फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सफलता किसी भी मूल्य पर या उचित मूल्य पर


Feb 28, 2021
सफलता किसी भी मूल्य पर या उचित मूल्य पर…
भोपाल में सेज यूनिवर्सिटी के लिए एक लीडरशिप प्रोग्राम करने जाने के पहले मैंने सलून जाने का निर्णय लिया। सलून में अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए मैं सोशल मीडिया पर वक्त बिताने लगा। लेकिन तभी एक आवाज़ ने मेरा ध्यान खींचा, ‘सर आपके बाल बहुत ज़्यादा डैमेज़ हो रहे हैं, अगर आप ध्यान नहीं देंगे तो आपका हेयर फाल और बढ़ जाएगा। आप हमारे इस प्रोडक्ट को उपयोग में लेकर देखिए, एक सप्ताह में आपको रिज़ल्ट मिलना शुरू हो जाएगा।’ वे सज्जन भी बड़ी ध्यान से सलून वाले की बात सुन रहे थे। उसकी बात पूरी होते ही उन्होंने कहा, ‘लेकिन मेरी आहार विशेषज्ञ (dietician) तो इसका कारण कुछ और बता रही थी। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप दोनों में से कौन सही है।’
असल में दोस्तों दोनों के बीच की बात सुनकर मुझे लगा, सलून वाला और आहार विशेषज्ञ दोनों ही अपने प्रोडक्ट को बेचने में ज़्यादा रुचि ले रहे थे, उन्हें अपने ग्राहक की ज़रूरत और उसकी इच्छा से कोई ज़्यादा लेना देना नहीं था। मुझे तुरंत वाट्सअप पर पढ़ी यह कहानी याद आ गई।
गाँव में रहने वाले ब्राह्मण को कई मन्नतों के बाद पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन कुछ ही वर्षों बाद उसकी असमय मृत्यु हो गई। शमशान में बच्चे को दफ़नाने की पूरी तैयारी होने के बाद भी ब्राह्मण मोहवश अपने पुत्र का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहा था। शव के रूप में अपना भोजन देख उसी श्मशान में रहने वाले गिद्ध और सियार बहुत खुश थे। दोनों ने आपसी लड़ाई से बचने के लिए तय कर रखा था कि सियार दिन में और गिद्ध रात में मांस नहीं खाएँगे।
सियार मन ही मन सोच रहा था कि कैसे अंधेरे तक ब्राह्मण को रोकूँ क्यूँकि अगर वह दिन में शव रखकर चला गया तो उस पर गिद्ध का अधिकार हो जाएगा और मुझे खाने का मौक़ा नहीं मिलेगा, वहीं गिद्ध ताक में था कि शव के साथ आए कुटुंब के लोग जल्द से जल्द जाएं और वह उसे खा सके।
गिद्ध ब्राह्मण के पास गया और उससे वैराग्य की बातें शुरू की। गिद्ध ने कहा, ‘आप तो ब्राह्मण हैं उसके बाद भी मोहमाया में फँस रहे हैं? संसार में आने और जाने का दिन पहले से ही तय है, संयोग-वियोग प्रकृति का नियम है। एक बार जाने के बाद कोई वापस नहीं आता इसलिए शोक त्यागें और यहाँ से प्रस्थान करें। रात्रि को यहाँ रुकना उचित नहीं है। गिद्ध की बात सुन रिश्तेदारों ने भी ब्राह्मण को समझाना शुरू किया। गिद्ध अपनी चाल सफल होता देख खुश था वहीं अब सियार सोच रहा था इन्हें कैसे रात्रि तक रोका जाए। मौक़ा देखते ही वह ब्राह्मण के पास गया और बोला, ‘ब्राह्मण होने के बाद भी इतने निर्दयी हो? जिससे इतना प्रेम करते थे उसके पास थोड़ी देर भी रुक नहीं सकते? आज के बाद उसका मुँह दूसरी बार नहीं देख पाओगे संध्या तक रुको और उसके बाद अंतिम कर्म करके चले जाना।
जाते हुए रिश्तेदारों को रोकने के लिए सियार ने नीति की बातें करना शुरू कर दिया। वह बोला, ‘रोगी व्यक्ति, जिस पर अभियोग चल रहा हो, वह जो शमशान में हो, उसे अपने रिश्तेदारों की ज़रूरत होती है और तुम ऐसे समय में अपने साथी को अकेला छोड़ कर जा रहे हो। सियार की बात सभी परिजनों को उचित लगी और उन्होंने वहीं रुकने का निर्णय कर लिया।
गिद्ध और सियार दोनों अपने फ़ायदे के लिए उस ब्राह्मण को अपने-अपने नज़रिए से समझाने का प्रयास कर रहे थे। दोनों में से ही किसी को भी ब्राह्मण की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं था। वैराग्य, मोहमाया या नीति की बातें वे सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए कर रहे थे।
ऐसा ही कुछ हाल मुझे उस वक्त सलून में दिख रहा था। आदतानुसार मैंने धारणा बनाने से पहले, अपने डॉक्टर मित्र से उन दोनों प्रोडक्ट के बारे में चर्चा की। चर्चा करने पर मुझे एहसास हुआ कि ना तो सलून वाले को, ना ही आहार विशेषज्ञ को उस ग्राहक की चिंता थी, वे दोनों सिर्फ़ अपने-अपने फ़ायदे के हिसाब से, अपने प्रोडक्ट को उसे बेचने का प्रयास कर रहे थे।
दोस्तों एक बात याद रखिएगा दुनिया में सिर्फ़ तीन चीज़ें बिकती हैं, डर, उम्मीद और लालच और वे दोनों इन्हीं का सहारा लेकर लाभ कमाने का प्रयास कर रहे थे। सामान ख़रीदने से पहले थोड़ा सा जागरूक होना, प्रोडक्ट के बारे में सही जानकारी रखना आपको अनावश्यक खर्चे के साथ-साथ नुक़सान से भी बचा लेता है।
अगर आप व्यवसायी हैं तो मैं आपको सिर्फ़ एक सुझाव देना चाहूँगा, दूसरों की तकलीफ में अपना लाभ खोजने के स्थान पर ग्राहक को एम्पावर करना, उन्हें सही जानकारी देना लम्बे समय में आपके लिए लाभदायक रहता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर