फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सफलता का कोण, आपका दृष्टिकोण


July 29, 2021
सफलता का कोण, आपका दृष्टिकोण!!!
दोस्तों मेरी नज़र में जीवन का मज़ा और सजा, दोनों ही, हमारे दृष्टिकोण में छुपा है। जी हाँ, आप जीवन जिएँगे या काटेंगे, यह सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके दृष्टिकोण से ही तय होता है। दोस्तों इस पर विस्तार में चर्चा करने के पूर्व आपको तूफ़ान से निपटने के लिए चील द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति के बारे में बताता हूँ।
दोस्तों चील एक ऐसा पक्षी है जिसे तूफ़ान आने का अंदाज़ा तूफ़ान आने के काफ़ी पहले हो जाता है। सोच कर देखिए दोस्तों, अगर पहले से ही अंदाज़ा हो कि तूफ़ान या कोई विपत्ति आने वाली है तो पहला कार्य क्या करना चाहिए? निश्चित तौर पर सबसे पहले सुरक्षित स्थान खोज अपना जीवन बचाने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन चील ऐसा नहीं करती, वह छिप कर किसी सुरक्षित स्थान पर बैठने की जगह और ज़्यादा ऊँचाई पर जाकर उड़ना शुरू कर देती है और तूफ़ानी हवाओं का इंतज़ार करने लगती है।
दोस्तों जैसे ही तूफ़ान आता है चील सिर्फ़ अपने पंख फड़फड़ाने लगती है जिससे तूफ़ानी हवा उसे ऊपर उठा सके। जैसा हमें पता है तूफ़ान सबसे ज़्यादा उग्र या भयानक नीचे अर्थात् ज़मीन के पास होता है और जैसे-जैसे हम ऊँचाई पर जाते हैं, वह शांत होने लगता है और चील तूफ़ान के सबसे ऊपरी भाग में उड़ना शुरू कर देता है।
अब इस पूरी घटना को अलग नज़र से देखिए, चील ने तूफ़ान से बचने के लिए क्या किया? ना तो वो डरी, ना ही बचने या उसे रोकने का प्रयास किया और ना ही कहीं छिपकर, दुबककर बैठ गयी और उसके गुजरने का इंतज़ार करने लगी, बल्कि उसने तूफ़ान के दौरान होने वाले परिवर्तन, और तूफ़ान के बारे में अपनी जानकारी का सही उपयोग करते हुए उसका इस्तेमाल खुद को और ऊपर उठाने के लिए किया। इसे, ऐसे भी तो कहा जा सकता है, जिन तूफ़ानी हवाओं से दूसरे डरते हैं, उसका फ़ायदा उठा कर वह और ऊँचा उड़ी। जहां तूफ़ान की वजह से बाक़ियों को नुक़सान हुआ, वहीं चील ने उसका उपयोग अपने फ़ायदे के लिए किया।
जी हाँ दोस्तों इसीलिए मैं कह रहा था कि जीवन का असली मज़ा सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे दृष्टिकोण में छुपा हुआ है। जो परिस्थितियाँ किसी को तोड़ती हैं, वही परिस्थितियाँ किसी दूसरे को बना देती हैं। एक शराबी से जब पूछा गया कि, ‘तुम सुबह उठते से ही शराब क्यूँ पीने लगते हो?’ तो वह बोला क्या करूँ, बचपन से ही यही माहौल देखा है मेरे पिता, मेरे चाचा सुबह से ही पीने बैठ जाते थे और हमारा काम उनके लिए उस वक्त ज़रूरत का सामान जुटाना रहता था। पता ही नहीं चला कब इसकी लत लग गई।
जब यही सवाल उसके बड़े भाई से पूछा गया तो वह बोला, ‘घर का माहौल बहुत ख़राब था। मेरे पिता और चाचा सुबह से ही शराब पीने बैठ जाते थे और इसी वजह से घर में बहुत क्लेश और पैसे की समस्या रहती थी। कभी भी हमें भरपेट अच्छा भोजन और शांति नहीं मिली। मेरी माँ इन सब बातों से परेशान होकर समय से पहले ही इस दुनिया से चली गई। मैंने इस शराब की वजह से घर बर्बाद होते हुए देखा है, इसलिए मैं इसे नहीं पीता।’
दोनों भाई एक ही परिस्थिति से गुजरे, दोनों ने एक जैसी परेशानियों को भोगा, लेकिन उसके बाद भी अपने नज़रिए की वजह से दोनों के जीवन जीने का तरीक़ा अपना अलग था। इसलिए दोस्तों जीवन में जब भी तूफ़ान या चुनौतियाँ आए, तो घबराने और डरने से कुछ नहीं होगा। हमें बस उन्हीं परिस्थितियों के बीच रहते हुए अपनी मनःस्थिति को बदलकर, रचनात्मक तरीक़े से निर्णय लेना और मेहनत के साथ सही दिशा में कार्य करना शुरू करना होगा, तभी हम चील की तरह ‘तूफ़ान की सवारी’ करते हुए अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
बस एक बात याद रखिएगा दोस्तों, तूफ़ान या विपरीत परिस्थितियों को रोकना या बदलना हमारे बस में नहीं है लेकिन हम उस पर ‘रीऐक्ट’ करेंगे या ‘री-ऐक्ट’ करेंगे निश्चित तौर पर हमारे हाथ में ही होगा और ‘री-ऐक्ट’ करना ही विपरीत परिस्थितियों में आपके जीवन को ऊपर उठाने में मदद करेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर