक़त में बदलने के 7 सूत्र - भाग 1


Oct 10, 2021
सपनों को हक़ीक़त में बदलने के 7 सूत्र - भाग 1
दोस्तों सपने देखना और उन्हें पूरा करना, दो बिलकुल अलग-अलग बातें हैं। जब भी आप सपने देखते हैं आपके पास दो विकल्प होते हैं। पहला, अपने सपनों को साकार करते हुए जीवन जीना और दूसरा सपने पूरा ना होने पर बहाने बनाना, परिस्थितियों या अपनी क़िस्मत को दोष देना और समझौता करते हुए अपना जीवन जीना।
जो लोग पहला विकल्प चुनते हैं, वे सबसे पहले अपने सपनों को बिलकुल स्पष्ट तरीक़े से परिभाषित करते हैं एवं उसके बाद योजना बनाकर, उस पर कार्य करते हैं। दोस्तों अगर आप भी पहले विकल्प को चुनकर अपने सपनों का जीवन जीना चाहते हैं तो योजनाबद्ध तरीक़े से अपने सपनों की दिशा में कदम बढ़ाएँ और चरणबद्ध तरीक़े से उन्हें पूरा करें। आइए आज हम अपने सपनों को साकार करने वाले 7 सूत्रों को समझते हैं-
पहला सूत्र - स्पष्ट सपना बनाएँ
अकसर लोग अपने सपने को अधूरा या अस्पष्ट सा बनाते हैं। जैसे, ‘देख लेना मैं एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनूँगा।’ ऐसी स्थिति में इस सपने को पूरा करने के लिए योजना बनाना, उस पर अमल करना बड़ा मुश्किल हो जाता है। इसके स्थान पर स्पष्ट सपने बनाने के लिए एक डायरी और पेन लेकर शांत स्थान पर बैठें और खुद से प्रश्न करें कि आप जीवन में क्या चाहते हैं?
अगर आप स्पष्ट जवाब नहीं खोज पा रहे हैं तो चिंता ना करें, बस जो विचार आ रहे हैं उन्हें लिख लें। उदाहरण के लिए, यदि आप मेरी तरह एक रेडियो शो करना चाहते हैं लेकिन आप आज समझ नहीं पा रहे हैं कि इसे कैसे शुरू किया जाए या शो का विषय क्या हो?, तो सबसे पहले अपने विचारों को ऑडियो और विडियो के रूप में रिकॉर्ड करें और सोशल मीडिया पर लोगों से साझा करे और उनके सुझाव पर आत्ममंथन करते हुए उसमें सुधार करें। सही दिशा में कदम बढ़ाने से कुछ ही दिनों में आपको समझ आ जाएगा कि आप क्या चाहते है और उसे कैसे पाया जा सकता है?
दूसरा सूत्र - प्रबल इच्छा अर्थात् स्ट्रोंग डिज़ायर पैदा करें
सपने हमेशा काल्पनिक होते हैं लेकिन जब आप काल्पनिक चीज़ को प्रबल इच्छा में परिवर्तित कर लेते हैं, तब प्रबल इच्छा आपके आत्मविश्वास को बढ़ाकर आपको अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित बना देती है। साथ ही प्रबल इच्छा का होना आपकी आधी से ज़्यादा मुश्किलों को खत्म कर देता है।
अपने सपने को प्रबल इच्छा में परिवर्तित करने के लिए सबसे पहले अपनी कल्पना को हक़ीक़त में घटित होता हुआ महसूस करें और उसके बाद उससे मिलने वाली ख़ुशी और संतुष्टि का एहसास करें। इस एहसास को बार-बार खुद को याद दिलाएँ और खुद से कहें, आपकी इच्छा आपके कम्फ़र्ट ज़ोन, आपके सपने से कई गुना बड़ी है।
तीसरा सूत्र - प्रबल इच्छा के आधार पर अपने सपने को पहले बड़े फिर छोटे-छोटे लक्ष्यों में परिवर्तित करें
प्रबल इच्छा होने के बाद भी कई बार लोग अपने सपने को हक़ीक़त में बदलने से चूक जाते हैं क्यूँकि सपना अकसर बहुत बड़ा और लम्बे समय में हक़ीक़त में तब्दील होने वाला या लम्बे समय में परिणाम देने वाला होता है। लेकिन जब हम अपने सपने को एक निश्चित तिथि के साथ बांध लेते हैं तो सपना लक्ष्य में परिवर्तित हो जाता है। इसे मैं अकसर गणित के एक सूत्र से समझाने का प्रयास करता हूँ, ड्रीम + डेड लाइन = टार्गेट, और दोस्तों टार्गेट छोड़ने के लिए नहीं, पाने के लिए होते हैं।
लेकिन दोस्तों सपने को लक्ष्य अथवा टार्गेट में परिवर्तित करने के बाद भी कई बार उसे पाना असम्भव हो जाता है। जब मैं स्कूल में पढ़ता था तब की एक घटना से इसे आपको समझाने का प्रयास करता हूँ। गर्मियों की छुट्टी के दौरान जैसे ही पिछली कक्षा का परिणाम हाथ में आता था, उसे देख कहीं ना कहीं निराशा हाथ लगती थी और लगता था कि मैं इससे बेहतर कर सकता था और उसी वक्त एक नया लक्ष्य बनाता था कि मैं अगले साल किसी भी हालत में कक्षा में प्रथम आऊँगा। लक्ष्य बनाते ही, बड़े जोर-शोर के साथ नई किताबें लाना, उन पर कवर चढ़ाना और बिना किसी के कहे छुट्टियों में पढ़ाई शुरू कर देने तक तो सब सामान्य था। लेकिन विद्यालय खुलने पर कई दिनों के बाद मिले दोस्तों के साथ इस तरह मिलते थे कि पढ़ाई और सपना कहाँ छूट गया, इसका एहसास प्रथम टेस्ट रिज़ल्ट पर ही पता चलता था। फिर एक बार मन कट्ठा करके मैं पढ़ाई में लगता था लेकिन तब तक खेल-कूद या अन्य गतिविधियों की वजह से लय बिगड़ जाती थी और अर्धवार्षिक परीक्षा आते-आते मुझे एहसास हो जाता है कि इस वर्ष प्रथम आना मेरे लिए सम्भव नहीं होगा।
दोस्तों ऐसा ही कुछ ना कुछ हममें से सभी के साथ घटित हुआ है। तो क्या हम सभी में क्षमता या योग्यता नहीं थी? बिलकुल थी, हम सभी योग्य और क्षमतावान होते हैं बस गलती पूरे लक्ष्य को एक साथ पाने की हमारी इच्छा में होती है। शुरू में हमें लगता है कि अभी तो बहुत समय है और बाद में लगता है कि अब इतने कम समय में कैसे होगा? पर सोचकर देखिए, अगर कक्षा में प्रथम आने के लक्ष्य को मैंने मासिक आधार पर बनाया होता तो क्या ऐसा होता? शायद नहीं! इसलिए दोस्तों सपनों को हक़ीक़त में बदलने के लिए पहले उन्हें छोटे-छोटे लक्ष्यों में परिवर्तित करें और छोटे लक्ष्यों को पाते हुए आगे बढ़ें।
आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम बचे हुए 4 सूत्रों के साथ फिर मिलते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर