फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सफलता का राज : सीखना, जीवन भर सीखना


July 19, 2021
सफलता का राज : सीखना, जीवन भर सीखना
रविवार को एक बच्चे की काउन्सलिंग का अवसर मिला, बच्चे की क्षमता और बुद्धिमत्ता को देख में हैरान था। कक्षा ग्यारहवीं में पढ़ने वाले बच्चे में आमतौर पर इतने स्पष्ट विचार आसानी से देखने को नहीं मिलते। शुरुआती बातचीत के दौरान मैंने महसूस किया, माता-पिता स्वयं को हर विषय का महा ज्ञानी और बच्चे को नादान मान डील कर रहे हैं।
उनकी बातचीत से मुझे एहसास हो गया था कि मैं उन्हें जो भी सुझाव दूँगा वे उसे तार्किक आधार पर परखेंगे। मैंने उन्हें बच्चे का सायकोमेट्रिक और बायोमेट्रिक टेस्ट करवाने का सुझाव दिया और बाद में रिपोर्ट के आधार पर बच्चे को उसके कैरियर या विषय से सम्बंधित समस्याओं का समाधान देने का प्रयत्न किया। थोड़ी ही देर में मुझे एहसास हुआ कि मेरे हर सुझाव पर बच्चे के माता पिता या तो तर्क करना शुरू कर देते थे या फिर बोलते थे कि ‘हाँ, यह तो हमें मालूम था या इस बारे में हमने पहले भी विचार किया था।’ शायद वे यह जताना चाह रहे थे कि ‘हम तो काफ़ी समझदार हैं और हमें सब कुछ पहले से पता है।’
वैसे भी सुझाव लेने जाना और सामने वाले से घुमा-घुमा के तब तक पूछना जब तक वह हमारे मनमाफ़िक जवाब ना दे दे, बड़ी सामान्य सी घटना है और कई बार यह सोच या तरीक़ा आपको जीवन में बड़ी उलझन में डाल देता है और कई बार तो आपको आपकी सफलता से कोसों दूर कर देता है। इसे मैं आपको एक लतीफ़े से समझाने का प्रयास करता हूँ।
एक बार छोटे से निजी विमान में एक डॉक्टर, एक वकील, एक छोटा लड़का और एक पुजारी सफ़र कर रहे थे। ऊँचाई पर जाने के बाद अचानक विमान के इंजन में खराबी आ गई। शुरू में तो पायलट ने विमान को बचाने की तमाम कोशिशें करी लेकिन उसके बाद भी विमान तेज़ी से नीचे जाने लगा। कोई और उपाय ना देख अंत में पायलट ने एक पैराशूट लिया और चारों यात्रियों की ओर देखते हुए ज़ोर से चिल्लाया, ‘अगर जान बचानी है तो पैराशूट लें और कूद जाएँ।’ इतना कहते ही वह स्वयं विमान से बाहर कूद गया।
चारों यात्री पहले तो घबरा गए लेकिन कोई और उपाय ना देख विमान में पैराशूट तलाशने लगे। दुर्भाग्य से, उस दिन विमान में केवल तीन पैराशूट ही थे। डॉक्टर ने तत्परता दिखाते हुए एक पैराशूट उठाया और बोला, "मैं एक डॉक्टर हूँ, मैं लोगों की जान बचाता हूँ, इसलिए मुझे दूसरे के जीवन को बचाने के लिए जीना चाहिए।” और इतना कहते ही वह बाहर कूद गया।
डॉक्टर की देखा-देखी वकील ने भी एक पैराशूट उठाया और बोला, "मैं एक वकील हूँ और वकील दुनिया के सबसे चतुर लोग होते हैं। मैं चतुर हूँ इसलिए मुझे जीन का मौक़ा मिलना चाहिए।” इतना कहते ही उसने भी एक पैराशूट लिया और बाहर कूद गया।
दोनों को इस तरह कूदते देख पुजारी को अच्छा नहीं लगा लेकिन फिर भी उसने समझदारी भरा निर्णय लेते हुए उस छोटे लड़के से कहा, "मेरे बेटे, मैंने एक लंबा और अच्छा जीवन जिया है। आप अभी काफ़ी छोटे हैं और अभी आपको इस पूरी दुनिया को देखना है अपना जीवन जीना है। आखिरी पैराशूट तुम ले लो और अपनी जान बचा लो और शांति से रहो।”
छोटे लड़के ने पैराशूट वापस पुजारी को सौंपा और कहा, "आप चिंता ना करें महात्मा जी। दुनिया के सबसे होशियार आदमी ने मेरे बैकपैक के साथ विमान से छलांग लगाई है या यह कहना बेहतर होगा कि मेरे बैग के साथ उड़ान भरी है।”
जी हाँ दोस्तों, जब आप उन वकील महोदय के समान ज़रूरत से ज़्यादा समझदार बनने का प्रयास करते हैं तब आप अकसर कोई बहुत महत्वपूर्ण चीज़, जो आपका जीवन बेहतर बना सकती थी, सीखना, समझना भूल जाते हैं। इसके स्थान पर जब भी आप किसी से बात करें तो सामने वाला आपको जो बता रहा है पूरा सुनने का प्रयास करें, उस पर मनन करें और अगर उसके बाद भी आपको लगता है कि वह आपके काम का नहीं है तो उस बात को छोड़ दें। याद रखिएगा दोस्तों, खुद को पूर्ण मानने के चक्कर में लोग खुद को खोजने का एक बेहतरीन मौक़ा खो देते हैं। वैसे भी अगर किसी एक कौशल की बात की जाए, जो हर हाल में आपके जीवन को बेहतर बना सकता है तो वह है, ‘सीखना, जीवन भर सीखना!’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर